बिना रामराज्य के कल्याण और विकास सम्भव नहीं: इरफ़ान अहमद

नई दिल्ली। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वरिष्ठ भाजपा नेता इरफ़ान अहमद ने कहा कि आज वह खास दिन है, जब भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की और अच्छाई की जीत का प्रतीक बनाया। यह न केवल एक युद्ध था, बल्कि आदर्श और अन्याय के बीच की जंग थी।
रामराज्य में सभी के समान अधिकार थे, जहाँ न्याय और समरसता का राज था। जहाँ सभी को सुरक्षा, समृद्धि और समानता मिलती थी।
अगर हम चाहते हैं कि हमारा भारत देश भी उसी रामराज्य की तरह हो, तो हमें भगवान श्री राम जी के उच्च आदर्शों का पालन करना होगा।
इरफ़ान अहमद जी ने बताया कि असल में रामराज्य कैसा होता है और अगर हम चाहते हैं कि भारत को फिर से रामराज्य में बदलना है, तो हमें किन किन मूल आदर्शों और मार्गदर्शन पर चलना होगा।
हमारी सारी चिंताएँ और दुःख कल रावण के पुतले के साथ दहन हो गये।
दशहरे का एक महत्त्व रावण के 10 सिरों अर्थात बुराईयों से छुटकारा पाना है। जिनमें कामवासना, क्रोध, मोह (लगाव), लोभ (लालच), मद (अति अभिमान), मत्सर (ईर्ष्या), स्वार्थ, अन्याय, अमानवता (क्रूरता व अहंकार (घमंड) शामिल हैं।

बाकी भय और असुरक्षा हमारे द्वारा अनजाने में पैदा की जाती हैं, अन्यथा उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है।

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पद, ज्ञान और चरित्र, इन तीनों में पद श्रेष्ठ है, ज्ञान श्रेष्ठतर है और चरित्र श्रेष्ठतम। प्रकांड विद्वान होने के नाते रावण पुरोहित के रूप में श्री राम जी के लिए श्रेष्ठ अवश्य है, परंतु दुश्चरित्र और अहंकारी होने के कारण उसी श्री राम जी द्वारा उसका वध भी होता है। रावण महापंडित, महाबली जगत प्रसिद्ध राजा है, महाज्ञानी है, उसके पास सब कुछ है, मगर वह चरित्रवान नहीं है। इसी कारण सदियों से रावण का दहन किया जा रहा है। रावण दहन की परंपरा समाज में चरित्र की परमश्रेष्ठता को प्रतिष्ठित करने की परंपरा है।

व्यक्ति श्रेष्ठ वही है जिसमें दृढ़ता हो, पर जिद नहीं।
वाणी हो, पर कटुता नहीं।
दया हो, पर कमजोरी नहीं।
ज्ञान हो, पर घमंड नहीं।बलशाली हो, पर क्रोध नहीं।

वर्तमान समय में रामराज्य का प्रयोग सर्वोत्कृष्ट शासन या आदर्श शासन के रूपक (प्रतीक) के तौर पर किया जाता है। रामराज्य, लोकतन्त्र का परिमार्जित रूप माना जा सकता है। वैश्विक स्तर पर रामराज्य की स्थापना गांधीजी की चाह थी। गांधीजी ने भारत में अंग्रेजी शासन से मुक्ति के बाद ग्राम स्वराज के रूप में रामराज्य की कल्पना की थी इसलिए बिना रामराज्य के भारत का कल्याण और विकास सम्भव नहीं है।

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