Abdul majid nizami

कोरोना वायरस संक्रमण से लापरवाही करने के चलते दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित तबलीगी जमात का मरकज लोगों के निशाने पर है. वहीं, कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरों और सरकारों के हिदायत के बाद तबलीगी जमात मरकज में इतने लोग कैसे जुट गए जबकि 17 मार्च को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने दिल्ली में 50 लोगों से ज्यादा इकट्ठा होने पर रोक लगा दी थी. इसके बावजूद प्रशासन आंखे बंद किए हुए बेपरवाह रहा जबकि निजामुद्दीन थाने की दिवार तबलीगी जमात के मरकज से लगी हुई है. ऐसे में पुलिस और प्रशासन की लापरवाही और चूक का नतीजा नहीं है?

दिल्ली के तबलीगी जमात के मरकज में मौजूद 24 लोग अब तक कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. यह जानकारी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सतेंदर जैन ने दी है. उन्होंने कहा कि हमें सटीक आंकड़ा नहीं पता, लेकिन मरकज में 1500 से 1700 लोग इकट्ठा हुए थे. अभी तक 1033 लोगों को बाहर निकाला जा चुका है. इनमें से अब तक 334 लोगों को हॉस्पिटल भेजा गया है, जबकि 700 लोगों को क्वारनटीन सेंटर भेजा गया है. इसके अलावा आस-पास के इलाके को भी सैनिटाइज किया जा रहा है.दिल्ली में कोरोना संक्रमण की इस स्थिति के लिए तबलीगी जमात के लोगों की जितनी जिम्मेदारे है उससे कम प्रशासन और सरकार नहीं है. सरकार और प्रशासन की लापरवाही और नाकामी का ये नतीजा है कि समय रहतेइस दिशा में कदम क्यों नहीं उठाया गया जबकि पिछले एक महीने से ज्यादा समय से अलर्ट था.

इसके बाद भी तबलीगी जमात में लोगों के आने-जाने का सिलसिला जारी रहा. दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने विदेश से आने वाले जमात के लोगों को नहीं रोका, जिसके चलते आज यह हालत बनी है.कोरोना संक्रमण के खतरों को भांपते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 17 मार्च को राजधानी में 50 से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा थी. इसके अलावा मस्जिद में भी नमाज पढ़ने और आफिस के बजाय घरों से काम करने की आपील की जाने लगी थी. इसके बाद भी निजामुद्दीन के तबगीली जमात मरकज में लोगों के इकट्ठा होने और जमातों के देश भर में आने जाने पर रोक नहीं लगाई गई. इतना ही मोदी सरकार ने भी अंतरराष्ट्रीय जहाजों के उड़ान पर 21 मार्च को रोक लगाया था किया,

लेकिन जमात में विदेश से आए लोगों को उनके मुल्क वापस भेजने की दिशा में सरकार की ओर से किसी तरह कोई फैसला नहीं किया. इसका नतीजा रहा कि विदेश से आए लोग जहां थे वहीं पर फंस गए.निजामुद्दीन थाने के एसएचओ ने 23 मार्च को सीपी को पत्र लिखा था, जिसमें यह बात कही गई थी कि तबलीगी जमात के लोग गाइड लाइन का पालन नहीं कर रहे हैं. वहीं, तबलीगी जमात की ओर को दिल्ली पुलिस को जो खत भेजा गया है, उसके मुताबिक 23 तारीख को मरकज से तकरीबन 15 सौ लोगों की उनके घरों के रवानगी हो गई है. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च की शाम को 24 मार्च की 21 दिनों के लिए लॉकडाउन कर दिया.दिल्ली पुलिस ने 24 मार्च को लॉकडाउन को देखते हुए

तबलीगी जमात के मरकज को सरकारी गाइडलाइंस का पालन करने का आदेश दिया. इसके बाद 24 मार्च को ही मरकज की ओर से मौलाना युसुफ ने जमात के लोगों को वापस उनके घरों तक छोड़ने के लिए एसडीएम से संपर्क कर गाड़ियों के पास की मांगा, लेकिन एसडीएम कार्यालय से उन्हें 25 मार्च को मिलने का समय दे दिया. इस तरह से दिल्ली प्रशासन की तरफ से विलंब किया गया और प्रशासन की कोताही साफ दिखती है.25 मार्च को मरकज की ओर से मौलाना युसुफ ने निजामुद्दीन के थाना प्रभारी को सूचित किया कि1500 लोग 23 मार्च को ही चले गए और एक हजार लोग बचे हैं.

ऐसे में उन्हें हम वापस भेजने के लिए पास के लिए एसडीएम से संपर्क किया है, लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया. इसके बाद 28 मार्च को एसीपी ने मरकज को पत्र लिखकर ‘अप्रत्याशित हालात’ के मद्देनजर कानूनों और गाइडलाइंस के पालन का निर्देश दिया. बाद में कुछ लोगों के कोरोना से संक्रमित होने की खबर आई, जिसके बाद आनन-फानन में वहां से लोगों को निकाला गया और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया.ऐसे में सवाल यह है कि आखिर प्रशासन के स्तर पर देरी और कोताही क्यों हुई. लॉकडाउन के बाद मरकज की तरफ से एकाएक सैकड़ों लोगों को बाहर कैसे भेजा जा सकता था. कोरोना संकट के गहराने के बावजूद मरकज ने लॉकडाउन से पहले लोगों को रवाना क्यों नहीं किया. दुनिया भर के हालात को देखते हुए विदेशी उलेमाओं को पहले ही जाने के लिए क्यों नहीं कहा गया? पुलिस और प्रशासन के स्तर पर पत्राचार के साथ ही मरकज से लोगों के भेजने के तेज प्रयास क्यों नहीं किए गए. अब ऐसे कई सवालों के जवाब मरकज, पुलिस और दिल्ली प्रशासन को देने होंगे?

(लेखक हिन्द न्यूज़ के ग्रुप एडिटर हैं)



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