आदरणीय प्रधानमंत्री जी

COVID-19 वैश्विक महामारी के चलते आपके द्वारा घोषित राष्ट्रीय लॉक डाउन के दौरान देश भर के करोड़ों नागरिक जो विभिन्न कारणों से अपने घर से दूर थे, रास्ते में फंसे हुए हैं। लॉक डाउन में फंसे हुए नागरिकों में करोड़ों दिहाड़ी/ठेका मज़दूर हैं जो रोज़ कमाते, रोज़ खाते हैं। इन सब का रोजगार खत्म हो गया है और ये सब बिना आय व भोजन की व्यवस्था के अपने घरों से दूर फंसे हुए हैं।

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देश भर के 40 करोड़ बेरोजगारों, ग़रीबों और श्रमिकों को पांच हजार रूपये प्रति माह आर्थिक सहायता देने की मांग करते हुए मैंने अपने जन्म दिवस 10 अप्रैल को एक दिन का रोज़ा (उपवास) रखा था। उसी दिन मुझे आप का शुभकामना संदेश भी प्राप्त हुआ जिस के लिए मैं आप का ह्रदय से धन्यवाद करता हूँ। मेरी उस मांग पर सरकार द्वारा अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। मैं पुनः आप से निवेदन करता हूँ कि देश के गरीबों के प्रति सहानुभूति रखते हुए उन्हें राहत देने हेतु मेरी मांग पर विचार करें।

मान्यवर, जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, लॉकडाउन में फ़ंसे लोगों की बेचैनी बढ़ती जा रही है। करोड़ों बेरोज़गार जो खुद भूखे फंसे हुए हैं, उन्हें गांवों में रह रहे अपने परिवार के अन्य सदस्यों की चिंता ने भी पीड़ित कर रखा है। स्थिति भयावह होती जा रही है। आपने एक महिला द्वारा अपने बच्चे को भूख से तड़पता देख आत्महत्या की घटना पढ़ी होगी वहीं गुरुग्राम में प्रवासी श्रीमिक छब्बू मंडल की आत्महत्या की घटना सहित ऐसी देश भर में सैंकड़ों जान जाने से आप अवगत होंगे। आपने सूरत, मदुरै तथा मुंबई के मेहनतकश मजदूरों द्वारा अपने गांव वापस जाने के लिए लॉक डाउन तोड़ते हुए हजारों की संख्या में बाहर निकलने की घटना भी देखी होगी ।

 देश में करोड़ों की संख्या में गरीब, मज़दूर अपने घर अपने परिवार के पास लौटना चाहते हैं। मैनें इस विषय मे गृहमंत्री श्री अमित शाह जी को पत्र लिखा था। परंतु उनके द्वारा इस विषय पर किसी कार्यवाही की जानकारी मुझे अभी तक नहीं मिली है।मेरे संसदीय क्षेत्र अमरोहा के 35 लोग बैतूल मे फंसे हुए हैं। मैंने माननीय गृहमंत्री जी से उन्हें बैतूल से अमरोहा पहुचाने में

मदद मांगी थी। इस विषय में मैंने कल गृह सचिव से भी दूरभाष पर बात की थी।

हाल ही में मुझे मीडिया के माध्यम से ज्ञात हुआ कि कोटा मे कोचिंग ले रहे छात्र /छात्राओं को बसें भेजकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में भिजवाया जा रहा है। मैं इस कदम की तहे दिल से प्रशंसा करता हूँ। ऐसी ही व्यवस्था देश में अपने घरों से दूर फंसे हर नागरिक के लिए करनी चाहिए। किसी नागरिक के साथ ऐसे नाजुक मौके पर भेद भाव नहीं करना चाहिए। जब सरकार विदेश में फंसे नागरिकों को हवाई जहाज भेज कर वापस ला सकती है तो देश के आम नागरिकों को स्पेशल ट्रेन से घर भिजवाने की व्यवस्था भी कर देनी चाहिए। मेरा आप से निवेदन है कि स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था कर के आप देश को बता दें कि सरकार सब के लिए होती है और वो अमीर और गरीब नागरिकों में भेद नही करती है।

 मैं आपसे अनुरोध करना चाहता हूँ कि आप अविलम्ब जो जहां एक बार जाना चाहता है उसे वहां पहुचाने के लिए रेल, बस, आदि की सरकारी खर्चे पर व्यवस्था कराने हेतु जनहित में निर्णय करें। आपसे यह भी अनुरोध करना चाहता हूँ कि जिन जिलों में एक भी कोरोना संक्रमित नागरिक नही है उन जिलों के भीतर अंदरूनी आवाजाही के लिए लॉकडाउन समाप्त कर देना चाहिए। ज़िले में बाहर से आने वाले सभी नागरिकों की जांच की व्यवस्था की जानी चाहिए। कोई लक्षण न होने पर घर में ही क्वॉरंटीन किया जाना चाहिए। ज़िले की इकाई को तहसील / ब्लॉक तक भी ले जाया जा सकता है।

होना तो यह चाहिए था कि जब आपने दूसरी बार लॉक डाउन बढ़ाने की घोषणा की थी तब तक उन सभी नागरिकों की जांच पूरी हो जानी चाहिए थी जो अपने घर वापस जाना चाहते है। यह प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए थी ताकि जिन जगहों या इलाकों में संक्रमण नहीं है, वहां संक्रमित व्यक्ति के पहुँचने की संभावना समाप्त हो जाती। कोरोना टेस्ट की अति धीमी गति से महामारी की व्यापकता का पूरा पता नहीं चल पा रहा है ।

आपके पास प्रधानमंत्री होने के नाते पूरे देश तक मन की बात पहुँचाने का तंत्र मौजूद है। कम से कम सांसदों को लॉक डाउन के समय अपने संसदीय क्षेत्र के नागरिकों तक अपनी बात पहुँचाने का कोई तंत्र उपलब्ध कराया जाना चाहिए।आल इंडिया रेडियो, एफ़ एम रेडियो, लोकल टेलीविजन चैनल्स के माध्यम से यह सम्भव है। इसके लिए स्लॉट तय किये जाने चाहिए। सभी सांसदों को ज़िले (लोक सभा क्षेत्र) के अधिकारियों के साथ कम से कम सप्ताह में एक बार वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग की सुविधा दी जानी चाहिए ।

आशा है कि आप मेरे सुझावों को गंभीरता से लेकर उक्त समस्याओं के निराकरण के लिए अविलंब निर्णय लेंगे और अगर उचित समझें तो मेरे सुझाव 26 अप्रैल को ‘मन की बात’ में शामिल करें ।

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