नई दिल्ली: एमपी पुलिस ने कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे को गुरूवार शाम को यूपी एसटीएफ़ को सौंप दिया है, बताया गया है कि यूपी एसटीफ़ दुबे को कानपुर ले जाएगी, अब दुबे से आगे की पूछताछ कानपुर में ही होगी, यूपी के गैंगस्टर विकास दुबे को गुरूवार सुबह एमपी के उज्जैन में पकड़ा गया था, लेकिन उसने सरेंडर किया या वह गिरफ्तार हुआ? इसे लेकर पुलिस की कहानी में झोल ही झोल हैं,
दिन भर देश भर में यही सवाल जागरूक लोगों द्वारा पूछा जाता रहा कि दुबे ने सरेंडर किया है या पुलिस ने उसे गिरफ़्तार किया है, हालांकि मध्य प्रदेश पुलिस ने गिरफ़्तार करने का दावा किया और प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी गिरफ्तारी की बात कही, कानपुर में आठ पुलिस वालों को मौत के घाट उतारने के बाद से ही विकास दुबे अपने साथियों के साथ फरार चल रहा था, उसके हरियाणा के फरीदाबाद में होने की सूचना आई थी, पुलिस को वहां से चकमा देकर वह उज्जैन भाग गया था, यूपी पुलिस ने उस पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित किया था, यूपी पुलिस सरगर्मी से विकास की तलाश कर रही थी, लेकिन वह पुलिस के इंतजामों को धता बताते हुए मध्य प्रदेश पहुंच गया,
2 जुलाई की रात को बिकरू गांव में दुबे को पकड़ने गई पुलिस टीम के 8 जवानों की शहादत के बाद से ही पुलिस ने रूख़ बेहद सख़्त कर लिया था, पुलिस ने बीते एक हफ़्ते में दुबे के कई करीबियों को ढेर कर दिया और कुछ को गिरफ़्तार कर लिया, कुछ दिन पहले पुलिस ने विकास दुबे के तीन साथियों श्यामू वाजपेयी, जहान यादव और संजीव दुबे को गिरफ़्तार किया और इसी दौरान हरियाणा की फरीदाबाद पुलिस ने भी मुठभेड़ के दौरान विकास के तीन सहयोगियों कार्तिकेय उर्फ प्रभात निवासी बिकरू गांव, अंकुर निवासी ग्राम कापूपुर, कानपुर व एक अन्य बदमाश श्रवण को गिरफ़्तार किया,
8 जुलाई को बुधवार तड़के हमीरपुर जिले के मौदहा थानाक्षेत्र में एसटीएफ उत्तर प्रदेश एवं स्थानीय पुलिस के साथ मुठभेड़ में विकास दुबे गैंग के शातिर अपराधी अमर दुबे को मार गिराया गया, अमर दुबे कानपुर हत्याकांड का नामज़द एवं वांछित अभियुक्त था, 9 जुलाई की सुबह भी यह ख़बर आई कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के दो सहयोगियों को पुलिस ने गुरुवार सुबह अलग-अलग मुठभेड़ में मार गिराया है, इन दोनों में से एक तो हिरासत में था और पुलिस के अनुसार कानपुर ले जाने के दौरान भागने की कोशिश में मारा गया, जबकि दूसरे के साथ पुलिस की आमने-सामने की मुठभेड़ हुई, इनमें से एक का नाम प्रभात मिश्रा और दूसरे का नाम रणबीर उर्फ़ बउआ दुबे बताया गया,
विकास दुबे के पकड़े जाने के बाद मध्य प्रदेश कांग्रेस ने गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के कानपुर कनेक्शन को लेकर भी सवाल उठाये हैं, उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में मिश्रा कानपुर के प्रभारी रहे थे, आज हुए घटनाक्रम को मध्य प्रदेश कांग्रेस मिश्रा के कानपुर के पुराने प्रभार से जोड़कर सवाल खड़े कर रही है, कांग्रेस ने कहा कि दाल में कुछ काला की बात छोड़िए यहां तो पूरी दाल ही काली है, पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यसभा के सदस्य दिग्विजय सिंह ने तो विकास को पकड़े जाने की कहानी पर सवाल उठाते हुए सबकुछ ‘फिक्स’ बता दिया है, उन्होंने मामले की न्यायिक जांच की मांग भी की है,
उधर, नरोत्तम मिश्रा का कहना है, ‘मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस समाप्ति की ओर है, उसके नेता चूक गये हैं, बिना सिर-पैर वाले आरोप लगाना उनकी फितरत हो चुकी है,’ विकास दुबे पर 60 आपराधिक मुक़दमे दर्ज हैं, यह भी जानकारी सामने आई कि दुबे को बचपन से ही जरायम की दुनिया में नाम कमाने का शौक था, वह काफी समय से गैंग बनाकर लूटपाट और हत्याएं कर रहा था और इस काम में उसे राजनेताओं और पुलिस का भी भरपूर सहयोग मिलता रहा है