शमशाद रज़ा अंसारी
“कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता
एक पत्थर तो तबीअ’त से उछालो यारो”
दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को सार्थक कर रही हैं पगडंडियां की संस्थापक शालू पांडे। शालू पांडे ऐसी योजना पर काम कर रही हैं जिससे आगे चलकर सैकड़ों महिलाओं को काम मिलेगा। दरअसल पगडंडियां संस्था लगभग 22 मार्च से इन लोगों की हेल्प कर रही है। संस्था सभी मजदूर वर्ग एवं प्रवासी लोगों के लिए खाने एवं राशन की व्यवस्था करने में लगी हुई थी।
इसी दौरान संस्था ने महसूस किया कि लॉकडाउन के कारण घरों में काम करने वाली महिलाओं को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना वायरस के कारण सोसायटियों में काम करने वाली महिलाओं का प्रवेश वर्जित हो गया है और इनके सामने दो वक्त की रोटी की समस्या आन पड़ी है। इसके अलावा घर का किराया और बिजली के बिल की मार अलग से थी। संस्था के पदाधिकारियों ने विचार किया कि इस तरह से राशन देने के बजाय अगर इन्हीं पैसों से इन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए तो यह इनके लिए अधिक हितकारी होगा।
इस सोच को धरातल पर लाते हुये पगडंडिया संस्था की अध्यक्ष शालू पांडे ने पच्चीस महिलाओं को साथ लेकर मधुबन बापूधाम में अचार ,मठरी ,नमकपारे, सॉफ्ट टॉयज और पेपर बैग्स का काम शुरू किया। जिसको ये सभी महिलाएं बड़ी ही तल्लीनता और होशियारी के साथ कर रही हैं। अब तक इस ग्रुप के साथ लगभग साढ़े तीन सौ महिलाएं जुड़ चुकी हैं।
इन महिलाओं द्वारा कटहल, करेला, आम, नींबू, मिर्च, अदरक आदि के विभिन्न प्रकार के अचार पूरी साफ-सफाई के साथ बनाए जा रहे हैं। इनके द्वारा बनाये गये अचार को लोगों के द्वारा काफी पसंद भी किया जा रहा है। आम लच्छा,चना, कटहल, नींबू, अदरक तथा मिर्ची की बहुत मांग है। शालू पांडे ने बताया कि 25 जून से शुरू किये गये इस काम का बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है। फरीदाबाद से भी ऑर्डर आया है,हम लोग दूसरी बार वहाँ डिलिवर करवा रहे हैं। शालू पांडे ने कहा कि मैं आप सभी लोगों से अनुरोध करती हूँ कि आप लोग भी यथासम्भव इनकी मदद कीजिए। क्योंकि ये काम करने वाले लोग हैं जोकि मेहनत मजदूरी करके खाना पसंद करते हैं। लॉकडाउन के चलते बेरोजगारी की वजह से समय ने उन्हें हाथ फ़ैलाने के लिए मजबूर कर दिया है।
“स्वदेशी अपनायें,आत्मनिर्भर बनें” पर अमल करते हुये सामान खरीदें। हम लोग बाहर से सामान लाते हैं, जिसका हमें यह नहीं पता रहता कि यह किसने और कैसे बनाया है। यहाँ तो आप अपनी आंखों से आकर देख सकते हैं कि सेंटर पर काम किस तरह और कितनी सफाई से किया जा रहा है। यहाँ आप देखेंगे कि किस प्रकार पूरी सावधानी और साफ़ सफाई अपनाते हुए अचार, मठरी, नमकपारे, नमकीन इत्यादि बनाए जा रहे हैं। महंगाई और बेरोज़गारी के दौर में पगडंडियां संस्था द्वारा की गयी यह पहल निश्चिन्त तौर पर सराहनीय है। जरूरतमन्दों की मदद तो बहुत संस्था कर रही हैं। लेकिन पगडंडियां संस्था द्वारा रोज़गार मुहैया कराने की दिशा में बढ़ाया गया यह कदम उन स्वाभिमानी लोगों के लिए बहुत लाभकारी है जो किसी के सामने हाथ फैलाना पसन्द नही करते।
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