नई दिल्ली : दिल्ली सरकार ने स्कूलों में शत-प्रतिशत रिजल्ट के बड़े सपने पर काम करना शुरू कर दिया है, बारहवीं में सरकारी स्कूलों में 98 फीसदी रिजल्ट के बाद इस दिशा में कई कदम उठाए गए हैं, आज उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बारहवीं के कुछ अनुतीर्ण बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करके जानना चाहा कि स्कूली शिक्षा में क्या बदलाव लाए जाएं, दिल्ली सचिवालय में हुई इस बैठक में बच्चों के साथ पेरेंट्स ने भी सुझाव दिए, उल्लेखनीय है कि कल मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा सिसोदिया ने बारहवीं के मेधावी स्टूडेंट्स से भी चर्चा की थी.
आज बच्चों से बातचीत करते हुए सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों के इस बार दो प्रतिशत बच्चे पास नहीं हो पाए हैं, अगर हम इसे सिर्फ आंकड़ों के तौर पर देखें तो यह बहुत कम है, हम 98 फीसदी रिजल्ट से संतुष्ट हो सकते हैं, लेकिन हमारे लिए ये हमारे बच्चे हैं, कोई आंकड़ा नहीं, हमारे लिए हर बच्चा महत्वपूर्ण है, इसीलिए मैं उन बच्चों से मिल रहा हूं जो किसी कारणवश इस वर्ष उत्तीर्ण नहीं हो पाए.
सिसोदिया ने कहा कि हम हर बच्चे पर बराबर मेहनत करते हैं, लेकिन अगर किसी कारणवश कोई अच्छे परिणाम नहीं ला पाता, तो हमें उन पर भरोसा बनाए रखें, हम उन पर और अधिक मेहनत करें ताकि कोई भी बच्चा पीछे ना छूटे, श्री सिसोदिया ने कहा कि कई बात असफलता एक अवसर लेकर आती है, हम अगले साल की पूरी तैयार में जुट गए हैं, सिसोदिया ने कहा कि आपकी एक बस छूट जाए, तो आपकी मंजिल नहीं बदल जाती, आप दूसरी बस पकड़कर अपने घर जाते हो.
सिसोदिया ने बच्चों से मदद मांगते हुए खुलकर बोलने के लिए उत्साहित किया, उन्होंने पूछा कि हममें क्या कमी रह गयी, यह बताओ ताकि हम उसे और बेहतर कर सकें, आज किसी प्रिंसिपल या टीचर को नहीं बुलाया गया है ताकि आप मुझसे बड़े भाई की तरह खुलकर बात कर सकें, हमारे स्कूलों में काफी बदलाव आया है, फिर भी कुछ कमी रह गई हो, तो उसे ठीक करने में आपकी मदद चाहिए, अगर कुछ बच्चे पास नहीं हो सके तो हमारे सिसटम में क्या कमी रह गई, यह बात हम समझना चाहते हैं, अगले साल एक भी बच्चा न छूटे, यह तभी संभव होगा, जब आप हमें बताएंगे, श्री सिसोदिया ने कहा कि आपका दिल दुखी है, फिर भी आप हमारी मदद कर सकते हो.
सिसोदिया ने कहा कि असफलता जैसी कोई चीज नहीं होती, यह जिंदगी का अंत नहीं, ना ही यह मंजिल है, अगर अपनी कमियां दूर कर ली, तो हो सकता है आप अगले साल टोपर बनो.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली के सरकारी स्कूल के बच्चों ने बारहवीं में 98 फीसदी का ऐतिहासिक रिजल्ट दिया, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी के साथ कल मुलाकात में बच्चों के संघर्ष की कई दिलचस्प कहानियां भी सामने आयीं, रोहिणी की चारू यादव की कहानी बड़ी प्रेरणादायी थी, उसने ग्यारहवीं में पास नहीं हाने के कारण पढाई बीच में ही छोड़ दी थी, लेकिन शिक्षकों ने हौसला बढ़ाया तो इस साल वह आर्ट्स में टाॅपर हो गई.
सिसोदिया ने स्टूडेंट्स को अपने आसपास के ऐसे बीस लोगों की सूची बनाने का सुझाव दिया, जो व्यापार, नौकरी इत्यादि में सफलता हों, ऐसे लोगों को अपने जीवन में किन संघर्षों से गुजरना पड़ा, यह जानने की सलाह दी, श्री सिसोदिया ने कहा कि बड़ी सफलता पाने वाले लोगों को भी काफी झटके खाने पड़ते हैं, जिंदगी में ऊपर नीचे चलता रहता है, इसलिए मुझसे बड़े भाई की तरह खुलकर दिल की बात करो.
इस दौरान स्टूडेंट्स ने खुलकर अपनी बात रखी, हर स्टूडेंट से उपमुख्यमंत्री पूछते रहे कि आपकी क्लास में टीचर आते थे या नहीं, स्कूल में कोई कमी रह गई हो तो बताओ, ज्यादातर स्टूडेंट्स ने कहा कि स्कूल और शिक्षकों में कोई कमी नहीं रही, स्टूडेंट्स ने मुख्यतः अपनी किन्हीं पारिवारिक वजहों से पूरी तैयारी नहीं कर पाने की बात कही, कई स्टूडेंट्स ऐसे भी थे, जिनके सिंगल पेरेंट्स होने के कारण आर्थिक तथा अन्य परेशानी थी, किसी स्टूडेंट की माँ बीमार थी, किसी का भाई मानसिक अवसाद से गुजर रहा था, किसी की बहन की शादी लग गई, कोई खुद बीमार हो गया.
सिसोदिया ने इन विषयों पर गंभीरता से विचार करते हुए समुचित हल ढूंढ़ने पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि सिंगल पैरेंट के कारण जिन बच्चों की पढ़ाई में बाधा आती हो, उनकी पहचान करके उनके लिए कोई विशेष प्रयास करने पर भी विचार किया जाएगा.
एक स्टूडेंट ने बताया कि उसने पेरेंट्स के प्रेशर में कॉमर्स लिया, जबकि वह आर्ट्स लेना चाहती थी, इसलिए अच्छा नहीं कर पायी, सिसोदिया ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि हम इस बात पर जोर देंगे कि दसवीं के बाद बच्चों के साथ पेरेंट्स की भी काउंसिलिंग हो ताकि हर बच्चे का उसकी दिलचस्पी वाले विषय में ही नामांकन हो, माता पिता को भी यह बात समझनी होगी कि बच्चों को अपनी पसंद का विषय लेने दें.
विधायक एवं शिक्षा मंत्री की पूर्व सलाहकार आतिशी ने बच्चों से बातचीत में कहा कि कोई स्टूडेंट ’फेल’ हो गया, ऐसा कहना गलत है, हम अच्छे नंबर लाएं, यह जरूरी है, लेकिन तीन घंटे की परीक्षा के परिणाम से किसी स्टूडेंट्स का पूरा आकलन नहीं किया जा सकता, हरेक में काफी गुण होते हैं, अमग कोई फेल हुआ तो असल में हम खुद फेल हुए हैं, हमारा स्कूल फेल हुआ है, जो आपको आपकी मंजिल तक नहीं पहुंचा सका.
झलकियां
एक स्टूडेंट ने कहा- मेरा सब्जेक्ट काॅमर्स था, इस पर श्री सिसोदिया ने कहा- था नहीं, है, ऐसे आसानी से मैदान नहीं छोड़ते, हमारे स्कूल में क्या कमी रह गई? श्री सिसोदिया के इस सवाल पर एक स्टूडेंट ने कहा- सर, स्कूल ने फेसिलिटी तो बहुत दी, न स्कूल में कमी थी, न आपमें कमी थी, बस हमारे ही घर में कुछ दिक्कत आ गई थी.
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