नई दिल्ली: गहलोत सरकार सियासी संग्राम में अब निर्णायक जंग चाहती है, इसके लिए 31 जुलाई को विधानसभा सत्र बुला रही है विधानसभा सत्र आहूत करने का संशोधित प्रस्ताव फिर से राज्यपाल कलराज मिश्र के पास भेजा जा चुका है सरकार का कहना है कि ये उनका कानूनी अधिकार है राज्यपाल ने जो सवाल उठाये थे उनका उचित जवाब दिया जा चुका है अब उनकी सलाह सरकार के लिए अनिवार्य नहीं है सरकार में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा है कि ‘हम 31 जुलाई से सत्र चाहते हैं जो पहले प्रस्ताव था, वह हमारा अधिकार है, कानूनी अधिकार है उसी को हम वापस भेज रहे हैं’उन्होंने कहा, ‘अब अगर आप यदि तानाशही पर आ जाएं, आप अगर तय कर लें कि हम जो संविधान में तय है, उसे मानेंगे ही नहीं तो देश ऐसे चलेगा क्या?’
सरकार ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से आहूत करने के लिए संशोधित प्रस्ताव मंगलवार को राज्यपाल को भेजा मंत्रिमंडल की बैठक में संशोधित प्रस्ताव पर विचार-विमर्श के बाद इसे राजभवन भेजा गया है राजभवन के सूत्रों के अनुसार फाइल राजभवन पहुंच गयी है इससे पहले आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मंत्रिमंडल से मंजूरी के बाद संशोधित पत्रावली मंगलवार को राजभवन भेजी गयी, मंगलवार को राज्यपाल को भेज गए नए संशोधित प्रस्ताव में भी सरकार ने फ्लोर टेस्ट की बात का खुलासा नहीं कयिा है सूत्रों के अनुसार सरकार ने अपने संशोधित प्रस्ताव में भी यह उल्लेख नहीं किया है कि वह विधानसभा सत्र में विश्वासमत हासिल करना चाहती है या नहीं हालांकि, इसमें 31 जुलाई से सत्र आहूत करने का प्रस्ताव है राज्य सरकार ने तीसरी बार यह प्रस्ताव राज्यपाल को भेजा है.
मंगलवार को भेजे गए संशोधित प्रस्ताव से पहले राज्यपाल दो बार कुछ बिंदुओं के साथ प्रस्ताव सरकार को लौटा चुका है हालांकि नए संशोधित प्रस्ताव से पहले राजस्थान मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुई बैठक में विधानसभा सत्र बुलाने के संशोधित प्रस्ताव पर राज्यपाल द्वारा उठाए गए बिंदुओं पर चर्चा की गई और उचित जबाव तैयार किया गया, परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि ‘हमें पूरी उम्मीद है कि राज्यपाल महोदय देश के संविधान का सम्मान करते हुए राजस्थान की गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल के इस प्रस्ताव को मंजूर करेंगे’ उन्होंने कहा,‘हालांकि कानूनन राज्यपाल को सवाल करने का अधिकार नहीं, फिर भी उनका सम्मान रखते हुए उनके बिंदुओं का बहुत अच्छा जवाब दिया गया है अब राज्यपाल को तय करना है कि वह राजस्थान, हर राजस्थानी की भावना को समझें.
मंत्री ने कहा, ‘हम राज्यपाल से टकराव नहीं चाहते हमारी राज्यपाल से कोई नाराजगी नहीं है न ही हम दोनों में कोई प्रतिस्पर्धा है राज्यपाल हमारे परिवार के मुखिया हैं’ उन्होंने कहा, ‘राज्यपाल महोदय संविधान के अनुसार विधानसभा सत्र आहूत करने की अनुमति दें यह हमारा अधिकार है हम कोई टकराव नहीं चाहते हम चाहते हैं कि राजस्थान की सरकार सुनिश्चित रहे, आगे बढ़े और जनता का काम करे.
रिपोर्ट सोर्स, पीटीआई
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