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दिल्ली : BJP ने एमसीडी में किया डेंगू रोधी दवा का घोटाला : दुर्गेश पाठक

नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने डेंगू के मच्छरों के खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली दवाई की खरीदारी को लेकर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता पर निशाना साधा। दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा शासित एमसीडी ने डेंगू रोधी दवा 3256.80 रुपये प्रति किलो में खरीदी है, जबकि भोपाल नगर निगम ने इसी दवा को 2500 रुपये प्रति किलो में खरीदा है। इसकी खरीद में एमसीडी ने 750 रुपये अधिक दिया है। जबकि भाजपा शासित एमसीडी के उप मुख्य लेखाकार ने इस खरीद पर आपत्ति जताई थी और जब यह दवा खरीदी गई, उस समय वर्तमान दिल्ली भाजपा प्रमुख अदेश गुप्ता स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य थे। उन्होंने सवाल किया कि अदेश गुप्ता को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने डीएसी की आपत्ति के बावजूद इस दवा को इतनी अधिक कीमत में क्यों खरीदने दिया? यह करोड़ों से अधिक का घोटाला है, क्या दिल्ली भाजपा प्रमुख को इस घोटाले के बारे में पता था?

मंगलवार को पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली में डेंगू के खिलाफ एक ड्रामा शुरू किया है। इसी तरह से उन्होंने 10-15 दिन पहले भी दिल्ली में साफ-सफाई को लेकर एक ड्रामा शुरू किया था, जिसमें उन्होंने साफ जगह जाकर कूड़ा डलवाकर सफाई शुरू कर दी थी। इस तरह के बहुत सारे अभियान भाजपा चलाती रहती है।

आप नेता दुर्गेश पाठक ने आगे कहा कि दरअसल, यह सारे अभियान कहीं न कहीं भ्रष्टाचार करने का एक बहुत बड़ा मौका भाजपा के नेताओं को देते हैं। यह सारे अभियान पैसा बनाने का एक मौका हैं। इसी संदर्भ में उन्होंने भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यभा सदस्य विजय गोयल का बयान याद दिलाते हुए कहा कि मार्च 2019 में उन्होंने कहा था, अगर आप मुझसे कहोगे कि एमसीडी कैसी है? तो मैं कहूंगा कि वो चोर है, मुझे इससे कोई इनकार नहीं है।

दुर्गेश पाठक ने आगे कहा कि आज उन्होंने जो डेंगू को लेकर अभियान शुरू किया है, इस अभियान में भी एक बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है। दरअसल, डेंगू के मच्छर के खिलाफ जिस दवा का छिड़काव किया जाता है, उसको खरीदने में बहुत बड़ा घोटाला सामने आया है। 25 जुलाई 2019 को भाजपा शासित तीनों निगमों ने मिलकर यह दवा खरीदी थी और इस दवा की कीमत 3256 रुपये 80 पैसे प्रति किलो बताई थी। उन्होंने कहा कि जब हमने इसकी जांच की तो पता चला कि यही दवा भोपाल नगर पालिका ने 2500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदी है। दोनों दवा की क्वालिटी में किसी प्रकार का कोई अंतर नही है। अब प्रश्न यह उठता है कि जब भोपाल नगर पालिका ने यह दवा 2500 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदी है, तो भाजपा शासित दिल्ली नगर निगम ने वही दवा 3256 रुपये 80 पैसे प्रति किलो के हिसाब से क्यों खरीदी? दिल्ली नगर निगम ने यह दवा खरीदने के लिए कंपनी को लगभग 750 रुपये प्रति किलो ज्यादा दाम दिए। सबसे बड़ी बात यह है कि इस पूरी खरीदारी और कीमत पर एमसीडी के डिप्टी चीफ एकाउंटेंट (डीसीए) ने भी आपत्ति जताई थी।

दुर्गेश पाठक ने आगे कहा कि डिप्टी चीफ एकाउंटेंट ने लिखित रूप में कहा था कि जब भोपाल नगर पालिका ने 2500 रुपये में दवा खरीदी है, तो आप इसे इतनी महंगी क्यों खरीद रहे हो? डिप्टी चीफ एकाउंटेंट द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद भी भाजपा की एमसीडी ने इसे महंगे दामों पर खरीदा। सबसे दिलचस्प बात यह है कि जब इस खरीदारी पर डिप्टी चीफ एकाउंटेंट आपत्ति जता रहे थे, उस समय भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता स्टैंडिंग कमेटी के सदस्य थे।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से सवाल करते हुए आप नेता ने कहा कि हमारा सीधा सवाल आदेश गुप्ता से है। दिल्ली की जनता की खून-पसीने की कमाई जो एमसीडी को टैक्स के रूप में मिलती है, उसके बावजूद भी जब दिल्ली के डॉक्टरों को वेतन देने के लिए एमसीडी के पास पैसे नहीं, जब दिल्ली एमसीडी में काम करने वाले शिक्षकों को वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं, ऐसे समय में भी भाजपा शासित एमसीडी 750 रुपए प्रति किलो महंगी दवाई क्यों खरीद रही है? उन्होंने आदेश गुप्ता से सवाल किया कि जब डिप्टी चीफ एकाउंटेंट ने इस खरीदारी पर आपत्ति जताई थी, तो कहीं न कहीं आपके संज्ञान में भी यह मुद्दा आया होगा, आपकी जानकारी में भी यह सारी चीजें आई होंगी, आपने इसे क्यों नहीं रोका? क्या आप इन सारी बातों से जागरूक थे? क्या यह सारा घोटाला आपको पता था?

आदेश गुप्ता पर निशाना साधते हुए दुर्गेश पाठक ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि भाजपा की एमसीडी हर दूसरे दिन कहती है कि उसके पास पैसे नहीं हैं। जब दिल्ली में पढ़ाने वाले शिक्षक धरने पर बैठे होते हैं, उनके बच्चों को दूध और खाना नहीं मिलता, एमसीडी के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को किताबें नहीं मिलतीं, उस समय आपकी एमसीडी इस दवा को 750 रुपये महंगी खरीदती है, करोड़ों रुपयों का घोटाला इसके अंदर होता है, तो आप चुप क्यों थे? क्या आप सारी चीजें जानते थे? इसमें आपकी भी तो कोई भागीदारी नहीं है?  उन्होंने आदेश गुप्ता से सवाल किया कि आपको इस घोटाले के बारे में पता था या नहीं?

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