लखनऊ (यूपी) : हाथरस की घटना के विरोध में कांग्रेस ने कई राज्यों में जोरदार प्रदर्शन किया है, विशेषकर यूपी में कांग्रेस कार्यकर्ता कई जगहों पर और बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे हैं, प्रदेश अध्यक्ष लल्लू के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में मंगलवार शाम को कैंडल लाइट मार्च निकाला, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया.
यह मार्च लखनऊ में कांग्रेस मुख्यालय से निकल रहा था, पुलिस के द्वारा मार्च को रोके जाने पर लल्लू सहित सैकड़ों कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए, कार्यकर्ताओं ने वाराणसी, कौशांबी, हाथरस, बांदा, गोरखपुर, मेरठ, चंदौली, अमेठी सहित प्रदेश में कई जगहों पर प्रदर्शन किया है, इसके अलावा दिल्ली में भी महिला कांग्रेस की कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है, कांग्रेस का कहना है कि जिस आवाज को दबाने के लिए योगी सरकार इतनी बेताब है, वो आवाज और भी ऊंची होती जाएगी, कार्यकर्ताओं ने ‘हाथरस की बेटी को न्याय दो’ के नारे भी लगाए.
हाथरस में 14 सितंबर को दलित परिवार की बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, दरिंदों ने उसकी जीभ काट दी थी, उसके गले की हड्डी टूट गई थी क्योंकि बलात्कारियों ने चुन्नी से उसका गला घोटने की कोशिश की थी और उसकी पीठ में भी गहरी चोटें आई थीं, इस लड़की की मौत के बाद देश भर में गुस्सा है, कोरोना संक्रमण के ख़तरे के बावजूद लोग सड़कों पर निकल रहे हैं और योगी सरकार के निकम्मेपन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठा रहे हैं, राजनीतिक दलों से जुड़ी महिला नेताओं ने इसके लिए योगी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है, उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि मृतक लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि मेडिकल रिपोर्ट में नहीं हुई है, बुरी तरह से पिटाई के बाद लकवाग्रस्त हो चुकी पीड़िता के शरीर पर आई गंभीर चोटों का भी जिक्र सरकारी मेडिकल रिपोर्ट में नहीं किया गया है.
पुलिस की ओर से ही उपलब्ध करायी गयी मेडिकल रिपोर्ट में और खुद आईजी जोन के बयान में बलात्कार को सिरे से नकार दिया गया है, आईजी जोन ने कहा है कि मृतका के साथ मारपीट हुई थी और पहले उन्ही धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था, उनका कहना है कि बाद में मृतका ने छेड़खानी की बात कही तो धाराएं बढ़ायी गयीं, आईजी के मुताबिक़, घटना के कई दिनों के बाद मृतका ने चार लोगों द्वारा बलात्कार करने की बात कही जिसके बाद इन धाराओं को लगाया गया, रेप पीड़िता की मौत से पहले और बाद में उसके परिवार वाले और इलाज कर रहे डॉक्टरों ने गंभीर चोटों व बुरी तरह से पिटाई की बात कही, परिजनों का कहना है कि जीभ काट दी गयी और रीढ़ की हड्डी तक तोड़ दी गयी, हालांकि यूपी पुलिस अब भी इन सबसे इंकार कर रही है, पुलिस ने मृतका के साथ हुई हैवानियत तक को नकार दिया है.
पुलिस की ओर से ही उपलब्ध करायी गयी मेडिकल रिपोर्ट में और खुद आईजी जोन के बयान में बलात्कार को सिरे से नकार दिया गया है, आईजी जोन ने कहा है कि मृतका के साथ मारपीट हुई थी और पहले उन्ही धाराओं में मुकदमा भी दर्ज किया गया था, उनका कहना है कि बाद में मृतका ने छेड़खानी की बात कही तो धाराएं बढ़ायी गयीं, आईजी के मुताबिक़, घटना के कई दिनों के बाद मृतका ने चार लोगों द्वारा बलात्कार करने की बात कही जिसके बाद इन धाराओं को लगाया गया, रेप पीड़िता की मौत से पहले और बाद में उसके परिवार वाले और इलाज कर रहे डॉक्टरों ने गंभीर चोटों व बुरी तरह से पिटाई की बात कही, परिजनों का कहना है कि जीभ काट दी गयी और रीढ़ की हड्डी तक तोड़ दी गयी, हालांकि यूपी पुलिस अब भी इन सबसे इंकार कर रही है, पुलिस ने मृतका के साथ हुई हैवानियत तक को नकार दिया है.
ब्यूरो रिपोर्ट, लखनऊ
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