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लखनऊ : बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला आज, आडवाणी, जोशी, उमा भारती मुख्य आरोपी

 लखनऊ (यूपी) : बाबरी मस्जिद ध्वंस के क़रीब 28 साल बाद आज लखनऊ की विशेष अदालत फ़ैसला सुनाएगी, कोर्ट ने सभी आरोपियों को कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है, इस मामले में 32 आरोपी हैं, इनमें बीजेपी के लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, साक्षी महाराज, बृज भूषण सरण सिंह और उमा भारती शामिल हैं, इनमें से उमा भारती और कल्याण सिंह कोरोना की वजह से अस्पताल में भर्ती हैं इस वजह से कोर्ट में मौजूद नहीं भी हो सकते हैं.

6 दिसंबर 1992 को गिराए गए विवादित ढांचे को लेकर लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत का फ़ैसला पहले 31 अगस्त को ही आने वाला था, लेकिन किन्हीं कारणों से इस पर फ़ैसला नहीं आ सका, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला देने के लिए तारीख़ 30 सितंबर तक बढ़ा दी थी, बता दें कि विशेष सीबीआई अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें, गवाही, जिरह सुनने के बाद 1 सितंबर को मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी, अभियोजन पक्ष सीबीआई आरोपियों के ख़िलाफ़ 351 गवाह और लगभग 600 दस्तावेज़ प्रस्तुत कर चुकी है,

इस फ़ैसले को लेकर अयोध्या में भारी सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए हैं, सीआईडी और एलआईयू की टीमें सादी वर्दी में तैनात कर दी गई हैं, लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत के बाहर क़रीब 2 हज़ार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है, इसके अलावा प्रदेश के 25 संवेदनशील ज़िलों में सुरक्षा व्‍यवस्‍था पुख्ता कर दी गई है, अयोध्या मस्जिद ढाँचे को कार सेवकों द्वारा 6 दिसंबर 1992 को यह दावा करते हुए गिरा दिया गया था कि वह मस्जिद प्राचीन राम मंदिर के स्थल पर बनाई गई थी, ढाँचे ढहाए जाने के बाद इस मामले में अयोध्या में दो केस दर्ज किए गए.

एक केस ढाँचे को ढहाने की साज़िश को लेकर था और दूसरा भीड़ को उकसाने को लेकर, इसके अलावा जो भी केस दर्ज कराए गए थे उन सभी को साज़िश के लिए दर्ज कराए गए इस में ही शामिल कर लिया गया था, इन दोनों एफ़आईआर के मामले भी दो अलग-अलग अदालतों में चले, साज़िश मामले की सुनवाई लखनऊ अदालत में चली जबकि भीड़ को उकसाने के मामले की सुनवाई राय बरेली में.

सीबीआई ने 1993 में 49 लोगों के ख़िलाफ़ चार्जशीट पेश की थी जिनमें से 17 आरोपियों की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है, राय बरेली के मामले में आरोप 2005 में तय किए गए जबकि लखनऊ के मामले में आरोप 2010 में तय किए गए, सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में यह आदेश दिया कि दोनों मामलों को एक साथ जोड़ दिया जाए और हर रोज़ सुनवाई की जाए, तब कोर्ट ने यह भी फ़ैसला सुनाया था कि उन 13 लोगों के ख़िलाफ़ फिर से सुनवाई की जाए जिन्हें हाई कोर्ट ने पहले बरी कर दिया था.

ब्यूरो रिपर्ट, लखनऊ

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