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अनुसूचित जाति के दिव्यांग को जबरन गिरफ्तार कर प्रताड़ित करने के दोषी पुलिस अधिकारी पर हो सख्त करवाई : संजय सिंह

नई दिल्ली :  पिछले कुछ महीनो में  उत्तर प्रदेश में अनसूचित जाति से आने वाले लोगो पर हो रहे अत्याचारों को लेकर राज्य सभा सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह ने राष्ट्रीय अनसूचित जाति आयोग में एक पत्र के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई है| अपनी शिकायत में उन्होंने दलित दिव्यांग विनोद कुमार की ज़बरन अकारण की गयी गिरफ्तारी पर आयोग से दोषी पुलिस अधिकारी के खिलाफ सख्त करवाई की मांग की है | इस गिरफ़्तारी पर सांसद संजय सिंह ने कहा है वो इस मामले को सक्षम न्यायलय के सामने रखेंगे और दोषी अधिकारी को अपने इस कृत्य के लिए सजा दिलवाएंगे|

अनसूचित जाति के दिव्यांग विनोद कुमार को उनको आवास से बिना कारण बताए गिरफ्तार कर लखनऊ के हुसैन गंज थाने में हिरासत में रखा गया और वहां मौजूद थानाध्यक्ष दिनेश सिंह बिष्ट के द्वारा जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करते हुए उनके साथ गाली गलोच की गयी| गिरफ़्तारी का कारण पूछने पर थानाध्यक्ष द्वारा कोई जवाब भी नहीं दिया गया|

आयोग को दिए पत्र में उन्होंने लिखा है की इस बाबत उन्होंने थानाध्यक्ष से बात करी लेकिन विनोद कुमार की रिहाई नहीं हुई| उन्होंने इस गिरफ़्तारी पर पुलिस के कई आला अधिकारियो से संपर्क साधने की कोशिश करी पर किसी से कोई जवाब नहीं आया और जब पार्टी के कुछ कार्यकर्त्ता विनोद की गिरफ्तारी का कारण जानने थाने पहुंचे तो उनके साथ भी गाली गलोच कर मारपीट की गयी|  इस प्रकरण से ये साफ़ होता है की उत्तर प्रदेश में अनसूचित जातियों के साथ चाहे कोई भी आपराधिक घटना हो जाये पर , उनका कितना भी उत्पीड़न हो जाये, उनकी फ़रियाद कोई नहीं सुनेगा|

इस मामले में त्वरित करवाई की मांग करते हुए उन्होंने लिखा है प्रदेश के DGP, पुलिस कमिश्नर लखनऊ और थानाध्यक्ष को आयोग के समक्ष बुला कर मामले की जांच की जाए और दोषियों पर सख्त करवाई की जाए| उन्होंने इस मामले में गवाही देने की पेशकश भी की है| उन्होंने कहा कि इस अत्याचार की जांच और इंसाफ की लड़ाई कोर्ट में भी लड़ी जाएगी। वो इस मामले को सक्षम न्यायालय के सामने रखेंगे।

आयोग को लिखे अपने पत्र में उन्होंने हाथरस की घटना का भी जिक्र किया है|उन्होंने लिखा है की हाथरस में जांच से पहले ही रेप न होने की बात ADG लॉ  एंड आर्डर प्रशांत कुमार ने  कह दी| उनका ये बयान साबित करता है की पुलिस हाथरस की गुड़िया को न्याय देना नहीं चाहती थी| पुलिस द्वारा गुड़िया के शव को अमानवीय तरीके से जला देने का भी उन्होने जिक्र किया| उन्होंने रायबरेली में अनसूचित जाति के रिक्शा चालक मोहित की पुलिस थाने के अंदर पुलिस के द्वारा पीट पीट कर हुई मौत पर भी सवाल उठाया की इस मामले में कोई करवाई नहीं की गयी|

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