नई दिल्ली : शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में कश्मीर के हालात और चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है, सामना के संपादकीय में भूटान सीमा में चीन द्वारा गांव बसाए जाने के मामले पर भी लिखा गया है.
‘चीनी सैनिकों ने हिंदुस्तान की सीमा के अंतर्गत लद्दाख में घुसपैठ की, चीनी सैनिक जो भीतर आए हैं, वे वापस जाने को तैयार नहीं हैं, वहां से हटने को लेकर दोनों देशों की सेना अधिकारियों के बीच चर्चा और जोड़-तोड़ शुरू है, चीनी हमारी सीमा में घुस आए हैं, लेकिन हमने चर्चा और जोड़-तोड़ का तरीका स्वीकार किया, इसे आश्चर्यजनक ही कहा जाएगा.’
मुखपत्र में लिखा गया- ‘जमीन हमारी और नियंत्रण चीनी सेना का लेकिन PM, रक्षा मंत्री और BJP के नेताओं ने चीन का नाम लेकर कुछ धौंस दिखाई हो, ऐसी तस्वीर नहीं दिखती, ये सब चेतावनी आदि PAK के लिए सुरक्षित रखा होगा.
चीन की बात निकली है इसलिए कहना है कि हिंदुस्तान के मित्र देश भूटान की सीमा में चीनी सेना घुस चुकी है और डोकलाम के पास एक गांव को उसने अपने नियंत्रण में ले लिया है, ये गांव भूटान-हिंदुस्तान की सीमा पर है, वहां चीन का घुसना हमारे लिए खतरनाक है, इसके पहले डोकलाम सीमा पर चीनी सेना घुसी ही थी और वहां हिंदुस्तानी सेना के साथ उसकी बार-बार झड़पें हो चुकी हैं.’
संपादकीय में कहा है कि अब डोकलाम पार करके चीनी सैनिक गांव में आकर बैठ गए हैं, भूटान की संप्रभुता की रक्षा करने की जिम्मेदारी हिंदुस्तानी सेना की है.
क्योंकि भूटान का कमजोर होना मतलब हिंदुस्तान की सीमा को चीरने जैसा होगा, PAK नहीं, बल्कि चीनी सेना हमारी सीमा में सीधे घुस आई है फिर भी दिल्लीश्वर आंखें बंद करके ‘हिंदुस्तान बनाम PAK की झांझ-करताल बजा रहे हैं.
इसमें लिखा गया है कि, ‘बीते चार दिनों में हिंदुस्तानी सेना ने PAK की सीमा में गोला-बारूद फेंककर कई चौकियां और बंकर्स ध्वस्त कर दिए, ये सही है लेकिन हमारी सीमा में हमारे ही जवान मारे गए, उनमें से तिरंगे में लिपटे हुए दो जवानों की शव पेटी महाराष्ट्र में आई, ये शव पेटियां जब जवानों के गांव में पहुंचीं.
उस समय महाराष्ट्र के भाजपा के नेता क्या कर रहे थे? वे मुंबई में छठ पूजा की मांग कर रहे थे, उनमें से कुछ ‘मंदिर खोलो, मंदिर खोलो’ का शंख फूंक रहे थे, वहीं कुछ लोग मुंबई मनपा से भगवा उतारने के लिए प्रेरणादायी भाषण ठोंक रहे थे, देश के समक्ष बनी गंभीर परिस्थिति को भूलने पर और क्या होगा?
कश्मीर घाटी से तिरंगे में लिपटी जवानों की शव पेटियां आ रही हैं, लेकिन श्रीनगर के लाल चौक में जाकर तिरंगा फहराना अभी भी अपराध है.’
संपादकीय में उत्तराखंड सीमा के पास तनजून में चीनी सैनिकों द्वारा बंकर बनाकर रहने का भी जिक्र है, लिखा गया है ‘इसका मतलब क्या है? PAK को आगे करके हिंदुस्तानी सेना को उस सीमा में उलझाकर रखना और अन्य सीमाओं को कमजोर करके चीनी सैनिकों की घुसपैठ करने की नीति दिख रही है.’
संपादकीय में कहा है कि ‘मुंबई मनपा से भगवा उतारने का जिन्होंने बीड़ा उठाया है, वे श्रीनगर में जाकर तिरंगा कब फहराएंगे, ये भी साफ कर देना चाहिए, लद्दाख की सीमा में चीनी सैनिक बैठे हैं, उन्होंने वहां निर्माण कार्य करके ‘रेड आर्मी’ का लाल निशान फहरा दिया है.
पहले वो लाल निशान उतारकर दिखाओ और उसके बाद ही मुंबई के तेजस्वी भगवा से उलझो, चीनी सैनिक सिर्फ डोकलाम गांव में घुसकर ही नहीं रुके, उन्होंने हिमाचल प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ करने की मुहिम शुरू कर दी है, ऐसा दिख रहा है.
सिक्किम की सीमा पर भी चीनी सैनिकों की हलचल बढ़ गई है, हिंदुस्तान की सेना लाल बंदरों पर हावी होने में समर्थ हैं ही लेकिन चीनी साम्राज्यवाद का खतरा बढ़ रहा है.’
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