लखनऊ (यूपी) : अखिलेश यादव ने कहा है कि BJP सरकार के प्रदेश की सत्ता में पौने चार साल बीत रहे हैं पर जनता की तकलीफें घटने के बजाय बढ़ती गई है, अर्थव्यवस्था खराब दौर से गुजर रही है.
मंहगाई और भ्रष्टाचार चरम पर है, काला बाजारियों और जमाखोरों पर कोई अंकुश नहीं है, कानून व्यवस्था चौपट है, बर्बादी के इन बुरे दिनों में भी BJP सरकार को बस दो ही बातें सूझ रही है, ‘राम नाम सत्य‘ करो या फिर ‘जेहाद‘ बोल दो.
चाहे कर्ज के बोझ तले दबकर किसान का दम निकल जाए, बेकारी से परेशान नौजवान फांसी पर लटक जाए, बीमारी से किसी की सांसे अटक जाएं, बच्चियां अपनी लाज बचाने को जहर खा लें.
मंहगाई की मार से कोई सपरिवार आत्महत्या कर ले-इस सबसे BJP सरकार और माननीय मुख्यमंत्री जी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है, उनको हर मसले के हल का एक ही बीजमंत्र याद है ‘राम नाम सत्य‘ कर दो.
जो सरकार चारों पहर ‘राम नाम सत्य‘ का जाप करती हो वह किसी के बारे में शुभ सोच ही नहीं सकती है, वैसे भी BJP नेतृत्व को विकास के बारे में सोचने, जनहित की योजनाएं लाने और गरीब को राहत पहुंचाने के लिए समय ही नहीं है, इस BJP सरकार को अपने वादे भी याद नहीं है.
किसानों को फसल की लागत का ड्योढ़ा मूल्य देने, आय दुगनी करने, नौजवान को हर वर्ष नौकरियों का थोक तोहफा देने, व्यापारियों की मदद करने, और हरेक के खाते में 15 लाख रूपए भेजने जैसी फरेबी बातें हवा में ही रह गई है.
मुख्यमंत्री जी जेहादी उन्माद फैलाकर फिर जनता को भटकाने की कोशिश में लग गए हैं, नफरत फैलाकर समाज को बांटने की BJP-आरएसएस की पुरानी रणनीति है.
रोज नए-नए कड़े कानून अपनी अकर्मण्यता छुपाने के लिए ही लाए जा रहे हैं, सख्त बयान तो किसी मर्ज का इलाज नहीं है, वैसे भी कानून कड़ा या नरम नहीं होता है, उसका कैसे प्रयोग होता है, इस पर उसका प्रभावी या अप्रभावी होना निर्भर करता है.
BJP सरकार बनते ही अपराध और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरों टालरेंस की बात बड़े जोरशोर से की गई थी, वह तो कहीं साकार होती दिखी नहीं, जनता भी समझ गई है कि जुमलेबाजी और तुक्केबाजी वाली सरकार से उसका कोई भला होने वाला नहीं है.
इसीलिए उसने भी सन् 2022 के आगामी विधानसभा चुनावों में इस नाकामयाब और नाकाबिल सरकार का ‘राम नाम सत्य‘ करने का इरादा कर लिया है.