नई दिल्ली : भगवंत मान ने कहा कि आज हम लोगों ने संसद के सेंट्रल हॉल में पूर्व पीएम अटल विहारी वाजपेयी की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी से मिले और उनके कानों तक बिल वापसी की मांग कर रहे किसानों की आवाज पहुंचाने की कोशिश की.

लेकिन वे अपने अहंकार में हमारी आवाज को अनसुना कर वहां से चले गए। केंद्र में बैठी भाजपा सरकार की नीयत में खोंट है। इसीलिए एक तरफ़ कानूनों में संशोधन करने के लिए किसानों से मिलने का समय मांग रही है और दूसरी तरफ कृषि कानूनों की जमकर तारीफ भी कर रही हैं।

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उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा के बीच सांठगांठ है। कांग्रेस सिर्फ दिखावे के लिए बिल का विरोध कर रही है। इसीलिए आज सेंट्रल हॉल में मौजूद कांग्रेस के नेताओं ने तीनों काले कानूनों के खिलाफ कुछ नहीं बोला।

भगवंत मान ने कहा कि आज संसद के सेंट्रल हॉल में अटल बिहारी वाजपेई और मदन मोहन मालवीय को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए एक समारोह का आयोजन किया गया था। हम भी समारोह में शामिल हुए और श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी भी वहां पर अटल बिहारी वाजपेई और मदन मोहन मालवीय को श्रद्धांजलि अर्पित करने आए। श्रद्धांजलि समारोह के पश्चात मैंने और मेरे साथी एवं आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने हाथों में बैनर लेकर प्रधानमंत्री मोदी से अपील की कि जो तीनों किसान विरोधी काले कानून केंद्र सरकार ने पास किए हैं.

उन्हें वापस लिया जाए, किसानों को एमएसपी की गारंटी दी जाए, किसानों को पूंजीपतियों के हाथ न बेचा जाए और किसानों को आतंकवादी न कहा जाए।

उन्होंने कहा कि चूंकि यह श्रद्धांजलि समारोह था, हमने समारोह का सम्मान रखते हुए, समारोह समापन के पश्चात हाथों में बैनर लेकर प्रधानमंत्री मोदी के कानों तक किसानों की आवाज पहुंचाने की कोशिश की। चूंकि हमें प्रधानमंत्री जी से मिलने नहीं दिया जा रहा था, तो हमने जोर-जोर से नारे लगाकर उनके कानों तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की।

भगवंत मान ने कहा कि केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा की बहरी सरकार के कानों तक किसानों की आवाज पहुंचाने की यह हमारी छोटी सी कोशिश थी। उन्होंने कहा कि जब हमने नारे लगाना शुरू किया, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कार्यक्रम को बीच में छोड़कर ही वहां से चले गए। उन्होंने कहा कि हम भी चुने हुए लोकसभा सदस्य हैं, वह भी चुने हुए लोकसभा सदस्य हैं। हम सभी अपने अपने क्षेत्र की जनता का प्रतिनिधित्व करते हैं, हम उनके प्रतिनिधि हैं।

एक सांसद होने के नाते उन्हें दूसरे सांसद की बात सुननी चाहिए थी। परंतु प्रधानमंत्री जी में इतना अहंकार भरा हुआ है कि हमारी आवाजों को अनसुना करते हुए वह सेंट्रल हॉल से बाहर निकल गए।

भगवंत मान ने कहा कि हम माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से केवल इतना अनुरोध करना चाहते थे कि देश का अन्नदाता इस कड़ाके की ठंड में ठिठुर रहा है। देश का किसान दिल्ली की सरहद पर मर रहा है, आप 1 दिन का सत्र बुलाकर इन तीनों किसान विरोधी काले कानूनों को वापस ले लो।

उदाहरण देते हुए भगवंत मान ने कहा कि यदि आप जीएसटी को लागू करने के लिए रात को 12 बजे सेंट्रल हॉल खुलवा कर जीएसटी कानून लागू कर सकते हैं, तो फिर इस किसान विरोधी कानून को वापस लेने के लिए 1 दिन का सत्र क्यों नहीं बुला सकते?

उन्होंने कहा कि बड़ा ही हास्यास्पद है कि जब भाजपा से किसानों के विरोधी इस काले कानून को वापस लेने के लिए 1 दिन का सत्र बुलाने की बात कही जाती है, तो वह कहते हैं कि कोरोना महामारी बहुत ज्यादा फैली हुई है।

परंतु बंगाल में चुनाव के लिए हजारों लोगों की भीड़ जुटाकर जब भारतीय जनता पार्टी रैली करती है, तब भारतीय जनता पार्टी को कोरोना फैलने का डर नहीं होता। भगवंत मान ने कहा कि कोरोना बीमारी तो एक बहाना है, भाजपा की नियत में खोट है।

उन्होंने कहा कि मैं संगरूर जिले से आता हूं। मेरे जिले के लाखों किसानों ने मुझे चुनकर संसद में भेजा, ताकि मैं उनके हक की आवाज संसद में उठा सकूं और आज मुझे बड़ा गर्व है कि मैंने अपने किसानों की आवाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कानों तक पहुंचाने की पुरजोर कोशिशं् की।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री तक किसानों की आवाज पहुंचाने का और कोई माध्यम था ही नहीं, क्योंकि प्रधानमंत्री हमेशा वन वे बात करते हैं। या तो रेडियो के माध्यम से या टीवी चैनलों के माध्यम से अपने मन की बात करते हैं, परंतु जनता के मन की बात उन तक पहुंचाने का कोई माध्यम ही नहीं है। प्रधानमंत्री कभी प्रेस वार्ता नहीं करते, संसद यह लोग चलने नहीं देते तो और कोई तरीका बचता ही नहीं था, अपनी आवाज प्रधानमंत्री जी के कानों तक पहुंचाने का

भगवंत मान ने कहा कि किसानों से मिलने गुजरात जाते हैं और अपने कुछ चुनिंदा मनपसंद किसानों को बुलाकर उनसे मुलाकात करते हैं और फिर एक ढोंग किया जाता है कि आज प्रधानमंत्री किसानों से मिले।

मैं प्रधानमंत्री मोदी से कहना चाहता हूं कि आपके घर से मात्र 20 किलोमीटर की दूरी पर लाखों किसान दिल्ली की सरहद पर कड़कड़ाती ठंड में आपसे मिलने के लिए बैठे हैं, उनसे भी एक बार मुलाकात कर लो, उन्हें भी एक बार मिलने का समय दे दो।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का दोहरा चाल चरित्र इसी बात से साबित हो जाता है कि एक तरफ तो भाजपा कि केंद्र सरकार किसानों से मिलने के लिए समय की बातचीत कर रही हैं और दूसरी ओर आज ही प्रधानमंत्री मोदी जी ने फिर एक बार किसान बिल की तारीफ की है।

यदि किसान बिल इतना अच्छा है, तो फिर उसमें बदलाव के लिए किसानों का समय क्यों मांगा जा रहा है? और यदि बिल में बदलाव करने के लिए किसानों से बातचीत करने का समय मांगा जा रहा है, तो इसका मतलब भाजपा इस बात को मान रही है कि बिल में खामियां हैं।

शहीद ए आजम भगत सिंह का उदाहरण देते हुए भगवंत मान ने कहा कि यह वही सेंट्रल हॉल है जिसमें सन 1929 में भगत सिंह ने अंग्रेजों की बहरी सरकार के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए एक छोटे से बम के माध्यम से धमाका किया था।

वह धमाका किसी को चोट पहुंचाने की सोच से नहीं, बल्कि केवल अंग्रेजों के कानों तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए किया था। मैं उसी शहीद ए आजम भगत सिंह का वंशज हूं। मुझे बहुत गर्व है कि आज उसी सेंट्रल हॉल में मैंने अपने शब्दों के बम के माध्यम से वर्तमान में केंद्र की सत्ता में स्थापित काले अंग्रेजों की सरकार, मोदी सरकार के कानों तक किसानों की आवाज पहुंचाने का काम किया है।

कहा कि क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी न किसानों से मिलते हैं, न विपक्ष के नेताओं से मिलते हैं, तो उनके कानों तक जनता की आवाज, किसानों की आवाज पहुंचाने का और कोई माध्यम ही नहीं है। इसीलिए भविष्य में भी यदि इस प्रकार के कोई कार्यक्रम होंगे, तो हम वहां पर भी इसी प्रकार से किसानों की आवाज मोदी जी के कानों तक पहुंचाने का काम करते रहेंगे।

किसान विरोधी बिलों के इस मसले पर कांग्रेस की मंशा पर प्रश्न उठाते हुए भगवंत मान ने कहा कि हम हमेशा कहते हैं कि भाजपा और कांग्रेस मिली हुई है। यह बात आज एक बार फिर से साबित हो गई।

उसी सेंट्रल हॉल में जहां मैंने और मेरे साथी संजय सिंह जी ने जोर-जोर से नारे लगाकर किसानों की आवाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कानों तक पहुंचाने की कोशिश की, वहां पर कांग्रेस के सांसद गुलाम नबी आजाद तथा अधीरंजन चौधरी भी मौजूद थे। परंतु उन्होंने इस काले कानून के विरोध में नरेंद्र मोदी जी के सामने एक शब्द भी नहीं बोला।

उन्होंने कहा कि अपना खुद का न सही, तो एक नारा हमारे साथ ही इस सोच के साथ लगा देते कि जायज मांग है, किसानों के हक की मांग है, परंतु कांग्रेस के दोनों सांसद चुपचाप तमाशा देखते रहे। कांग्रेस केवल और केवल किसान हितैषी होने का ढोंग कर रही है।

कल इस संबंध में राष्ट्रपति जी से भी कांग्रेस के नेताओं ने मुलाकात की, कुछ कांग्रेस के नेता जंतर मंतर पर धरने पर भी बैठे हुए हैं और पंजाब में भी किसान हितैषी होने का ड्रामा कर रहे हैं। परंतु आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी सामने आए और उनके पास पूरा मौका था, किसानों की आवाज प्रधानमंत्री के कानों तक पहुंचाने का, तो कांग्रेस के दोनों सांसद चुप रहे,

एक शब्द तक नहीं बोला। यह घटना इस बात को सत्यापित करती है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ही इस किसान विरोधी कानून पर मिले हुए हैं।

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