नई दिल्ली : तीनों नए कृषि बिलों पर सरकार भले ही टालमटोल का रवैया अपना रही हो, लेकिन किसानों ने साफ किया है कि वह अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे.

किसानों की ओर से वार्ता में शामिल किसान नेता बलवंत सिंह बहरामके ने कुछ ऐसा ही रुख जाहिर किया, बहरामके ने अपनी टेबल पर डायरी पर पंजाबी में लिख रख था कि हम मरेंगे या जीतेंगे.

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किसान नेताओं की यह दृढ़ता दिखा रही है कि सरकार भले ही वार्ता को लंबा खींचकर उन्हें थकाने और आंदोलनकारियों को अलग-थलग करने का प्रयास करे, लेकिन वे डिगने वाले नहीं हैं.

पिछले 44 दिनों से जारी किसान आंदोलन को खत्म कराने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच आठवें दौर की बातचीत शुक्रवार को फिर शुरू हुई है, दोपहर 2,30 बजे के करीब शुरू हुई बैठक में 40 किसान नेता भाग ले रहे हैं.

सरकार की ओर से कृषि मंत्री के अलावा पीयूष गोयल और सोम प्रकाश बैठक में शामिल हुए, किसानों ने मांगें नहीं मानने पर गणतंत्र दिवस पर राजधानी में ट्रैक्टर मार्च का ऐलान कर रखा है, किसानों के साथ अगले दौर की बैठक 15 जनवरी को होगी.

बैठक में कृषि मंत्री ने कहा कि वो पूरे देश को ध्यान में रखकर ही कोई फैसला लेंगे, वहीं किसान नेताओं ने दो टूक लहजे में कहा कि जब तक सरकार कानून वापस नहीं लेती है, तब तक वो घर वापस नहीं जाएंगे.

बलबीर सिंह रजवाल ने तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की, उन्होंने दावा किया कि सरकार इस तरह से कृषि क्षेत्र में दखल नहीं दे सकती, मगर सरकार के रुख से लगता है कि वह इस विवाद को सुलझाने के लिए तैयार नहीं है.

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