फगवाड़ाः पंजाब के पूर्व मंत्री और पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कार्पोरेशन के अध्यक्ष जोगिंदर सिंह मान ने आज कहा कि किसान नेताओं व किसान आंदोलन समर्थकों को एनआईए नोटिस जारी करवाना केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) सरकार की आंदोलन को कुचलने की एक और कोशिश है।
यहां जारी बयान में श्री मान ने कहा कि नोटबंदी से लेकर ‘किसान विरोधी‘ कानून पारित करवाने तक नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकतंत्र को समाप्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ रखी। उन्होंने कहा कि खाद्य सुरक्षा के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने में भूमिका निभाने वाले किसान यदि आज कड़कड़ाती ठंड में सड़क पर सोने को मजबूर हैं तो यह केंद्र का ‘अड़ियल‘ रवैया ही है।
उन्होंने कहा कि किसानों से वास्तव में संवाद के बजाय केंद्र सरकार टालमटोल वाला रवैया अपना रही है और अब एनआईए के जरिये नोटिस भेजे जा रहे हैं जो आंदोलन को दबाने की ‘चाल‘ ही है। उन्होंने दावा किया कि पंजाब के किसान यह बर्दाश्त नहीं करेंगे और सरकार की ऐसी बातों के दबाव में भी नहीं आएंगे व तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक तीनों कृषि कानून निरस्त नहीं किये जाते।
वहीं पंजाब लोकतांत्रिक किसान सभा अध्यक्ष सतनाम सिंह अजनाला और महासचिव कुलवंत सिंह संधू ने केन्द्र सरकार को जांच एजेंसियों का दुरुपयोग नहीं करने की चेतावनी दी है। सतनाम सिंह ने कहा कि किसान संघर्ष के समर्थकों को सरकारी जांच एजेंसियों द्वारा परेशान किया जा रहा है। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि कृषि कानूनों को तुरंत रद्द किया जाए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एनआईए जांच एजेंसी की ओर से नोटिस जारी करवाकर संघर्ष का नेतृत्व कर रहे किसान संगठनों के नेताओं और संघर्ष के मददगारों को डराने और संघर्ष को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
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