नई दिल्ली : कृषि कानूनों पर प्रदर्शन के दौरान किसानों की मौत को लेकर लोकसभा में लिखित सवाल पूछे गए, सरकार से पूछा गया कि क्या केन्द्र को किसान आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के बारे में पता है.
उन पीड़ित परिरवारों के मुआवजे के लिए क्या कदम उठाए गए, इसके साथ ही पूछा गया कि क्या सरकार के पास इस बात के कोई साक्ष्य हैं कि आंदोलन में आंतकियों ने घुसपैठ की है.
इसके जवाब में गृह राज्य मंत्री ने संसद से निचली सदन में जवाब देते हुए कहा कि पुलिस और लोक व्यवस्था भारतीय संविधान की सातवीं सूची के मुताबिक राज्य का विषय है.
उन्होंने कहा कि राज्य की जिम्मेदारी है कि वे कानून-व्यवस्था बरकरार रखे, जिनमें जांच, अपराध दर्ज करने, दोषियों को सजा और जान-माल की रक्षा शामिल है.
नित्यानंद राय ने कहा कि केन्द्र ने राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के माध्यम से संगठन और अन्य लोगों की गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए रखा जो राष्ट्र सुरक्षा के लिए जरूरी था, जब भी जरूरी हुआ आवश्यक कदम कानून के मुताबिक उठाए गए.
किसान आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मृत्यु पर लोक सभा में सरकार से लिखित सवाल किया गया था, इसके जवाब में गृह मंत्रालय ने जवाब राज्य सरकारों के पाले में डाल दिया.
सरकार से सवाल पूछा गया था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि किसान आंदोलन के दौरान कई किसानों की जान गई है, और अगर ऐसा है तो कुल कितने किसानों ने आंदोलन के दौरान जानें गवाई हैं? सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने इसका जवाब राज्य सरकारों के पाले में डाल दिया.
नित्यानन्द राय ने अपने उत्तर में कहा की जांच, जान और माल आदि की रक्षा की जिम्मेदारी मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकारों की होती है, सरकार अपनी सुरक्षा और कानूनी एजेंसियों के ज़रिये राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यवस्था को प्रभावित करने वाले लोगों और संगठनों की गतिविधियों पर नज़र रखती हो.
गृह राज्य मंत्री ने सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह भी बताया कि सितंबर-दिसंबर, 2020 के बीच प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ 39 मामले दर्ज किए गए.
उन्होंने कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान सामाजिक दूरी का पालन नहीं कर रहे और कोविड-19 महामारी के बीच बिना मास्क के बड़ी संख्या में एकत्र हुए.
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