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वर्ल्ड एयर क्वालिटी की रिपोर्ट में दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 8 शहर भारत के हैं : सौरभ भारद्वाज

नई दिल्ली : सौरभ भारद्वाज ने वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट-2020 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली, जो दुनिया की सबसे प्रदूषित शहर होती थी, आज 10वें नंबर पर है, इसके लिए दिल्ली वालों को बधाई।

दिल्ली सरकार ने दिल्ली वालों के साथ मिलकर प्रदूषण को काफी नियंत्रित किया। हमने पिछले 5 सालों में 24 घंटे बिजली देने, थर्मल पाॅवर प्लांट बंद करने, बाॅयो डी-कंपोजर और ईवी पाॅलिसी समेत कई कदम उठाए, जिससे प्रदूषण कम हुआ है।

उन्होंने कहा कि दुनिया की 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 22 शहर शामिल हैं, इसके लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने पिछले सालों में प्रदूषण घटाने के लिए एक भी ठोस काम नहीं किया, उनको तुरंत पद से हटाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद थर्मल पावर प्लांट बंद नहीं हुए, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री का कोयला लॉबी के साथ क्या सांठगांठ है?

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मैं समझता हूं कि दिल्ली वालों के लिए एक बहुत बड़ा दिन है और बड़े गर्व की बात है कि दिल्ली वासियों ने अपनी आदतों में बदलाव कर और अपनी कोशिशों से दिल्ली सरकार के साथ कदम से कदम मिलाकर दर्जनों अभियानों में हिस्सा लेकर आज एक बात साबित की है कि अगर किसी राज्य के अंदर वहां के नागरिक यह चाहें कि कोई काम करना है,

तो प्रदूषण जैसी बहुत बड़ी समस्या, जिस पर सुप्रीम कोर्ट कई बार चिंता व्यक्त कर चुका है, अन्य कई संस्थाएं भी चिंता व्यक्त करती रहती हैं, उस पर भी हम लोग नियंत्रण पा सकते हैं। मेरी तरफ से और आम आदमी पार्टी की तरफ से दिल्ली के दो करोड़ निवासियों और दिल्ली सरकार को बहुत-बहुत बधाई।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कल कई अखबारों में छपा था कि वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट- 2020 आई है, जो अंतरराष्ट्रीय तौर पर माना जाता है कि यह संस्था स्वायत्त तौर पर सभी देशों के बड़े-बड़े राज्यों का आंकलन करती है कि कहां पर कितना प्रदूषण है?

आपको याद होगा कि भाजपा के हमारे मित्र बिना सोचे कि इससे देश की कितनी बदनामी होगी और दिल्ली की कितनी बदनामी होगी? पिछले 5 साल से अभियान चला रहे थे कि अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को प्रदूषित कर दिया, जबकि दिल्ली पहले से प्रदूषित थी। भाजपा के लोगों ने प्रचारित किया कि दिल्ली पूरी दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है।

ऐसा लगता था कि उनका कोई राजनीतिक फायदा है। राजनीतिक तौर पर हर साल इस अभियान को भाजपा के लोग चलाते थे। खासतौर पर सर्दियों में अभियान चलाते थे। अब वर्ल्ड एयर क्वालिटी की जो रिपोर्ट आई है, इसको देखें, तो इसमें पहले 10 सबसे प्रदूषित शहरों के नाम आए हैं और उस 10 में से 8 शहर भारत के हैं।

उन 8 में से भी ज्यादा शहर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के हैं, मात्र एक शहर राजस्थान का है। उत्तर प्रदेश, जहां सबसे बड़ी देशभक्त भाजपा की सरकार चल रही है और हरियाणा जहां उससे भी बड़ी देशभक्त भाजपा की सरकार चल रही है, जिनके मुख्यमंत्री 18-18 घंटे काम कर रहे हैं।

सौरभ भारद्वाज ने बताया कि पहला सबसे प्रदूषित शहर चीन का है। इसके बाद दूसरा शहर उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद, तीसरा बुलंदशहर, चौथा बिसरख है, जिसको ग्रेटर नोएडा भी कह सकते हैं, यहां के योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री हैं।

भिवाड़ी, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर, लखनऊ शहर प्रदूषित शहरों में शामिल हैं। सिर्फ भिवाड़ी शहर राजस्थान का है, बाकी सारे शहर उत्तर प्रदेश और हरियाणा के हैं, जहां भाजपा काबित है। 10वें स्थान पर दिल्ली है, जो पहले स्थान पर था, लेकिन अब दिल्ली 10वें स्थान पर आ गया है।

इसका मतलब यह है कि दिल्ली के लोगों ने और दिल्ली की सरकार ने प्रदूषण में इतना नियंत्रण कर लिया कि हम 9 पॉइंट नीचे आ गए और बाकी जो हमारे मित्रों द्वारा शासित राज्य और उनके शहर हैं, वो उपर पहुंच गए। इससे भी ज्यादा शर्म की बात है कि दुनिया के पहले 30 सबसे प्रदूषित शहरों में भारत के 22 शहर हैं।

8 शहर दुनिया के अलग-अलग देशों के हैं। दुनिया के सबसे प्रदूषित 30 शहरों में से 22 शहर भारत के है। इसका मतलब साफ है कि जब-जब प्रदूषण की बात हो, जब जब पर्यावरण की बात हो, जब-जब पराली जलने की बात हो, सारा ध्यान दिल्ली के ऊपर केंद्रित कर दिया जाए, दिल्ली की सरकार और दिल्ली वासियों को दुनिया का सबसे बड़ा विलेन साबित कर दिया जाए।

टीवी पर और अखबारों में यही खबर को चलाया जाए और सबकी जिम्मेदारी खत्म हो गई। यही करोना में भी किया गया। आज करोना में मध्य प्रदेश, पंजाब, गुजरात और महाराष्ट्र के अंदर केस बढ़ रहे हैं, मगर केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी पूरी कर चुकी है,

क्योंकि जब अक्टूबर में दिल्ली के अंदर कोरोना के केस बढ़े थे, तो पूरे देश की सबसे बड़ी विलेन दिल्ली सरकार को घोषित कर, दिल्ली सरकार को गाली देकर अपनी जिम्मेदारी पूरी की। इसी तरीके से जब-जब प्रदूषण की बात होती है, केंद्र सरकार सिर्फ दिल्ली पर ध्यान केंद्रित करा कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला छुड़ाती है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि 2014 से 2018 तक केंद्र सरकार की रिपोर्ट है, जो केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की, मगर भाजपा के प्रवक्ता टीवी पर यह बात नहीं मानते हैं कि दिल्ली के अंदर 25 प्रतिशत प्रदूषण घटा है। दिल्ली के अंदर पीएम-2.5 का स्तर 154 से घट कर 115 पर आ गया है।

उन्होंने कहा कि प्रदूषण का कारण किसी एक राज्य की सीमा या किसी एक शहर की सीमा के अंदर नहीं ढूंढ सकते हैं। सबका पर्यावरण कॉमन है। इसलिए एयरसेट का कांसेप्ट है। अगर दिल्ली को लें, तो सभी पर्यावरण विशेषज्ञ यह बात मानते हैं कि दिल्ली के 300 किलोमीटर के आसपास अगर प्रदूषण के स्रोत हैं, तो उसका सीधा असर दिल्ली पर पड़ता है।

अगर दिल्ली को देखें, तो दिल्ली में पिछले 5 सालों के अंदर कई ऐसे कदम उठाए गए, जिसकी वजह से दिल्ली के अंदर प्रदूषण कम हुआ है। सबसे बड़ी चीज, दिल्ली के अंदर 24 घंटे बिजली आती है। इसलिए दिल्ली के अंदर पिछले तीन-साढ़े तीन साल के अंदर 4 लाख डीजल जनरेटर सेट चलने बंद हो गए हैं।

जिसकी वजह से दिल्ली का प्रदूषण घटा है। अगर हम हरियाणा और उत्तर प्रदेश में देखें, तो नोएडा ग्रेटर, नोएडा, गुड़गांव में 8 से 10 घंटे बिजली गायब रहती है और डीजल के जनरेटर सेट से बिजली चलती है और वे जहरीला धुआं पर्यावरण में छोड़ते हैं, उससे दिल्ली को भी पूरा नुकसान होता है।

सौरभ भारद्वाज ने कहा कि कई सालों से एनजीटी, सीपीसीबी और सुप्रीम कोर्ट कह रहा, मगर जब दिल्ली के अंदर सारी चीजें बंद कर दी जाती है, उस वक्त भी हर साल नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुड़गांव की सोसाइटी और मॉल को विशेष अनुमति दी जाती है कि आप अपने जनरेटर सेट चलाएं।

दूसरा, दिल्ली के अंदर कोयले से चलने वाले तीन प्लांट हुआ करते थे, बदरपुर, इंद्रप्रस्थ और राजघाट। दिल्ली ने तीनों थर्मल पावर प्लांट बंद कर दिए, मगर दिल्ली के 300 किलोमीटर के दायरे के अंदर 13 कोयले से चलने वाले प्लांट आज भी चल रहे हैं।

2015 से सुप्रीम कोर्ट ऑर्डर देकर कह रहा है कि इन प्लांटों को बंद किया जाए, इनकी पुरानी टेक्नोलॉजी को नई टेक्नोलॉजी में बदला जाए, मगर इसके बावजूद हर 2 साल बाद इनकी डेडलाइन पूरी हो जाती है और ये अपना काम नहीं करते।

इसके बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर इनकी डेडलाइन हर बार 2 साल बढ़ाते हैं। कोयला की लॉबी के साथ प्रकाश जावड़ेकर की क्या सांठगांठ है? ये मैं नहीं जानता। मगर हर 2 साल बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्री इनकी डेडलाइन बढ़ाते हैं और यह जहरीला धुआं दिल्ली और एनसीआर के पर्यावरण में लगातार 24 घंटे आ रहे हैं।

थर्मल पावर प्लांट को बंद करने काम भी ये लोग कर सकते थे, लेकिन नहीं किया। तीसरा, दिल्ली में चलने वाली पूरी की पूरी प्रदूषणकारी इंडस्ट्री जो पेट कोक पर चलती थी, हमने उसको बदल कर पीएनजी पर डाल दिया। अब सभी इंडस्ट्री गैस पर चलती है। अब लाखों यूनिट प्रदूषण मुक्त हो गई है। यह भी हरियाणा, उत्तर प्रदेश ने नहीं किया।

चौथा, दिल्ली ने बेहद आधुनिक इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी पास की, जहां पर हम बड़े स्तर पर इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर लोगों को सब्सिडी का लाभ दे रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग बिजली से चलने वाली गाड़ियां खरीदें। इस तरीके का कोई काम हमारे पड़ोसी राज्यों या केंद्र सरकार नहीं किया।

उन्होंने कहा, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और पंजाब के मुकाबले दिल्ली के अंदर किसान बेहद कम हैं, मगर इसके बावजूद हमने दिल्ली के किसानों को बायो डी-कंपोजर तकनीक दी, ताकि उनको पराली न जलाने के लिए एक साधन उपलब्ध हो और निःशुल्क उपलब्ध हो, लेकिन हरियाणा, उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट ने सिंगल जज की कमेटी बनाई थी कि वो देखेंगे कि उत्तर भारत में प्रदूषण कैसे कम किया जा सकता है, अक्टूबर और नवंबर में स्माॅग का पूरा धुंआ छा जाता है, उसको कैसे कम किया जा सकता है? वह कमिटी काम न कर सके, इसके लिए केंद्र सरकार ने आनन फानन में अध्यादेश लाकर एयर क्वालिटी कमीशन का गठन कर दिया, ताकि सुप्रीम कोर्ट उसके ऊपर कुछ न कर पाए, ताकि सुप्रीम कोर्ट इनके थर्मल पावर प्लांट बंद न कर दे।

केंद्र सरकार ने वह अध्यादेश 6 महीने में लोकसभा में नहीं लाएं और वह अध्यादेश खारिज हो गया, वह कमीशन खत्म हो गया। उस कमीशन को ऑफिस भी नहीं मिला और वह कमीशन भी खत्म हो गया।

यह है केंद्र सरकार की पर्यावरण और प्रदूषण के ऊपर गंभीरता। अभी-अभी केंद्र सरकार ने बजट दिया, जिसमें नेशनल क्लीन एयर एक्शन प्लान के लिए पैसा दिया है। बेहद शर्म की बात है और दुख की बात है कि जिस दिल्ली की ठेकेदारी करने के लिए नया कानून ला रहे हैं, उस दिल्ली को इन्होंने प्रदूषण से लड़ने के लिए एक रुपया भी इस एक्शन प्लान के तहत नहीं दिया है।

एक तरफ दिल्ली के लोगों ने और दिल्ली सरकार में प्रदूषण को कम किया और हम प्रदूषित शहरों में पहले नंबर से 10वें नंबर पर आ गए। वहीं, दूसरी तरफ केंद्र सरकार और भाजपा द्वारा संचालित राज्यों के अंदर प्रदूषण की हालत यह है कि 10 में से 8 शहर उनके हैं और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री इसके लिए कुछ नहीं कर रहे हैं, बल्कि जो काम सुप्रीम कोर्ट करना चाह रही है,

उसके अंदर भी दखलअंदाजी कर रहे हैं। मुझे लगता है कि इनसे ज्यादा गैर जिम्मेदार और नकारा, जिसको पर्यावरण की कोई चिंता नहीं है, ऐसे मंत्री को तुरंत केंद्र सरकार से बर्खास्त किया जाना चाहिए। पर्यावरण मंत्री का नाम तक नहीं पता, क्योंकि वे कभी भी काम के लिए जाने ही नहीं जाते हैं।

उन्होंने पर्यावरण के लिए कभी कुछ किया ही नहीं है। प्रकाश जावड़ेकर ने पर्यावरण के लिए कुछ नहीं किया। उनको इस्तीफा देना चाहिए और किसी ऐसे आदमी को पर्यावरण मंत्री बनाना चाहिए, जिसके मन में पर्यावरण के लिए कुछ करने की इच्छा हो, जिसका पोलूशन से लड़ने का कोई बैकग्राउंड हो।

यह हमारी केंद्र सरकार से मांग है और दिल्ली के लोगों को बहुत-बहुत बधाई और सलाम कि उन्होंने अपनी मेहनत से इस प्रदूषण को कम किया और आगे भी इसी तरीके से हम चलेंगे, अगर अपने वाहनों को इलेक्ट्रिकल वाहन में धीरे-धीरे बदलेंगे तो दिल्ली के अंदर और भी बेहतर समय आएगा।

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