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सऊदी अरब का मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर बड़ा फैसला,लाउडस्पीकर पर नही होगी नमाज़

सऊदी अरब का मस्जिदों में लाउडस्पीकर को लेकर बड़ा फैसला,लाउडस्पीकर पर नही होगी नमाज़

भारत में धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर के प्रयोग को लेकर अक्सर विवाद होता रहता है। भारतीय मुसलमान अल्पसंख्यक होने के कारण लाउडस्पीकर के प्रयोग को मना करने पर अपने अधिकारों का हनन मानते हैं। लाउडस्पीकर के इस्तेमाल के लिए झगड़े से लेकर कोर्ट कचहरी तक का मामला सामने आता है। लेकिन अब मुस्लिम देश सऊदी अरब ने लाउडस्पीकर को लेकर कड़ा फैसला दिया है। सऊदी सरकार की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि अब मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर नमाज़ नही होगी। अब सिर्फ अजान और इक़ामत के लिए ही लाउडस्पीकर का इस्तेमाल किया जा सकेगा। अजान नमाज का पहला आह्वान है और इक़ामत दूसरा।
इस्लामी मामलों के मंत्री अब्दुल लतीफ अल शेख ने एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा: “ऐसा देखा गया है कि मस्जिदों में लाउडस्पीकरों का इस्तेमाल बिना किसी नियम के किया जा रहा है, जिससे मस्जिदों के आसपास के घरों में रहने वालों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मस्जिदों से आ रही तेज आवाज से खासकर बीमार,बुजुर्ग और बच्चे परेशान हैं। इसके अलावा, यदि अनियमित उपयोग के कारण पड़ोस की विभिन्न मस्जिदों के इमामों की आवाज़ एक ही समय में उठती है, तो लोग उनसे परेशान होते हैं। इमाम की आवाज मस्जिद के बाहर नहीं, मस्जिद के अंदर नमाजियों तक पहुंचाई जानी चाहिए।”


यह नियम शेख मोहम्मद बिन सालेह अल-ओथैमीन और सालेह अल-फवज़ान जैसे कई इस्लामी विद्वानों के फतवे पर भी आधारित है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर का इस्तेमाल सिर्फ अज़ान और इक़ामत के लिए किया जाना चाहिए।
सर्कुलर में कहा गया है कि सऊदी अरब की मस्जिदों में अब लाउडस्पीकर का इस्तेमाल केवल अजान और इक़ामत के लिए ही होगा। इसके साथ ही, उन्होंने लाउडस्पीकर की आवाज एक तिहाई कम करने का आदेश भी दिया है। नमाज के वक्त भी लाउडस्पीकर का इस्तेमाल मस्जिद के भीतरी परिसर तक सीमित रहेगा और उस लाउडस्पीकर की आवाज भी एक तिहाई कम करनी होगी।
नमाज़ के लिए मस्ज़िद के बाहरी लाउडस्पीकर पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया गया है। आदेश का उल्लंघन करने वालों पर कड़ी सजा और जुर्माना लगाने की बात भी सर्कुलर में कही गई है।
बता दें कि यह सर्कुलर पैगंबर मोहम्मद साहब की उस हदीस पर आधारित है जिसमें उन्होंने कहा था, “देखो, तुम में से हर एक चुपचाप अपने रब को पुकार रहा है। एक को दूसरे को परेशान नहीं करना चाहिए और न ही किरात में और न ही नमाज में दूसरे की आवाज पर आवाज उठानी चाहिए।”


रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय ने सर्कुलर जारी करते हुए स्पष्ट किया कि नमाज के वक्त इमाम की आवाज मस्जिद के भीतर के लोगों के लिए ही महत्व रखती है, मस्ज़िद के बाहर बाकी घरों तक इसका पहुँचना न तो आवश्यक है और न ही अनिवार्य।
सर्कुलर में ये भी कहा गया है कि मस्जिद के बाहरी लाउडस्पीकरों से जब नमाज की आवाज आती है तो उस वक्त लोग उस पर ध्यान नहीं देते और न ही उसे ग्रहण करते हैं, यह कुरान का अपमान है।

गत वर्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी माना था कि लाउडस्पीकर इस्लाम का हिस्सा नहीं

मई, 2020 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी मस्जिदों में लाउडस्पीकर पर रोक लगाने का आदेश पारित करते हुए कहा था कि लाउडस्पीकर से अजान देना इस्लाम का हिस्सा नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकान्त गुप्ता व न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी व फर्रूखाबाद के सैयद मोहम्मद फैजल की याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया था।
कोर्ट ने कहा था, “लाउडस्पीकर से अजान इस्लाम का हिस्सा नहीं है। किसी भी मस्जिद से लाउडस्पीकर से अजान दूसरे लोगों के अधिकारों में हस्तक्षेप करना है।”
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि ध्वनि प्रदूषण मुक्त नींद का अधिकार जीवन के मूल अधिकारों का हिस्सा है और किसी को भी अपने मूल अधिकारों के लिए दूसरे के मूल अधिकारों का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं है।

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