देशवासियों को मुफ़्त वैक्सीन के लिए ग़ाज़ियाबाद जिला कांग्रेस प्रतिनिधिमण्डल ने राष्ट्रपति के नाम दिया ज्ञापन

ग़ाज़ियाबाद
देशवासियों के मुफ़्त वैक्सिनेशन के लिए शुक्रवार को ग़ाज़ियाबाद जिला कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि मंडल ने अध्यक्ष बिजेंद्र यादव एवं महानगर अध्यक्ष मनोज कौशिक के नेतृत्व में अपर नगर मजिस्ट्रेट ख़ालिद अंजुम से मिल कर उन्हें राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में लिखा कि कोरोना ने लगभग हर भारतीय परिवार को प्रभावित किया है। मोदी सरकार ने कोरोना से लड़ने की अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते हुये लोगों को उनके हाल पर छोड़ दिया है। सच्चाई यह है कि केंद्र की भाजपा सरकार कोविड-19 के कुप्रबंधन की दोषी है। महामारी के कहर के बीच वैक्सीनेशन ही एकमात्र सुरक्षा है। मोदी सरकार की वैक्सीनेशन की रणनीति बनाने में ही भारी भूल की। केंद्र सरकार ने जानबूझकर एक डिजिटल डिवाईड पैदा किया, जिससे वैक्सीनेशन की प्रक्रिया धीमी हो गई। केंद्र सरकार ने विभिन्न कीमतों के स्लैब बनाने में जानबूझकर मिलीभगत की, यानि एक ही वैक्सीन के लिए अलग अलग कीमतें तय की, ताकि आम आदमी से आपदा में लूट की जा सके। जहां अन्य देशों ने मई, 2020 से वैक्सीन खरीदने के ऑर्डर देने शुरू कर दिए थे, वहीं मोदी सरकार ने भारत को इसमें विफल कर दिया। केंद्र सरकार ने वैक्सीन का पहला ऑर्डर जनवरी, 2021 में जाकर दिया। जन पटल पर मौजूद जानकारी के अनुसार, मोदी सरकार राज्य सरकारों ने 140/ करोड़ की जनसंख्या के लिए आज तक केवल 39 करोड वैक्सीन खुराकों का ऑर्डर दिया है। भारत सरकार के अनुसार, 31 मई, 2021 तक केवल 21.31 करोड़ वैक्सीन ही लगाई गई। लेकिन वैक्सीन की दोनों खुराकें केवल 4.45 करोड़ भारतीयों को ही मिली हैं, जो भारत की आबादी का केवल 3.17 प्रतिशत है। पिछले 134 दिनों में, वैक्सीनेशन की औसत गति लगभग 16 लाख खुराक प्रतिदिन है। इस गति से देश की पूरी व्यस्क जनसंख्या को वैक्सीन लगाने में तीन साल से ज्यादा समय लग जाएगा। यदि ऐसे ही चलता रहा तो हम देश के नागरिकों को कोरोना की तीसरी लहर से कैसे बचा पाएंगे, इस सवाल का जवाब मोदी सरकार को देना होगा।


इस विकराल महामारी के बीच हमारे देश के नागरिक कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं, लेकिन मोदी सरकार वैक्सीन का निर्यात करने में व्यस्त है। केंद्र की भाजपा सरकार आज तक वैक्सीन की 6.63 खुराक दूसरे देशों को निर्यात कर चुकी है। यह देश के लिए सबसे बड़ा नुकसान है।
मोदी सरकार द्वारा वैक्सीन के लिए तय की गई अलग अलग कीमतें लोगों की पीड़ा से मुनाफाखोरी का एक और उदाहरण है।
सीरम इंस्टीट्यूट की कोवीशील्ड की एक खुराक की कीमत मोदी सरकार के लिए 150रु. राज्य सरकारों के लिए 300 रु. और निजी अस्पतालों के लिए 600 रु. है। भारत बायोटेक की कोवैक्सीन की एक खुराक की कीमत मोदी सरकार के लिए 150 रु. राज्य सरकारों के लिए 600 रु. और निजी अस्पतालों के लिए 1.200 रु. है। निजी अस्पताल एक खुराक के लिए 1500 रु तक वसूल रहे हैं। दो खुराकों की पूरी कीमत की गणना इसी के अनुसार होगी। मोदी सरकार द्वारा एक ही वैक्सीन की तीन अलग अलग कीमतें तय करना लोगों की पीड़ा से मुनाफाखोरी कमाने का नुस्खा है।

देश दुनिया की अहम खबरें अब सीधे आप के स्मार्टफोन पर TheHindNews Android App


आज जरूरत है कि केंद्र सरकार वैक्सीन खरीदे और राज्यों एवं निजी अस्पतालों को निशुल्क वितरित करे ताकि वह भारत के नागरिकों को लगायी जा सके।
साथ ही हमें 31 दिसंबर, 2021 तक या उससे पहले 18 साल से अधिक आयु की पूरी व्यस्क जनसंख्या को वैक्सीन लगाने का काम पूरा करने की जरूरत है। देश के नागरिकों का बचाव करने का यही एकमात्र रास्ता है। इसका एकमात्र उपाय है कि एक दिन में कम से कम एक करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जाए, न कि एक दिन में औसतन 16 लाख लोगों को
इसीलिए हम माननीय राष्ट्रपति से निवेदन करते हैं कि आप मोदी सरकार को दिन में एक करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने एवं यूनिवर्सल मुफ्त वैक्सीनेशन का निर्देश दें। कोविड-19 महामारी से लड़ाई एवं इस बीमारी को हराए जाने का यही एकमात्र रास्ता है। हम भारतीयों को कोरोना से जीत दिलाने का भी यही एकमात्र रास्ता है।
ज्ञापन देने वालों में बिजेंद्र चौधरी, वार्ड 95 पार्षद मोहम्मद ज़ाकिर अली सैफ़ी, मुनीश शर्मा,मनोज चौधरी, सुनील शर्मा, कुलभूषण, इमरान मलिक, अकबर चौधरी, ओंकार सिंह,एस.एन राय, आशीष शर्मा, यामीन मलिक,लेखराज त्यागी, सत्यप्रकाश सत्तो तथा अमोल वशिष्ठ आदि शामिल रहे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here