‘बाबा जेल में हैं पर मुझे रोज़ दिखते हैं’; कश्मीरी बेटियों ने मोदी से की गुहार
प्रमुख कश्मीरी अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह की छोटी बेटी सहर शब्बीर शाह का कहना है कि वह अपने पिता की गिरफ़्तारी के बाद उदास और तनाव में रहती हैं.
चार साल पहले जांच एजेंसी एनआईए ने चरमपंथियों को फंडिंग करने के मामले में दर्जनों अलगाववादी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ-साथ शब्बीर शाह को भी गिरफ्तार कर दिल्ली की तिहाड़ जेल में क़ैद कर दिया था.
इनमें पूर्व विधायक इंजीनियर रशीद और महबूबा मुफ्ती की पीडीपी के युवा नेता वहीद-उर-रहमान पर्रा भी शामिल हैं.
सहर शब्बीर शाह इस दौरान मानसिक तनाव का शिकार हो गईं. वो लंबे समय तक समझ नहीं पाईं कि उनके पिता जेल में क्यों हैं.
वो कहती हैं,”मुझे बार-बार खिड़की या अलमारी के शीशे में बाबा दिखते थे. एक बार शीशे में से अलमारी के अंदर दिखे और कहा कि मुझे बाहर निकालो, मैंने शीशा तोड़ दिया. मेरे दोनों हाथ जख्मी हो गए. अब मेरी माँ घर के सभी शीशों को कपड़े से ढक देती हैं.”
“मैं रोज़ सपने में बाबा को देखती हूं, जैसे वह मुझे बुला रहे हों और कह रहे हों कि मुझे जेल से रिहा कर दिया गया है. फिर मेरी मां जगाती है और मुझे कुछ देर बाद होश आता है.”
सहर की पढ़ाई भी प्रभावित हुई है. मनोचिकित्सक से इलाज कराने के दौरान उन्होंने बारहवीं कक्षा की परीक्षा दी.
“मैं तनाव से राहत देने वाली बहुत सारी दवाएं लेती थी, मुझे बाबा की भी याद आ रही थी, इसलिए मुझे अच्छे नंबर नहीं मिल सके. लेकिन अब मैंने उनकी रिहाई के लिए सोशल मीडिया पर कैंपेन चलाया है.”
तिहाड़ जेल में ही क़ैद एक और हुर्रियत नेता अल्ताफ़ शाह की बेटी, रुवा शाह पिछले चार साल में बहुत ही परेशानी वाले दौर से गुज़री हैं.
वह फ़िलहाल तुर्की में रहती हैं, लेकिन पिछले सालों में पिता से रोज़ाना मिलने के लिए उन्होंने दिल्ली में काफी समय बिताया.
वो कहती हैं, “मेरा रोज़ाना तिहाड़ जेल में आना-जाना, तलाशी का वो दौर, फिर लंबा इंतज़ार और जब मेरी बारी आती थी, तो शीशे की दीवार की आड़ से सबके सामने उनसे बात करना, ओह! मैं उन दिनों को याद कर परेशान हो जाती हूँ.”
मोहम्मद अल्ताफ़ शाह हुर्रियत कांफ्रेंस के एक ग्रुप के नेता सैयद अली शाह गिलानी के दामाद भी हैं और गिलानी के नेतृत्व वाले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख नेताओं में से एक हैं.
रुवा की समस्या यह है कि जब तिहाड़ जेल से फोन के ज़रिये उनके घर ख़बर पहुंचती है कि वो ठीक हैं, तभी वह तुर्की से फ़ोन करके अपने पिता के स्वास्थ्य के बारे में पता कर पाती है.
मीरवाइज़ उमर फारूक़ के राजनीतिक सचिव, आफताब हिलाली शाह उर्फ शाहिदुल इस्लाम भी इसी आरोप में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
पिता पहचान भी नहीं पाए
जब उन्हें गिरफ्तार किया गया तब उनकी छोटी बेटी सुंदुस शाह नौ साल की थीं.
सुंदुस कहती हैं, “पिछले साल जब मैं मुलाक़ात के लिए अपनी मां के साथ तिहाड़ जेल गई तो पापा ने माँ से पूछा कि सुंदुस कहां हैं, वो कैसी हैं. माँ ने मेरी ओर इशारा किया तो वह रो पड़े. इतना समय बीत चुका था कि उन्होंने मुझे पहचाना भी नहीं. उसके बाद जब हम घर लौटे तो मैं कई दिनों तक सो नहीं पाई.”
आफ़ताब शाह की बड़ी बेटी सुज़ैन शाह कहती हैं, “हम अनाथों की तरह ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं. खास तौर पर कोरोना महामारी के कारण अब तो मुलाक़ातें भी बंद हैं, महीने में एक बार फोन आता है. चार मिनट बात करने की इजाज़त होती है और इसमें भी आवाज़ सही नहीं आती है. चार मिनट में इंसान रोये या बात करे?”
2017 में एनआईए ने कश्मीर के दो अलगाववादी दलों, लिबरेशन फ्रंट और जमात-ए-इस्लामी पर चरमपंथियों को वित्तीय सहायता देने के आरोप में प्रतिबंध लगा दिया था और दर्जनों नेताओं और उनके कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर के तिहाड़ जेल में क़ैद कर दिया था.
अगस्त 2019 में, जब कश्मीर की अर्ध-स्वायत्तता को समाप्त करने के बाद, कई महीनों तक कर्फ्यू लगाने के साथ-साथ संचार के साधनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था, तो उस दौरान भी सैकड़ों कश्मीरियों को जेल में डाल दिया गया था.
कोरोना के कारण बढ़ीं मुश्किलें
कश्मीरी कै़दियों के साथ रिश्तेदारों की मुलाक़ातें एक आम बात थी, लेकिन पिछले साल अप्रैल में भारत ने कोरोना महामारी के फैलाव को ध्यान में रखते हुए, जेलों में बंद क़ैदियों के साथ उनके रिश्तेदारों के मिलने पर रोक लगा दी थी.
अब कै़दियों की बेटियों के लिए चिंता का प्रमुख कारण, जेलों में फैलता कोरोना संक्रमण भी है.
पिछले महीने सैयद अली गिलानी की हुर्रियत कांफ्रेंस के प्रमुख नेता मोहम्मद अशरफ ख़ान उर्फ सहराई जेल में ही संक्रमित हुए और जेल में ही उनकी मौत हो गई.
सरकार ने पुष्टि की कि उनकी मृत्यु कोरोना से हुई है, लेकिन उनके परिवार ने दावा किया कि मृत्यु से पहले उनका उनका टेस्ट नेगेटिव था और उनकी मृत्यु जेल अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुई थी.
सहर शाह, सुजै़न, सुंदुस, रुवा शाह और दूसरे ऐसे कैदियों की बेटियां और बेटे अब इस बात से चिंतित हैं कि जेलों में कोरोना वायरस फैलने की आधिकारिक पुष्टि के बावजूद, सरकार न तो कै़दियों को रिहा कर रही है और न ही उन्हें कश्मीर की जेलों में भेज रही है.
सुंदुस और उनकी बड़ी बहन सुजै़न शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके पिता को रिहा करने की अपील की है.
“मेहरबानी करके उन्हें रिहा करें. उन्हें कई तरह की बीमारी हैं, प्लीज़ उन्हें ज़मानत पर रिहा करें, घर में नज़रबंद रखिये जैसे बाकी लोगों को रखा है. हम उनकी देखभाल करना चाहते हैं. अगर, घर नहीं तो कम-से-कम कश्मीर की किसी जेल में ट्रांसफर कर दीजिये. कम-से-कम हम वहां जा तो सकते हैं. पता तो चले कि वे किस हाल में हैं.
जेलों में बंद चार हज़ार से ज़्यादा कश्मीरी क़ैदी
शब्बीर शाह की बेटी सहर शाह ने बताया कि उनके पिता, जिन चार साथी कैदियों के साथ नमाज़ पढ़ते थे, उन चारों को कोविड हो गया है और शब्बीर शाह पहले से ही कई तरह की बीमारियों से पीड़ित हैं. “कम से कम उन्हें कश्मीर जेल में शिफ्ट कर दिया जाता, तो हम राहत की सांस लेते.”
भारत प्रशासित कश्मीर की 13 बड़ी जेलों में इस समय 4,500 कश्मीरी कैद हैं. जेल अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर की जेलों में कोरोना वायरस से सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम हैं और कै़दियों की स्क्रीनिंग और टीकाकरण की बेहतर व्यवस्था है.
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार से कहा था कि करोना महामारी को ध्यान में रखते हुए, जेलों में भीड़ कम करने के लिए तिहाड़ जेल में बंद कैदियों को उनके गृह क्षेत्रों में ही रखा जाये.
इस संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है और कश्मीरी कैदियों की बेटियां, सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की दुहाई दे कर भारत सरकार से लगातार अपील कर रही हैं.
साभार बीबीसी