लक्षद्वीप विवाद: फ़िल्मकार आयशा सुल्तान पर राजद्रोह का केस क्यों?

सुप्रीम कोर्ट के राष्ट्रद्रोह क़ानून के दायरे को सीमित करने को अभी एक पखवाड़ा भी नहीं हुआ है कि लक्षद्वीप में प्रशासन ने टीवी बहस के दौरान की गई एक फ़िल्म निर्माता की टिप्पणी पर इस क़ानून के तहत मुक़दमा दर्ज कर लिया है.

लक्षद्वीप की युवा फ़िल्मकार आयशा सुल्ताना पर आईपीसी की धारा 124बी के तहत मुक़दमा दर्ज किया गया है. उन्होंने एक मलयाली टीवी चैनल की बहस के दौरान केंद्र शासित प्रदेश के प्रसारक प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को ‘जैविक हथियार’ कह दिया था.

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टीवी बहस के दौरान आयशा सुल्ताना ने कहा था कि जिस तरह चीन ने महामारी फैलाई उसी तरह भारत सरकार ने लक्षद्वीप के लोगों के ख़िलाफ़ जैविक हथियार का इस्तेमाल किया है.

लक्षद्वीप में क्या चल रहा है?

केरल बीजीपी के उपाध्यक्ष एपी अब्दुल्ला कुट्टी ने बीबीसी से कहा, ”मुझे लगता है कि उन्होंने एक राष्ट्रविरोधी बयान दिया है.”

अब्दुल्ला लक्षद्वीप में बीजेपी के प्रभारी भी हैं.

गुजरात के पूर्व मंत्री और लक्षदीप के मौजूदा प्रशासक प्रफुल पटेल ने हाल के महीनों में कई विवादित फैसले लिए हैं. इन्हीं के कारण लक्षद्वीप इन दिनों चर्चा में है.

पटेल ने लक्षद्वीप में बीफ़ बैन कर दिया है और शराब के सेवन पर लगी पाबंदी हटा दी है. इसके अलावा उन्होंने एक नया विकास प्राधिकरण बनाने का प्रस्ताव दिया है जो लक्षद्वीप के किसी भी इलाके को डेवलपमेंट ज़ोन घोषित करके ज़मीन का अधिग्रहण कर सकता है.

लक्षद्वीप के लोग इन बदलावों का कड़ा विरोध कर रहे हैं और प्रांत में कई सप्ताह से प्रदर्शन चल रहे हैं. इसी मुद्दे पर टीवी बहस के दौरान आयशा सुल्ताना ने ये टिप्पणी की है.

सुल्ताना ने जैविक हथियार शब्द का इस्तेमाल करने से इनकार नहीं किया है लेकिन स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि उनका कहने का मतलब ये था कि प्रफुल्ल खोड़ा पटेल को केंद्र सरकार ने लक्षद्वीप पर थोपा है.

अपने फेसबुक पोस्ट में सुल्ताना ने कहा, ‘मेरे मदीने ने मुझे सिखाया है कि यदि तुम युद्ध की स्थिति में हो तब भी अपनी मातृभूमि के साथ खडे़ रहे. ये बात मैं यहां इसलिए कह रही हूं क्योंकि कुछ लोग मुझे देशद्रोही की तरह दिखा रहे हैं, इसकी वजह ये है कि मैंने एक टीवी बहस के दौरान बायो वेपन शब्द का इस्तेमाल किया. सब ये जानते हैं कि मैंने उन शब्दों का इस्तेमाल सिर्फ प्रफुल्ल पटेल के लिए किया था.’

सुल्ताना इस मुद्दे पर बीबीसी के सवालों का जवाब देने के लिए उपलब्ध नहीं हो सकीं। लेकिन लक्षद्वीप से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सांसद मोहम्मद फ़ैज़ल ने बीबीसी से कहा, ”मैं भी चैनल की उस चर्चा में शामिल था. हम प्रफुल्ल खोड़ा पटेल के उठाए कदमों पर चर्चा कर रहे थे जब सुल्ताना ने बॉयोवेपन शब्द का इस्तेमाल किया. चर्चा में शामिल बीजेपी के प्रतिनिधि ने सुल्ताना को अपनी बात पूरी तरह से रखने का मौका ही नहीं दिया. सुल्ताना ये समझा ही नहीं पाईं कि उन्होंने ये शब्द क्यों इस्तेमाल किया.”

फ़ैज़ल ने कहा, ”वो प्रफुल खोड़ा पटेल पर लक्षद्वीप के क्वारंटीन नियमों में ढील देने का आरोप लगा रही थी. पटेल के ऐसा करने के बाद ही लक्षद्वीप में कोरोना फैला था. बीजेपी के नेताओं ने इस मौके का इस्तेमाल द्वीप पर डर फैलाने के लिए किया है ताकि प्रदर्शन समाप्त हो जाएं. उनका इरादा यही है. सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि किसी बयान को देशद्रोह नहीं माना जा सकता है.”

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

जस्टिस डीवाई चंद्रचूण की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट की बैंच ने कहा था, ”हमारी राय ये है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 153ए और 505 के मापदंडों के दायरे की व्याख्या की आवश्यक्ता होगी, ख़ासकर इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया के समाचार और जानकारियां देने के संदर्भ में…भले ही वो देश के किसी भी हिस्से में चल रही सत्ता के आलोचना में ही क्यों ना हों.”

सुल्ताना पर दर्ज किए गए मुक़दमे के संदर्भ में इस सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का आख़िरी हिस्सा बेहद अहम है जहां सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, ‘भले ही वो देश के किसी भी हिस्से में चल रही सत्ता के आलोचना में ही क्यों न हों.”

तिरूवनंतपुरम से कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने एक ट्वीट में कहा है, ‘हमारे लोकतंत्र में, सरकार की ऐसी आलोचना जिसमें हिंसा का आह्वान न किया गया हो, देशद्रोह नहीं है, ये ऐसा सिद्धांत है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार स्थापित किया है. विभिन्न राज्यों की पुलिस बार-बार इसकी अनदेखी करती है. ये मामला रद्द होना चाहिए.’
हालांकि लक्षद्वीप में पुलिस ने मुक़दमा स्थानीय बीजेपी नेता सी अब्दुल कादर हाजी की शिकायत पर दर्ज किया है.

जांच चल रही हैः पुलिस

क्या सुल्ताना से पूछताछ हुई है या उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा, इस सवाल के जवाब में लक्षद्वीप के पुलिस अधीक्षक शरत सिन्हा ने बीबीसी से कहा, ‘अभी जांच चल रही है, मामला अदालत में है. मैं इससे ज़्यादा कुछ नहीं कह पाउंगा.’
वहीं अब्दुल्ला कुट्टी ने कहा, ‘आप जानते हैं कि उसके बयान देते ही क्या हुआ… पाकिस्तान के मीडिया ने उसके बयान का जश्न मनाया.’
सुल्ताना के समर्थन में लक्षद्वीप में बीजेपी के कई सदस्यों और नेताओं ने इस्तीफ़ा दे दिया है.
अबदुल्ला कुट्टी ने कहा, ‘कुछ समस्याएं हैं, हम उन्हें निबटा देंगे.’

क्या अदालत में टिकेगा ये मामला?

वहीं एक और ट्वीट में शशि थरूर ने कहा है, ‘देशद्रोह का मामला अदालत में गिर जाएगा क्योंकि ये मूल जरूरतों को भी पूरा नहीं करता है लेकिन तब तक उसे पीड़ा झेलने के लिए मजबूर किया जाएगा. ये क़ानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है और हमारे लोकतंत्र को शोभा नहीं देता है. आयशा सुल्ताना पर दर्ज मुक़दमा रद्द होना चाहिए.’

साभार बीबीसी

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