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मुस्लिम कार मैकेनिक की बच्ची जरीना ने CA के इम्तेहान में किया टॉप

मुस्लिम कार मैकेनिक की बच्ची जरीना ने CA के इम्तेहान में किया टॉप

महाराष्ट्र
पढ़ाई को लेकर मुस्लिम क़ौम को हमेशा निशाने पर रखा जाता है। ख़ास तौर पर लड़कियों की शिक्षा को लेकर मुसलमानों को लापरवाह बताया जाता है। लेकिन अब पढ़ाई को लेकर मुस्लिम क़ौम का नज़रिया बदलता जा रहा है। मुस्लिम शिक्षा के क्षेत्र में आये दिन नई इबारतें लिख रहे हैं। लड़कियां भी परीक्षाओं में बाजी मार रही हैं। महाराष्ट्र की मुस्लिम लड़की ने उस कारनामे को अंजाम दिया है,जिसे करने का सपना हर छात्र देखता है। गैराज में काम करने वाले एक मैकेनिक की बेटी ने चार्टर्ड एकाउंटेंट इंटरमीडिएट (ओल्ड कोर्स) के रिजल्ट में टॉपर बनकर अपने वालिद ही नहीं,बल्कि पूरी क़ौम का सर फ़ख़्र से बुलन्द किया है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया द्वारा जारी परीक्षा परिणामों के अनुसार जरीना ने 700 में से 461 (65.86 प्रतिशत) अंक प्राप्त करके इस परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक-1हासिल की है। इसके अलावा चेन्नई के अजीत बी. शेनाय 62.29 प्रतिशत के साथ दूसरे स्थान पर और पलक्कड (केरल) के सिद्धार्थ मेनन आर. 58.29 प्रतिशत के साथ तीसरे स्थान पर रहे। इन परीक्षाओं का आयोजन 2020 में किया गया था और ओल्ड कोर्स की परीक्षा में कुल 4094 छात्र-छात्राएं शामिल हुये थे।


जरीना के पिता यूसुफ खान एक गैराज में मैकेनिक हैं और परिवार सहित एक किराये के मकान में रहते हैं। पिता की आमदनी अधिक न होने के कारण जरीना को पढ़ाई के लिए पर्याप्त सुविधाएँ नही मिल सकीं। लेकिन होनहार जरीना ने समझदारी का परिचय देते हुये,कभी पिता से अभावों की शिकायत नही की। जरीना ने अभावों का रोना रोकर पढ़ाई छोड़ देने की जगह मेहनत करके सफलता प्राप्त की।
जरीना ने बताया कि वह केवल 300 वर्ग गज के अपने घर में माता-पिता और तीन भाईयों-बहनों के साथ रहती है। उसने 2017 में इस कोर्स में एडमिशन लिया था और फिर दो साल का गैप हो गया, लेकिन परिवार के लगातार कहने पर उन्होंने पिछले साल एग्जाम दिया था। उसने मेहनत भी बहुत की।
जरीना ने बतया कि यहाँ सुबह शोर-शराबा बढ़ जाता है। इसलिये वह घर की रसोई में बैठकर पूरी रात पढ़ा करती थी।
रैंक पाने की भी उम्मीद न रखने वाली जरीना ने टॉप करने पर बताया कि मैंने अपनी एक मित्र से एग्जाम टॉप करने की खबर सुनी तो मुझे इस बात पर पहले तो यकीन ही नहीं हुआ। देश में अव्वल आने की तो छोड़ो, मुझे रैंक पाने की भी उम्मीद नहीं थी। मैं परीक्षा के समय बहुत डरी हुई थी।
जरीना की इस कामयाबी में साबित किया है कि सफलता के सुविधाओं का होना आवश्यक नही है। यदि लगन हो तो बिना सुविधाओं के भी इंसान कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ सकता है। जरीना की कामयाबी ने उन लड़कियों की पढ़ाई के रास्ते भी खोले हैं,जिनके माँ-बाप लड़कियों की पढ़ाई पर जोर नही देते।
आज पूरा देश एवं पूरी क़ौम जरीना पर फ़ख़्र कर रही है।

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