डॉ नाज़िया खान
बारिश अपने साथ लाती है मिट्टी की सौंधी खुशबू, हरियाली की चादर, सुहाना मौसम, अदरक वाली चाय और पकौड़ों की तलब और ढेर सारी स्किन प्रॉब्लम्स। फंगस के पनपने का यह आदर्श मौसम है इसलिये फंगल इन्फेक्शन से बचाव बहुत ज़रूरी है।
◾फंगल इन्फेक्शन क्या है?
कवक (Fungus) हवा, मिट्टी, पानी और पौधों में हो सकते हैं। कुछ ऐसे कवक भी होते है, जो स्वाभाविक रूप से मानव शरीर में रहते हैं।
यह रोगाणुओं की तरह ही होते हैं। इनमें से कुछ उपयोगी कवक होते हैं, तो कुछ हानिकारक भी होते हैं। जब अनुकूल वातावरण (नमी और गर्मी) पाकर हानिकारक फंगस की संख्या इतनी बढ़ जाए कि प्रतिरक्षातंत्र इनसे लड़ न पाए तो लक्षण त्वचा पर प्रकट होने लगते हैं।
◾फंगल इन्फेक्शन के प्रकार-
यह कई प्रकार का होता है। सामान्यतः मिलने वाले संक्रमणों में मुख्य हैं-
🔹एथलीट फुट (टीनिया पेडिस)- यह पैरों में होने वाला सामान्य संक्रमण है। सिंथेटिक मोज़े, नम और टाइट जूते पहनने, सार्वजनिक लॉकर, स्विमिंग पूल आदि का प्रयोग करने से यह फैलता है। पैरों में अत्यधिक पसीने से उत्पन्न नमी इसका कारण होती है। पैर की अँगुलियों के बीच में लालिमा, खुजली, घाव और शल्क जैसी त्वचा निकलना इसका लक्षण है।
🔹रिंग वर्म (टीनिया कॉर्पोरिस)- इसमें त्वचा पर गहरे लाल रंग के परतदार चकत्ते बन जाते हैं जिनमें सूजन, दर्द और खुजली होती है। मुख्यतः चेहरे, खोपड़ी और जोड़ों, नितम्ब और जांघों पर पाए जाते हैं।
🔹कैंडिडा- कैंडिडा फंगस की डेढ़ सौ से ज़्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। ये मुख्यतः श्लेष्मिक कला (म्यूकस मेम्ब्रेन) में संक्रमण करती हैं। योनि की म्यूकस मेम्ब्रेन में जलन, खुजली, सूजन, लालिमा, स्राव, मुंह, जीभ, गालों की आंतरिक सतह में पीलापन लिये उभरे धब्बे, जलन, बदबू, अरुचि, स्वाद खराब होना आदि इसके लक्षण हैं।
🔹नाखूनों में फंगल इन्फेक्शन (ऑनिकोमायकोसिस)- यह इंफैक्शन गंदगी, प्रदूषण, साफ सफाई ना करना, सिंथेटिक मोज़े और पैरों में बहुत देर तक पसीना जमा रहने की वजह से होता है। हाथों के नाखूनों में भी हो सकता है।इसमें नाखूनों का पीला पड़ना, नाखूनों के आस-पास रैशेज़ होना, सफेद पदार्थ का निकलना, नाखूनों में दरारें पड़ना, आसपास का हिस्सा लाल होना, तेज़ दर्द होना आदि लक्षण होते हैं।
बचाव-
🔹फंगल इन्फेक्शन का सबसे बड़ा कारण आर्द्रता है। नमी और गर्मी पैदा करने वाली स्थितियों से बचें।
🔹याद रखें इम्युनिटी कमज़ोर होने पर ही हर तरह के संक्रमण हावी होते हैं। इम्युनिटी बढाने पर ध्यान दें।
🔹बारिश में भीगें या न भीगें, त्वचा और बाल साफ और सूखे रखें।
🔹बाहर जाते समय बालों में अधिक तेल न डालें। बालों को सामान्य दिनों से ज़्यादा बार धोएं। धोने के बाद एप्पल साइडर विनेगर स्प्रे कर लें। बाल मुलायम, चमकदार भी होंगे और फंगस भी नहीं पनपेगी।
🔹कपड़े अच्छे से प्रेस करके पहनें।
🔹नहाने के बाद पैरों की उंगलियों के बीच की जगह अच्छे से पोंछकर सुखाएं और पाउडर लगाएं।
🔹सिंथेटिक, नॉन ब्रेदेबल कपड़े ख़ासकर अंतर्वस्त्र और मोज़े बिल्कुल न पहनें। ढीले सूती कपड़े पहनें, हाइजीन का ध्यान रखें।
🔹शरीर के वे हिस्से और जोड़ जो आपस में सटे रहते हैं और जहाँ पसीना ज़्यादा आता है, वहाँ की सफाई और सूखा रखने का विशेष ध्यान दें।
🔹यदि तैलीय त्वचा है तो दिन में चार पांच बार साफ सादे पानी से चेहरा धोएं। यदि शुष्क त्वचा है तो गुलाबजल में कुछ बूंदें बादाम या जैतून के तेल की मिलाकर त्वचा पर लगाएं।
🔹सार्वजिनक स्थल और दूसरों के इस्तेमाल में लाए सामान का प्रयोग करने से बचें।
🔹शरीर में पानी की कमी न होने दें, पसीना सुखाने का ध्यान रखें।
फंगल संक्रमण दूर करने के घरेलू उपाय-
🔹जैतून और नारियल के तेल में नीम, पुदीने की पत्तियों का पेस्ट और थोड़ी सी हल्दी (यदि ताज़ी मिल जाए तो बेहतर) मिलाकर आधे घण्टे यह लेप लगाकर रखें। दिन में दो-तीन बार दोहराएं।
🔹सेब के सिरके (एप्पल साइडर विनेगर) को गर्म पानी में मिलाकर प्रभावित स्थान को 10-15 मिनट डुबोकर रखें फिर पोंछकर एंटी फंगल पाउडर लगा लें। विशेषतः उंगलियों, पैरों और नाखूनों के संक्रमण में।
🔹लहसुन में भी फंगसरोधी गुण होते हैं। लहसुन की कलियों का पेस्ट प्रभावित स्थान पर आधे घण्टे लगाकर धो लें।
🔹दही लगाकर भी आधे घण्टे छोड़कर धोया जा सकता है।
🔹मुल्तानी मिट्टी का लेप भी असरकारक है।
🔹दिन में 3-4 बार एलोवेरा जेल लगाएं।
🔹प्याज़ में शहद या पान के पत्ते का रस मिलाकर लगाएं।
🔹नारियल तेल में दालचीनी पाउडर मिलाकर लगाएं।
🔹रक्तमोक्षण, कपिंग भी प्रभावी है।
🔹दही, सेब का सिरका, लहसुन, हल्दी का नियमित सेवन भी करें।
🔹रोगी के कपड़े और सामान बिल्कुल अलग रखें।
🔹जब तक संक्रमण पूरी तरह ठीक न हो जाए, इलाज लेते रहें। थोड़ा सा भी छूटने पर फिर से फैलने का डर रहता है।
🔹यदि संक्रमण ज़्यादा फैला है या लक्षण गम्भीर हैं तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लें।
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