जानिए जहांगीरपुरी मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या कहा गया

नई दिल्ली। जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ को लेकर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बी आर गवई की बेंच ने मामले की सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि फिलहाल जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ नहीं होगी। कोर्ट ने नोटिस जारी कर अथॉरिटी से जवाब मांगा है। अब इस मामले की दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी। तब तक कोर्ट का यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला जारी रहेगा।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तोड़फोड़ जारी रखने से सुप्रीम कोर्ट नाराज है। कोर्ट ने कहा है कि हम इस पर गंभीर रुख दिखाएंगे। अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि ये राष्ट्रीय महत्त्व का मुद्दा है। इस पर जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा कि इसमें राष्ट्रीय मुद्दा क्या है? ये एक इलाके से जुड़ा मामला है। जहांगीरपुरी याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि ये मुद्दा सिर्फ जहांगीर पुरी तक सीमित नहीं है। ये देश भर के सामाजिक ताने-बाने के खिलाफ है। लोकतंत्र नहीं रह गया है। कानून का शासन भी नहीं रहा। कैसे BJP अध्यक्ष कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर कहते हैं कि तोड़फोड़ कीजिए। यह हर दंगा प्रभावित क्षेत्र में है। 1984 या 2002 में ऐसा कुछ नहीं था। अचानक क्यों?
अतिक्रमण के नाम पर दिल्ली में तोड़फोड हुआ है। इसका असाधारण महत्त्व है। समाज के खास तबके को निशाना बनाया जा रहा है। दिल्ली पुलिस ने विहिप के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
SG तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें तथ्यों पर बहस करने दें। सुप्रीम कोर्ट ने दवे को कहा कि अपने आप को दिए गए बिंदुओं तक सीमित रखें।
एमसीडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए दवे ने कहा कि दिल्ली में 1731 अवैध कालोनी हैं, जिनमें 50 लाख लोग रहते हैं। लेकिन एक खास तबके की कॉलोनी को निशाना बनाया। आपने घरों को बर्बाद किया, आपने गरीबों को टारगेट किया, आपको साउथ दिल्ली या पॉश कॉलोनियों में कार्रवाई करनी चाहिए। दवे ने कहा कि ये देश संविधान और कानून के शासन से शासित है। यहां 30 साल से ज्यादा पुरानी दुकाने हैं। जे जे कालोनी, स्लम, गांव आदि के लिए नियम कानून बनाए गए हैं।
जस्टिस नागेश्वर राव ने पूछा, वो नियम दिखाइए जो कहता है कि निगम को नोटिस देना होगा। दवे ने कहा कि नगर निगम एक्ट है। यहां तक शेल्टर का अधिकार भी है। जंगल राज नहीं चल सकता। सैनिक फार्म जैसी पॉश जगह है। लेकिन आप घरों को तोड़ रहे हैं। इसके लिए कौन जिम्मेदार है। बीजेपी अध्यक्ष की चिट्ठी देश के हालात की दुखद कमेंट्री है।
वहीं जमीयत उलेमा-ए-हिन्द की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एमपी के एक मंत्री ने बयान दिया कि अगर मुस्लिम हमला करते हैं तो न्याय की चाह ना रखें। जो लोग उस समय इलाके में नहीं थे, उनके घर भी तोड़ दिए गए। दिल्ली में समुदाय में डर फैलाया जा रहा है। एक समुदाय को ही टारगेट बनाया जा रहा है। कोर्ट को संदेश देना चाहिए कि यहां कानून का राज है। तोड़फोड़ पर रोक लगे। जस्टिस राव ने कहा कि हम पूरे देश में तोड़फोड़ पर रोक नहीं लगा सकते। इस पर सिब्बल ने कहा कि हम बुलडोजर से तोड़फोड़ पर रोक चाहते हैं। इस पर जस्टिस राव ने कहा कि तोड़फोड़ हमेशा बुलडोजर से ही होती है।
तोड़फोड़ के पीड़ित की ओर से हमें बताया था कोर्ट के आदेश के बारे में वो नहीं माने। दवे ने कहा कि 11 बजे मेयर ने मीडिया को बोला था कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करेंगे। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जहांगीर पुरी में जनवरी से अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही चल रही है। जहांगीर पुरी में पांच नोटिस दिए गए थे। आखिरी कार्यवाही कल हुई थी। तुषार मेहता ने कहा कि ये संगठन ऐसे ही मामले में कूद जाते हैं। जबकि पीड़ित नहीं आता है। क्योंकि उनको सबूत दिखाना होगा। एक समुदाय को टारगेट नहीं किया जा रहा। तथ्य ये है कि मध्य प्रदेश के खरगौन में 88 हिंदु और 26 मुस्लिम थे। सरकार ये बंटवारा नहीं करना चाहती। लेकिन हम ये करने पर मजबूर हुए। नोटिस 2021 में जारी किए गए थे।
फिलहाल जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ नहीं होगी।

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