जब तक पूरा समाज मिलकर नफ़रत के खिलाफ आवाज़ नहीं उठायेगा ऐसी जघन्य घटनाएं होती रहेंगी
मो. राशिद अल्वी(विधिक छात्र)
अख़लाक़,पहलु ख़ान, हाफ़िज़ ज़ुनैद आदि दर्दनाक लिंचिंग घटनाओं की तरह उदयपुर के कन्हैय्यालाल लिंचिंग की घटना भी उतनी ही दर्दनाक है।जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है।समाज में ऐसी घृणित मानसिकता की बिल्कुल जगह नहीं होनी चाहिए। हर लिंचिंग की घटना के बाद आलोचनाओं की, निंदा की बाढ़ सी आ जाती है, लेकिन कुछ एक्टिविस्ट और जर्नलिस्ट को छोड़कर कोई उन फ्रिंज एलिमेंट्स की बात नहीं करता, उनके खिलाफ आवाज़ नहीं उठाता, जिनकी वजह से ऐसे जघन्य अपराध हो रहे हैं। जिनकी वजह से समाज का युवा वर्ग धर्मांध और कटृरवाद की ओर बढ़ रहा है और सिरफिरा बनकर ऐसी जघन्य घटनाओं को अंजाम दे रहा है। उस फ्रिंज मीडिया के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते’ जिनकी डिबेट से नफ़रत का ज़हर परोसा जा रहा, उन राजनेताओं के ख़िलाफ़ खड़े नहीं होते जो ऐसे जघन्य अपराधियों के हार डालकर उनका स्वागत कर मनोबल बढ़ाते हैं, ऐसे कटृरवादी धार्मिक गुरुओं की आलोचना नहीं करेंगे जिनकी वजह से धर्मांध का कटृरवाद फैल रहा है, और ऐसे लोगों का विरोध नहीं करेंगे जो अपराधियों और बलात्कारियों के समर्थन में रेलियां निकालते हैं। जब तक प्रत्येक समुदाय और पूरा समाज और बुद्धिजीवी वर्ग ऐसे फ्रिंज एलिमेंट्स के खिलाफ मिलकर विरोध नहीं करेंगे तब तक ऐसे जघन्य अपराधों को नहीं रोका जा सकता।
मैं समझता हूँ कि उदयपुर की घटना को मुस्लिम समुदाय को बिल्कुल यह कहने में संकोच नहीं करना चाहिए कि यह घटना उनके धर्म के कुछ धार्मिक कट्टरवाद से ग्रस्त सिरफिरे लोगों के द्वारा की गई है और ऐसे लोगों की समाज और धर्म में बिल्कुल भी जगह नहीं होनी चाहिए। मुस्लिम धर्मगुरुओं, एक्टिविस्ट्स और पूरे मुस्लिम समुदाय को आगे आकर जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों के खिलाफ खुलकर विरोध करना चाहिए। उनका सामाजिक और धार्मिक बहिष्कार करके पूरे देश को इंसानियत का संदेश देना चाहिए। जहां तक मैं देख रहा हूँ मुस्लिम धर्म गुरुओं,एक्टिविस्ट से लेकर अधिकतर आम मुसलमान भी इस घटना की कड़ी निन्दा कर रहे हैं। कुछ तथाकथित धार्मिक कट्टरवाद की चपेट में आये मुसलमानों को छोड़कर जो हर समुदाय में हैं। और यही उम्मीद में दूसरे समुदाय, उनके धर्मगुरुओं और एक्टिविस्ट्स से करता हूँ कि यदि कोई ऐसी जघन्य घटना को उनके समुदाय के कटृरवादी लोगों के द्वारा किया जाये तो वो भी ऐसी घटनाओं का विरोध करें। ऐसे लोगों का भी करें जो अपराधियों के समर्थन में रेलियां निकालते हैं।उनका सामाजिक और धार्मिक बहिष्कार करें।
आईये साथ,हम सब साथ मिलकर अब इन नफ़रतो को देश से मिटायें,बहुत हो गया,
सात आठ साल से जो देश में नफ़रत का ज़हर वो दिया गया है उसको ख़त्म करना होगा अब। उन तमाम फ्रिंज एलिमेंट्स और तुष्टिकरण मीडिया और उनके द्वारा नफ़रती डिबेटों का बहिष्कार करना होगा, जो दिन रात नफ़रत परोस रहे हैं। हमें जघन्य अपराध करने वालों को, भड़काऊ भाषण देने वालों, समाज में नफ़रत फैलाने वालों को अपना धर्म का समझ कर बिल्कुल चुप नहीं रहना चाहिए बल्कि सबसे पहले उसके अपने समुदाय से ही विरोध की आवाज़ उठना चाहिए। समाज में ऐसे फ्रिंज एलिमेंट्स की विल्कुल जगह नहीं होनी चाहिए। पूरे देश को एक साथ ऐसे जघन्य कृत्य करने वाले और नफ़रत फैलाने वाले फ्रिंज एलिमेंट्स के खिलाफ मिलकर आवाज़ उठानी होगी तभी हम इस देश की फिज़ाओं से नफ़रत को मिटा सकते हैं।