Header advertisement

खड्गे जी को काँटों का ताज मुबारक हो, उनकी असल परीक्षा तो अब शुरू होगी

खड्गे जी को काँटों का ताज मुबारक हो, उनकी असल परीक्षा तो अब शुरू होगी

(उबैद उल्लाह नासिर)
कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव संपन्न हो गया बेशक कांग्रेसी इस बात पर गर्व कर सकते हैं की वह इस देश की ऐसी इकलौती पार्टी है जो अपने अध्यक्ष का चुनाव लोकतांत्रिक ढंग से करती है I हालांकि दो उम्मीदवारों के बीच यह चुनाव लगभग 22 वर्षों बाद हो रहा है इसका मुख्य कारण यह था की श्रीमती सोनिया गाँधी बनाम स्व जीतिन प्रसाद वाले चुनाव के बाद  जब जब कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव की बात आई तो कोई दूसरा उम्मीदवार मैदान में आया नहीं  और श्रीमती सोनिया गाँधी और उनके बाद राहुल गांधी निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाते रहे I इस बार भी यदि सोनिया गाँधी राहुल गाँधी या प्रियंका गाँधी चुनाव लड़ते तो शायद फिर मुकाबला न होता लेकिन राहुल गांधी अड़े थे की अध्यक्ष का चुनाव होगा और यह की उनके परिवार का कोई व्यक्ति उम्मीदवार नहीं होगा और न ही किसी उम्मीदवार का खुला समर्थन करेगा और इस पर सख्ती से अमल कर के भी दिखा दिया I

खड्गे जी की सफलता के सिलसिले में किसी को कोई शक नहीं था ( मैंने लगभग दो महीना पहले एक लेख में उनके नाम का सुझाव दिया था ) क्योंकि एक तो खुद उनका व्यक्तित्व  दुसरे एक इम्प्रैशन तो यह चला ही गया था कि उन्हें 10 जनपथ का आशीर्वाद प्राप्त है, हालांकि शशि थरूर भी सोनिया गाँधी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से मिले थे  और उंनसे हरी झण्डी मिलने के बाद ही पर्चा भरा था,मगर वह यह इम्प्रैशन नहीं बना पाए थे  I वैसे शशि थरूर भी एक बड़ा नाम है वह देश ही नहीं विदेश में भी खूब जाने पहचाने जाते हैं संयुक्त राष्ट्र संघ में 30 वर्षों तक बड़े पद पर रहे यदि अमेरिका ने अंतिम समय में बांकी मून का समर्थन न कर दिया होता तो वह इस महान संस्था के पहले भारतीय महासचिव होते I एक बडे लेखक बुद्धजीवी होने के साथ ही साथ तिरुंअन्त्पुरम से तीन बार सांसद चुने जाने का रिकॉर्ड भी उनके पास है मगर जैसा की उम्मीद थी उन्हें सफलता नही मिली I लेकिन वह बड़ी शालीनता से और पूरी ताक़त से चुनाव लड़े जिसकी प्रशंसा की जानी चाहिए I

खड्गे जी कांग्रेस की अध्यक्षता उस समय संभाल रहे हैं जब पार्टी अपने इतिहास के सब से बुरे दौर से गुज़र रही है I 2014 के बाद से देश की राजनीति ऐसी बदल गयी है की पुराने सारे किले ढह चुके हैं राजनीति की जो मर्यादाएं थीं वह ध्वस्त हो चुकी हैं कहा जाता है की लोकतंत्र में लोकलाज सब से महतवपूर्ण होता है लेकिन नयी तरह की राजनीति में सफलता के लिए लोकलाज को पूरी  बेशर्मी और ढिठाई से बलि पर चढ़ा दिया गया अब सिर्फ सफलता ही सब कुछ है देश समाज लोकतंत्र उसकी मर्यादाएं आदि सब कूड़े के ढेर में दाल दिए गए है I इस राजनीति के जवाब में कांग्रेस को कौन सा रास्ता अपनाना है कि 2024 में वह सरकार बना सके यह खड्गे जी को खोजना है I राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा  देश का सियासी माहौल बदलने में अहम भूमिका  निभा रही है उन्होंने एक बुनियाद रख दी है बा इस पर महल बनाना कांग्रेस का काम है और इस काम के लिए कांग्रेस का संगठन बहुत मज़बूत होना चाहिए और खड्गे जी को कांग्रेस संगठन में यही मजबूती लाना है  I चूँकि अपने 50 वर्षों से अधिक के सियासी करियर में खड्गे जी ने ब्लाक लेवल से ले कर राष्ट्रीय लेवल तक काम किया है वह संगठन से ही निकले हुए नेता है क्षात्र राजनीति फिर ट्रेडयूनियन की राजनीति फिर कोई चुनाव न हारने की राजनीति ऐसी सियासी प्रोफ़ाइल् देश में शायद ही किसी नेता की हो अपने इस तजुर्बे से वह कांग्रेस के संगठन को कितना मजबूत कर सकेंगे की वह एक फाइटिंग फाॅर्स बन कर बीजेपी का मुकाबला ही न करे बल्कि उसको हराए भी, राहुल की लोकप्रियता और खड्गे जी की संगठन क्षमता का 2024 में इम्तिहान होगा I

खड्गे जी के सामने अंदरूनी और बाहरी दोनों चुनौतियाँ है I सब से बड़ी चुनौती तो यही है की उन्हें साबित करते रहना होगा की वह रिमोट कंट्रोल में नहीं है क्योंकि आरएसएस,मोदी सरकार उसका ट्रोल ब्रिगेड उनको उसी तरह रबर स्टाम्प साबित करने में अपनी पूरी ताक़त झोंक देगा जैसा उसने डॉ मनमोहन सिंह के प्रधान मंत्री काल के लिए किया था I बीजेपी एक ऐसी सास और उसकी सहयोगी मीडिया ऐसी नन्द की तरह है जो बहू (कांग्रेस ) के हर काम में  कमियां निकाल के उसका पूरे परिवार में प्रोपगंडा करती रहती है ज़ाहिर है वह खड्गे जी के साथ भी वही सब करेगी I अंदरुनखाना कुछ भी हुआ हो लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष चुनाव प्रक्रिया के दौरान ही कुछ ऐसे फैसले किये गए जिन पर केवल बीजेपी और मीडिया ही नहीं आम आदमी भी सवाल उठा रहा है पहला उत्तर प्रदेश में विधान सभा के बाद से ही खाली पड़े प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ब्रिज लाल खाबरी और उनके साथ 5 प्रातीय अध्यक्षों की नियुक्ति I सवाल यह है की जब कुछ ही दिनों बाद नया राष्ट्रिय अध्यक्ष कार्यभार संभालने वाला था तो जहां इतने दिनों से यह पद खाली पडा था वही एक हफ्ता और रोके रखा जा सकता था और नए अध्यक्ष द्वारा इन नियुक्तियों का एलान होता दुसरे कांग्रेस के संविधान में क्या प्रांतीय अध्यक्ष का कोई पद है ? तीसरा इन 6 पदाधिकारियों में केवल एक खांटी कांग्रेसी है बाक़ी सब बहुजन समाज पार्टी से नए नए आये हुए नेतागण हैं क्या उत्तर प्रदेश में खांटी कांग्रेसियों का ऐसा अकाल पड़ गया है की वह अपना अध्यक्ष तक न नियुक्ति कर सके ? उत्तर प्रदेश में हुई यह नियुक्तियां क्या  भावी  कांग्रेस अध्यक्ष का अपमान नहीं है ? पार्टी के एक अत्यनत वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह को चुनाव लड़ने से रोकना  भी सवालों के घेरे में है I हिमाचल प्रदेश विधान  सभा के आगामी चुनाव में नया राष्ट्रीय अध्यक्ष आने से पहले ही वहां प्रभारियों और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति भी उचित नहीं कही जा सकती I दूसरा बड़ा चैलेंज राजस्थान है जहां एक को मनाओ तो दूजा रूठ जाता है वाली स्थिति है I अशोक गहलोत और सचिन पायलट केवल राजस्थान कांग्रेस के लिए ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर भी कांग्रेस के महत्वपूर्ण नेता है जिनकी राष्ट्रीय अपील है मगर राजस्थान की राजनीति में दोनों के हितों के टकराव ने वहां कांग्रेस के लिए कठिन स्थिति पैदा कर रखी है ज़ाहिर है धूर्त बन्दर की तरह वहां बीजेपी मौके की तलाश में है जो कोई भी रूठ कर कांग्रेस से अलग होगा बीजेपी तुरन्त उसके कंधे पर हाथ रख देगी और अगर ऐसा हो गया तो कांग्रेस अपने एक और मजबूत किले से महरूम हो जायेगी I उत्तर प्रदेश और राजस्थान खड्गे जी के राजनैतिक कौशल का इम्तिहान है I

अंतिम समय में दिग्विजय सिंह को चुनाव न लड़ने का इशारा देने और शशि थरूर से मुकाबला होने के बाद दोनों को पार्टी में सम्मान और महत्त्व देने की ज़िम्मेदारी भी खड्गे जी पर है I उन्हें याद होगा की सोनिया गांधी ने उनसे चुनाव लड़ने वाले कुंवर जितेंद्र प्रसाद को अपना  पोलिटिकल सेक्रेटरी बना कर उनको महत्त्व दिया था और उनके स्वर्गवास के बाद उनकी विधवा और बेटे को पार्टी का टिकट देकर राजनीति में सरपरस्ती की थी I

इसके बाद आती है असल राजनैतिक लड़ाई जो उन्हें नरेंद्र मोदी जैसे  “सर्वगुण संपन्न” “सर्वशक्तिमान”संसाधनों से परिपूर्ण 3 M (Money,Media,Manpower ) से सुसज्जित पार्टी से लड़ना है I यह कोई आसान लड़ाई नहीं है और 2024 का चुनाव कोई मामूली चुनाव भी नहीं जिससे केवल सरकार बनेगी या बिगड़ेगी I यह चुनाव देश में संवैधानिक लोकतंत्र का भविष्य तय करेगा I मोदी देश को तेज़ी से रूस चीन टर्की की तरह  एक दल एक नेता (Oligarchy ) वाले निजाम की ओर ले जा रहे हैं विगत 8 वर्षों में वह इसमें 80% तक सफलता भी पा चुके हैं Iउन्होंने न केवल संवैधानिक संस्थाओं को अपनी मुट्ठी में कर लिया है बल्कि एक बड़े वर्ग के ज़हनों पर भी कब्जा कर लिया है उनकी ब्रेन वाशिंग कर दी है I यह सिर्फ मोदी ही कर सकते हैं की नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था  का कचूमर निकाल दें जी एस टी लागू कर के छोटे कारोबारियों को बेमौत मार दें अचानक लाक डाउन का एलान करके देश का चक्का जाम कर दें लाखों लोग सड़क पर भूक प्यास में मारे मारे फिरें कोरोना में 40-45 लाख लोग मर जाएँ बेरोजगारों की एक बड़ी फ़ौज तैयार कर दें और फिर चुनाव दर चुनाव सफलता हासिल करते रहें I ऐसे जादूगर लीडर से पार पाना कोई आसान काम नहीं है I खड्गे जी  को इसके लिए न केवल कांग्रेस को ही एक फाइटिंग फाॅर्स बनाना होगा बल्कि विपक्ष को भी एक प्लेटफार्म पर लाना होगा इस यज्ञ में कांग्रेस की बड़ी आहुति भी देनी पड़ सकती है लेकिन यदि देश के संवैधानिक लोकतंत्र को बचाना है तो केवल कांग्रेस ही नहीं अन्य क्षेत्रीय दलों को भी  बड़े दिल और बड़ी सोच दिखाना होगी I हमेशा की तरह बिहार ने रास्ता दिखा दिया है खड्गे जी की जिम्मदारी होगी की वह विपक्ष को एक सूत में पिरो कर देश के संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा करे I

खड्गे जी के सर पर काँटों का ताज रख दिया गया है अन्दरूनी और बाहरी दोनों मोर्चों पर वह सफल हों इसके लिए सभी कांग्रेसजनों को ही नहीं बल्कि भारत की भारतीयता बचाने की चिंता रखने वाले हर नागरिक का फ़र्ज़ है की वह उनसे भरपूर सहयोग करे I Best of luck Khadge ji.

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *