नई दिल्ली। सांसद कुँवर दानिश अली लोकसभा में एंटी मैरीटाइम पाइरेसी बिल, 2019 पर बोलते हुए कहा कि मैं सरकार की प्रशंसा कर रहा हूँ कि देर आए, दुरुस्त आए, यह बहुत ज़रूरी था। मैं इस बात को मानता हूँ कि पहले ज़माने में धरती पर जंग हुआ करती थी, फिर हवाई जंग हुई। अब असली खतरा पानी के अंदर है। आने वाले वक्त में अगर कोई युद्ध होगा तो वह पानी पर ही होगा और पानी के अंदर अगर सुरक्षा के लिए हमारी सरकार गंभीर नहीं होगी तो यह बहुत दुख की बात है। इसलिए मैं तो प्रशंसा कर रहा हूँ कि सरकार इस बिल को लाई है।
वर्ष 1982 में यूएन में हमारा जो प्रतिबद्धता था और फिर सन् 1995 में उसमें सुधार किया गया, उसके तहत यह बिल लाया गया है।
मुझ से पहले कुछ साथी ने यहां प्रश्न उठाए हैं, मैं उन पर भी आना चाहूंगा कि अभी तक जो हमारा समुद्र के अंदर आर्थिक क्षेत्र होता था, उस पर हमारा अधिकार था। लेकिन समुद्री डकैत जो होते हैं, जिनको हम पाइरेटस करते हैं, ये किसी से छुपा नहीं है कि सैकड़ों बेगुनाहों को, भारतीय बेगुनाहों को उन्होंने किडनैप किया, कई की हत्याएं भी की।
लेकिन कानून न होने की वज़ह से उन पर कोई बड़ी कार्रवाई न हो सकी। कानून लाया जा रहा है, यह अच्छी बात है। इसके अंतर्राष्ट्रीय प्रभाव भी होंगे। मैं, व्यक्तिगत रूप से मानता हूँ और इस सदन में कई सांसदों ने यह बात रखी कि इसमें जो मृत्यु दंड की बात है, तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी कहा है कि विरलतम से विरलतम मामलों में ही मृत्युदंड दिया जाना चाहिए। लेकिन यहां हम अगर हत्या के प्रयास के लिए मौत की सजा वाला अपराध तय कर रहे हैं तो वह वाकई चिंतनीय है।
मैं यह चाहूंगा कि जो कानून बने, क्योंकि इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी समीक्षा होगी तो हम यह चाहेंगे कि उसमें मृत्यु दंड न होकर आजीवन कारावास होनी चाहिए। आजीवन कारावास पूरी जीवनभर के लिए होनी चाहिए। इसमें यह धारा भी हो कि इसमें सरकार को कोई क्षमा देने का अधिकार न रहे, जैसे इटली के दो नागरिक, जो मछुआरे की मौत में पकड़े गए, उन्हें छोड़ दिया गया जैसे गुजरात के अन्दर अभी बिलकिस बानो के केस में सरकार ने आजीवन कारावास को, 14 साल की सज़ा को, क्षमा किया। इस बिल के अन्दर ऐसा धारा डाला जाए कि जिन्हें सज़ा दी जाए, उन्हें आजीवन कारावास में रखा जाए, और सरकार के पास क्षमा का कोई अधिकार नहीं रहना चाहिए।
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