मुह़म्मद अशरफ़
मेरठ/अजराड़ा। “धर्म इस्लाम कुछ गिनी-चुनी रीतियों या कुछ इबादतों का नाम नही बल्कि पूरी जीवन प्रक्रिया है जिसको समझकर इस पर पूरी तरह अमल करना जरुरी है। आज लोग हमारे मामलात को देखकर इस्लाम से दूर हो रहे हैं, इस्लाम के सम्बन्ध में बदगुमानियां फैलाने का अवसर हम दे रहे हैं” ये विचार आज जामिया गुलजारे हुसैनिया अजराड़ा के 104वें वार्षिक सभा में दारुल उलूम नदवतुल उलेमा लखनऊ को मौलाना सैयद बिलाल अब्दुल ह़यी हसनी नदवी ने व्यक्त किये उन्होने आम सभा की तीसरी और अन्तिम पाली के अपने सम्बोधन में सामाजिक कुप्रथाओं, नौजवानों की बेराहरवी विशेष रुप से नशे के बारे में बताया कि आज मुस्लिम और गैर मुस्लिम का भेद समाप्त हो चुका है। उन्होने आगे कहा कि मुसलमान का जीवन प्यारे नबी के अच्छे जीवन के अनुरुप होना चाहिए, हराम रोजी से बचने शरीयत के अनुसार विरासत की सही तकसीम करने, एक दूसरे के अधिकारों का पूरा-पूरा ध्यान रखने और जीभ पर नियंत्रण रखने की बात कही कि यदि हमारा दिल मुसलमान न हो, दिमाग मुसलमान न हो हमारे व्यवहार से इस्लाम न हो तो हम सच्चे मुसलमान नही, उन्होने सुन्नत ए नबवी पर चलने अच्छे व्यवहार और पड़ोसियों के साथ सदभाव का सन्देश दिया, दारुल उलूम देवबन्द के नाजिम तन्जीम तरक्की मौलाना सैयद राशिद ने ईमान को असली पूँजी बताते हुए कहा यदि ईमान नही तो कुछ भी नही, मौलाना खालिद फैसल नदवी गाजीपुरी ने मदारिस से मुहब्बत उलेमा से ताल्लुक व दीन की खिदमत को आखिरत की सफलता बताया, मुफस्सिर कुरान मौलाना अनीस अहमद आजाद कासमी बिलग्रामी ने खुश अखलाकी खिन्दापेशानी को सुन्नत ए नबवी मुसलमान के हक में सदका कहा, दारुल उलूम वक्फ देवबन्द के मुहतमिम मौलाना सुफियान कासमी ने मदादिसे इस्लामिया को गनीमत और वर्तमान युग में अल्लाह का सब से बड़ा पुरस्कार बताया, दारुल उलूम देवबन्द के मौलाना सलमान बिजनौरी ने दीन की उन्नति और हर युग के फितनो का रक्षक मदारिसे इस्लामिया को बताया, जामियातुल किरत किफलैता से मौलाना मुहम्मद यूसुफ बिस्मिल्लाह, दारुल उलूम वक्फ देवबन्द के सदर मुफ्ती मौलाना मुहम्मद अहसान कासमी, मुफ्ती मुहम्मद इमरान कासमी, मौलाना अब्दुल खालिक मुगीसी इत्यादि ने भी अपने विचार व्यक्त किये, मौलाना सैयद अकील अहमद कासमी ने जामिया के इतिहास पर प्रकाश डाला।
सभा की दूसरी पाली के समापन पर जामिया के मुहतमिम मौलाना हकीम मुहम्मद अब्दुल्लाह मुगीसी ने अपनी दुआ के सम्बोधन में बताया कि इतनी बड़ी संख्या में दीन की निस्बत पर जमा होना और देर तक रहना लोकप्रियता का लक्षण है। उन्होंने दाढ़ी को इस्लाम और कुफ्र के दरमियान सरहद बताया। दूसरी और तीसरी पाली का शुभारम्भ कारी इनायतुर्ररहमान कासमी व कारी मुहम्मद महताब कासमी की तिलावत से हुआ। नात कारी मुहम्मद असलम फुरकानी और मौलाना हसरत अली कासमी ने की, संचालान परम्परागत रुप से मौलाना आसमुहम्मद गुलजार कासमी ने किया। अन्त में दारुल उलूम देवबन्द के मुहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नौमानी ने आखिरत की लामहदूद जिन्दगी की तैयारी का सन्देश देते हुए कराई। मौलाना नौमानी की सामूहिक दुआ पर इस दो दिवसीय सम्मेलन का समापन हुआ।
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