ग़ाज़ियाबाद। जनपद के अख़बार हर रोज़ ग़ाज़ियाबाद का ज़मीनी सच जनता को दिखा रहे हैं, क्या कमल का फूल रोज़ अख़बार देखता है?
कुछ समय पहले अमर उजाला छापता है कि नगर स्वास्थ्य अधिकारी ने दो अस्पतालों पर बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट ठीक से न करने पर 5-5 लाख काई जुर्माना लगा दिया,जो जाँच करने पर पाया गया कि किसी मरीज़ ने साधारण कूड़े के ऊपर अस्पताल की स्टेशनरी डाल दी थी, जोकि बायोमेडिकल वेस्ट कैटोगरी में नहीं आती।
आज नवभारत टाइम्स लिखता है कि एमएमजी अस्पताल में ग्लूकोस की बोतल व नीडल कूड़े में मिली, जोकि बायोमेडिकल वेस्ट केटेगरी में आता है, लेकिन सोचने वाली बात ये है कि 5 लाख का जुर्माना किसको लगेगा। क्या नगर स्वास्थ्य अधिकारी इसका संज्ञान लेंगे?
क्या सीएमओ इसका संज्ञान लेंगे?
क्या मेयर जो कमल के फूल से जीती है इसका संज्ञान लेंगी?
प्राइवेट अस्पताल जो डासना जेल में फ्री ऑपरेशन करके सरकार का पैसा बचाता है,सरकारी अस्पताल से बाहर रेफेर किये मरिजो का फ्री ऑपरेशन करता है,एक साल में 24 फ्री मेडिकल कैम्प करता है, हर साल 500 से ज्यादा फ्री ऑपरेशन करता है। ऐसे अस्पताल पर तुरंत 5 लाख रुपए का फाइन करके स्वास्थ्य विभाग व संबंधित जनप्रतिनिधि क्या दिखाना चाहते थे। सरकारी अस्पताल के ऊपर कौन फाइन लगाएगा?
क्या कमल का फूल इस ओर ध्यान देगा?
क्योंकि हमारा जन प्रतिनिधि तो आजकल कमल का फूल ही है। जनता इलेक्शन से पहले कमल के फूल से न्याय माँग रही है।
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