भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का डिजिटल इंडिया
(सरफराज सैफी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को केंद्र में सत्ता संभालते हुए 10 साल से ज्याद वक्त गुजर चुका है। इन 10 सालों में मोदी सरकार ने कई कदम उठाए और कई योजनाओं को लॉन्च किया।जिसका लोगों के जिंदगी पर काफी असर पड़ रहा है।इन्हीं फैसलों में एक फैसला है डिजिटल इंडिया का पीएम मोदी ने 10 साल पहले जो देश की जनता को गारंटी दी थी।वो गारंटी अब डिजिटल क्रांति में बदल गया है। बीते 10 सालों में पीएम मोदी के विजन के सहारे जिस गति के साथ डिजिटल क्रांति ने देशवासियों को फायदा पहुंचाया वो किसी करिश्मे से कम नहीं है।
डिजिटल इंडिया की सफलता में यूपीआई का बड़ा रोल है 2016 में लॉन्च हुए यूपीआई ने भारत में डिजिटल लेन-देन को पूरी तरह से बदल दिया। देश ही नहीं, विदेश में भी आप इस सर्विस का इस्तेमाल कर सकते हैं। पिछले कुछ सालों में भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस ने दुनिया भर में एक नई पहचान बनाई है। यूपीआई से लेन-देन के हर रोज नए रिकॉर्ड बन रहे हैं, यही नहीं डिजिटल इंडिया की सफलता की वजह से डिजिटल इकोनॉमी में भी तेजी से उछाल देखने को मिला है।देश में डिजिटल क्रांति का दौर चल रहा है। पैसा से लेकर जरूरी डॉक्यूमेंट तक हर चीज डिजिटल हो गया है। डिजिटल इंडिया की सफलता से लाखों-करोड़ों लोगों की जिंदगी आसान हो गई है। लेकिन डिजिटल होते इस दुनिया का कुछ नुकसान भी है। डिजिटल युग में रोजाना नए तरीके के साइबर फ्रॉड सामने आ रहे हैं।सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए विज्ञापन दे रही है, जो नाकाफी साबित हो रहे हैं। कहीं दूर बैठे साइबर अपराधी तकनीक के जरिए लोगों की जेब पर डाका डाल रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में रहते हुए 10 साल से ज्यादा वक्त बीत चुके हैं। इन 10 सालों में किस तरह से डिजिटल इंडिया को लेकर पीएम मोदी के विजन ने पूरे देश को विश्व मानचित्र पर एक अलग पहचान दिलाई। और डिजिटल क्रांति ने किस तरह से देशवासियों के जिंदगी को आसान बनाया। ये हिंदुस्तान के साथ-साथ पूरी दुनिया देख रही है। और खुब तारीफ भी कर रही है। देश में डिजिटल क्रांति का ही कमाल है कि आज अगर देश की राजधानी से 100 रुपये निकलता है तो वो 100 के 100 रुपये लाभार्थियों के पास पहुंचता है।
बैंक हो, पहचान का प्रमाण हो, यात्रा की सुविधा हो या फिर स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे, ये सारे काम 2025 के डिजिटल इंडिया में एक क्लिक के साथ हो जाते हैं। 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के पहले बड़े लक्ष्यों में से एक डिजिटल भारत ही था। 10 साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस डिजिटल क्रांति की बात की थी, उसका फायदा अब लोगों को मिलने लगा है।1 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की शुरुआत की जिसके बाद डिजिटल बुनियादी ढांचे का विकास हुआ। जिसके जरिए भारत सरकार ने देश भर में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क का विस्तार किया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में भी इंटरनेट की पहुंच बढ़ी,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2015 में डिजिलॉकर की शुरुआत की थी।इसके नतीजे भी काफी अच्छे आए हैं।इसका इस्तेमाल करने वाले लोग अब अपने गाड़ियो का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, ड्राइविंग लाइसेंस जैसे फिजिकल पेपर्स साथ लेकर नहीं चलते हैं अब लोग डिजिलॉकर में इन दस्तावेजों की सॉफ्ट कॉपी रखते हैं और जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल करते हैं।2016 में डिजिटल पेमेंट के लिए UPI लॉन्च किया गया और धीरे-धीरे ये सर्विस आज पेमेंट के सबसे बड़े माध्यमों में एक बन गई है।सरकार ने डिजिटल मुद्रा, भारत इंटरफेस ऑफ मनी यानी BHIM और डिजिटल भुगतान अभियान से ऑनलाइन भुगतान प्रणाली को बढ़ावा दिया।सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के दौर CO-WIN ऐप को लॉन्च किया था।इस ऐप की मदद से लोगों को कोरोना से संबंधित तमाम जानकारी और COVID वैक्सीन की डोज तक जानकारी मिल रही थी।कोरोना के दौर में इस ऐप को लोगों ने बड़ी तादाद में डाउनलोड किया और ये एक सफल योजना रही है।2022 में एयरपोर्ट पर भीड़ कम करने के लिए डिजी यात्रा की लॉन्चिंग की गई।अक्टूबर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5G नेटवर्क लॉन्च किया।
ये तमाम कार्यक्रम डिजिटल इंडिया मिशन के तहत किया गया। डिजिटल इंडिया ने ना सिर्फ आम भारतीयों की जिंदगियां बदल दी हैं। बल्कि सरकार के कामकाज के तरीके को भी बदल दिया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण ई मार्केटप्लेस यानी जेम पोर्टल है।जेम पोर्टल के जरिए सरकार की जितनी भी सारी खरीददारी है वो ऑनलाइन हो रहा है। पीएम मोदी ना सिर्फ डिजिटल इंडिया को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे हैं। बल्कि खुद भी डिजिटल मीडियम का बहुत ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। यही वजह हैं कि आज पीएम मोदी सोशल मीडिया बादशाह हैं।सोशल मीडिया पर पीएम मोदी सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले ग्लोबल लीडर हैं।
डिजिटल इंडिया की बात हो और यूपीआई का जिक्र ना हो ऐसा कैसे हो सकता है।आज बड़ा से बड़ा पेमेंट हो या छोटे से छोटा पेमेंट चंद सेकंड में यूपीआई के जरिए लोग कर रहे हैं। रिक्शा का किराया हो या फिर ऑटो-टैक्सी किराया, चाय की टपरी हो या फाइब स्टार होटल, कही भी आप यूपीआई के जरिए आसानी से हम पेमेंट कर सकते हैं।आज अगर आप घर से निकलते वक्त अपना वॉलेट भुल भी जाते हैं तो चिंता की कोई बात नहीं क्योंकि आज के दौर में फोन ही हमारा वॉलेट है।दुनिया के कई देशों में भी अब आप यूपीआई के जरिए पेमेंट कर सकते हैं। यूपीआई पेमेंट का सारा कामकाज नेशनल पेमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी NPCI देखता है।लेकिन NPCI की तरफ से बाकी दुनिया में UPI पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए NIPL की स्थापना की गई। जिस तेजी से यूपीआई लोकप्रिय हो रहा है। उसी तेजी के साथ रिकॉर्ड भी बन रहा है।NPCI के मुताबिक यूपीआई ट्रांजेक्शन की वैल्यू रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। NPCI के मुताबिक, दिसंबर 2024 में मासिक आधार पर 8 फीसदी बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर 16.73 अरब के लेनदेन हुए।दिसंबर 2024 में यूपीआई ट्रांजैक्शन की वैल्यू 23.25 लाख करोड़ रुपये थे।दिसंबर 2024 में फास्टैग लेनदेन की वैल्यू भी 9 फीसदी बढ़कर 6,642 करोड़ रुपये हो गया,जबकि नवंबर में ये आंकड़ा 6,070 करोड़ रुपये थी।
डिजिटल पेमेंट काफी तेजी से बढ़ रहा है, ऐसे में हिंदुस्तान में खुदरा डिजिटल पेमेंट 2030 तक मौजूदा स्तर से दोगुना होकर 7,000 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आज यूपीआई का जलवा ना सिर्फ हिंदुस्तान बल्कि पूरी दुनिया में है।आज 10 देशों में यूपीआई चल रहा है।और कई देशों में इसे शुरू करने के लिए बातचीत चल रहा हैं।यूपीआई से विदेशों में लेनदेन होने का सीधा फायदा भारतीय को होता हैं।आज आसानी से बिना किसी झंझट के इन देशों में आप लेनदेन कर सकते हैं।एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार यूपीआई को दूसरे देशों में भी शुरू करने को लेकर बातचीत कर रही है। यानी आने वाले दिनों में यूपीआई का दायरा और बढ़ने वाला है। देश की इकोनॉमी में भी लगातार डिजिटल इंडिया का रोल बढ़ता जा रहा है।देश के GDP में डिजिटल इकोनॉमी की हिस्सेदारी साल 2030 तक 20 फीसदी रहने का अनुमान है। भारत के नेशनल इनकम में डिजिटल इकोनॉमी का हिस्सा 2022-23 में 11.74 फीसदी था।यानी 2022-23 में देश की जीडीपी में डिजिटल इकोनॉमी का योगदान 31 लाख 64 हजार करोड़ रुपए रहा,अगले 5 साल में भारत की डिजिटल इकोनॉमी दो गुणा गति से बढ़ने का अनुमान है।2030 तक डिजिटल इकोनॉमी GDP के 20% तक हो जाएगा।डिजिटल इंडिया मोदी सरकार का एक सफल अभियान हैं। जिसका दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है।लेकिन जिस तरह से सिक्के के दो पहलू होते हैं ठीक उसी तरह इसके भी दो पहलू है।और डिजिटल इंडिया जितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है उसी तेजी से कई साइबर संबंधी समस्याएं भी सामने आई हैं।
डिजिटल युग में रोजाना नए तरीके के साइबर फ्रॉड सामने आ रहे हैं।सरकार लोगों को जागरूक करने के लिए विज्ञापन दे रही है, जो नाकाफी साबित हो रहे हैं।डिजिटल अरेस्ट, इसमें स्कैमर पुलिस या कस्टम अधिकारी बनकर फोन करते हैं। वो लोगों को मनी लॉन्ड्रिंग या ड्रग्स कंसाइनमेंट जैसे आरोप में शामिल होने का दावा करते हैं। इसके बाद लोग डरकर स्कैमर को पैसे भेज देते हैं।फिशिंग स्कैम,साइबर ठग नामचीन कंपनियों और सरकारी विभागों के नाम और लोगो का इस्तेमाल कर मैसेज भेजते हैं, जैसे केवाईसी करें, वर्ना अकाउंट बंद हो जाएगा।फिर फर्जी लिंक पर जानकारी देते ही जालसाज लोगों के बैंक खाते खाली कर देते हैं।जॉब स्कैम, इसमें साइबर ठग फर्जी नौकरियों की भर्ती के मैसेज और लिंक्स भेजते हैं। लोग लिंक्स पर क्लिक कर आवेदन कर देते हैं… इसके बाद ठग फीस या ज्वाइनिंग किट के नाम पर पैसे ऐंठ लेते हैं।लकी ड्रॉ स्कैम, साइबर ठग इस स्कैम में लॉटरी या लकी ड्रॉ प्राइज विनर का मैसेज भेजते हैं। मैसेज में प्राइज मनी का लालच दिया जाता है, जिसके बाद लोग लालच में आ जाते हैं, वो क्लिक करते हैं।पार्सल स्कैमष साइबर ठग लोगों को कॉल कर झांसा देते हैं।कैश ऑन डिलिवरी स्कैम,इंवेस्टमेंट स्कैम,लोन और कार्ड स्कैम,फोन स्कैम,सोशल मीडिया पर बदनामी ऐसे कई स्कैम हैं जिनके तहत लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।इसके अलावा भी कई तरीके हैं जो साइब अपराधी अपना कर लोगों को लूटने का काम करते हैं। सरकार बढ़ते साइबर अपराध को रोकने के लिए कई तरह के कदम उठा रही है, लेकिन फिर भी ये लगातार बढ़ते ही जा रहे है। डिजिटल क्रांति में अगर साइबर अपराध को छोड़ दे तो लगातार हिंदुस्तान डिजिटल की दुनिया में आगे बढ़ रहा है।और इसका फायाद भी लोगों को खुब हो रहा है।
(सरफराज सैफी देश के जाने माने प्राइम टाइम न्यूज़ एंकर है और डिजिटल मीडिया पर रिसर्च स्कॉलर रहे हैं)
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