नई दिल्ली। भाषा किसी मज़हब की मोहताज नहीं होती और यह बात साबित कर दिखाई है, अब्दुल अहद ने। भारतीय विद्या भवन, मुंबई द्वारा संचालित अखिल भारतीय सरल-संस्कृत परीक्षा में अब्दुल अहद ने 3824 छात्रों के बीच तीसरी रैंक प्राप्त कर एक मिसाल कायम की है।
यह परीक्षा केवल एक कक्षा तक सीमित नहीं थी, बल्कि संस्कृत विषय में देश भर के विभिन्न केन्द्रों से जुड़े छात्रों ने इसमें भाग लिया था। अब्दुल अहद को यह प्रमाणपत्र श्री शंकराचार्य संस्कृत महाविद्यालय नई दिल्ली केंद्र से प्रदान किया गया है।
अब्दुल अहद के पिता, वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल माजिद निज़ामी ने इस सफलता पर कहा, यह सफलता केवल मेरे बेटे की नहीं, बल्कि उस साझा भारतीय विरासत की जीत है, जहाँ संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा और मुस्लिम छात्र का संगम भारतीय संस्कृति की व्यापकता को दर्शाता है।
उन्होंने आगे कहा कि अगर शिक्षा को संकीर्णता से मुक्त कर दिया जाए, तो छात्र अपनी प्रतिभा से हर क्षेत्र में पहचान बना सकते हैं।
यह उल्लेखनीय है कि अब्दुल अहद संस्कृत भाषा को केवल एक विषय नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में समझते हैं। उनके अनुसार भाषा संवाद का सेतु है, न कि दीवार।
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अब्दुल माजिद निज़ामी
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