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हापुड़: SDO–JE पर अवैध वसूली का आरोप, हापुड़ बिजली विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल

₹70,000 नकद लेने का मामला उजागर, सिर्फ ₹23,324 की रसीद उपभोक्ता ने की कार्रवाई की मांग

हापुड़: SDO–JE पर अवैध वसूली का आरोप, हापुड़ बिजली विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल

₹70,000 नकद लेने का मामला उजागर, सिर्फ ₹23,324 की रसीद उपभोक्ता ने की कार्रवाई की मांग

हापुड़। पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PVVNL) हापुड़ में उपभोक्ता से अवैध वसूली का गंभीर मामला सामने आने के बाद विभाग की कार्यशैली पर सवालों की बौछार शुरू हो गई है। मेरठ जिले के ग्राम अजराड़ा निवासी जावेद पुत्र इंशाद ने आरोप लगाया है कि SDO हापुड़ हिमांशु सचान और JE सुधीर कुमार ने घरेलू बिजली बिल के विवाद को निपटाने के नाम पर उनसे ₹70,000 नकद वसूले, जबकि विभागीय रिकॉर्ड और जारी की गई रसीद में केवल ₹23,324 की एंट्री की गई है। इस विसंगति ने विभाग के भीतर बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और उपभोक्ता शोषण की आशंका को बल दिया है।
जावेद ने इस पूरे प्रकरण की लिखित शिकायत PVVNL मेरठ के महाप्रबंधक निदेशक (MD) को भेजी है। शिकायत में उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि बकाया बिल, PD (Pending Dues) और नकद वसूली—तीनों के बीच भारी अंतर विभागीय हेरफेर और अधिकारियों की मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं। जावेद के अनुसार बाकी ₹46,676 की न तो रसीद दी गई और न ही कोई एंट्री विभागीय सिस्टम में दिखाई दी, जिससे संदेह गहरा होता जा रहा है।

बिल विवाद से शुरू हुआ पूरा मामला, ‘कनेक्शन काटने’ की धमकी देकर वसूली का आरोप:

जावेद का कहना है कि उनके घरेलू कनेक्शन संख्या 45018050000 पर ₹71,617 का बकाया दिखाया गया था। जब वह इस समस्या के समाधान के लिए विभागीय कार्यालय पहुँचे, तो आरोप है कि मौके पर मौजूद SDO और JE ने उनसे बातचीत में कहा कि मामला “काफी उलझा हुआ है” और “कनेक्शन कभी भी काटा जा सकता है।” जावेद के अनुसार, जब उन्होंने बिल सुधार व PD की जानकारी मांगी, तो दोनों अधिकारियों ने समाधान के नाम पर ₹70,000 नकद की मांग की।

जावेद का कहना है कि “कहा गया कि अगर अभी पैसा दे दो तो मामला निपट जाएगा, नहीं तो कनेक्शन काट दिया जाएगा और मीटर व लाइन की रिपोर्ट खराब डाल दी जाएगी।”
यही दबाव देखकर जावेद ने वह राशि अधिकारियों को सौंप दी। लेकिन पूरे ₹70,000 में से केवल ₹23,324 की ही रसीद दी गई। बाकी लगभग 47 हज़ार रुपये का कोई ब्यौरा मौजूद नहीं है।
सिर्फ ₹23,324 की रसीद बाकी रकम कहाँ गई? बड़ा सवाल इस मामले में सबसे बड़ी अनियमितता यही है कि उपभोक्ता से प्राप्त रकम की पूरी रसीद जारी नहीं की गई। जावेद ने अपनी शिकायत में लिखा है कि “अगर विभाग ने पूरा पैसा जमा किया होता, तो पूरी राशि की रसीद मिलती। आधी रसीद का मतलब साफ है कि बाकी रकम अधिकारियों की जेब में गई है।” विभागीय रिकॉर्ड में भी केवल वही ₹23,324 दिखाई दे रहे हैं। मगर दूसरी ओर PD (Pending Dues) की राशि ₹83,698 दिखाई गई, जो स्थिति को और ज्यादा संदिग्ध बना देती है। बिल और PD के आंकड़ों में बार-बार बदलाव होना भी ग्रामीणों के संदेह को मजबूत करता है।

ग्रामीणों का आरोप ‘निपटारा शुल्क’ नाम से मोटी वसूली पुरानी परंपरा:

ग्राम अजराड़ा और आसपास के कई ग्रामीणों ने इस पूरे मामले को “बर्फ की चोटी का सिरा” करार देते हुए कहा कि हापुड़ और मेरठ सर्किल में यह खेल वर्षों से चल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कुछ JE और SDO उपभोक्ताओं से निम्न आधारों पर अवैध वसूली करते हैं:
• कनेक्शन न काटने के बदले
• ओवरलोड हटाने के नाम पर
• मीटर शिकायत बंद करवाने के नाम पर
• “डिस्कनेक्शन रोकने” के लिए
• बिल समायोजन या PD कम कराने के नाम पर

ग्रामीणों के अनुसार “यह कोई पहला मामला नहीं है। पहले भी शिकायतें हुईं, मगर विभाग ने कभी कार्रवाई नहीं की। इसलिए अधिकारी और अधिक बेलगाम होते गए। अब सीधे 70 हज़ार रुपये की नकद वसूली सामने आ गई है।”

PD बढ़ाकर ₹83,698 करना भी संदेह के घेरे में:

जावेद के अनुसार, शुरू में उन्हें ₹71,617 का बिल बताया गया था। लेकिन बाद में विभाग ने PD बढ़ाकर ₹83,698 कर दिया। ग्रामीणों का मानना है कि बिलों और PD में ऐसी हेराफेरी का मकसद उपभोक्ता को मानसिक रूप से दबाव में लाकर अवैध वसूली करना है। एक ग्रामीण ने बताया कि “बिल को इतना उलझा दिया जाता है कि उपभोक्ता घबरा कर ‘जो कह रहे हैं वही दे दो’ की स्थिति में आ जाता है।”

विभाग की चुप्पी जनता के शक को और गहरा कर रही:

मामला सामने आने के बाद से अभी तक PVVNL हापुड़ या मेरठ सर्किल की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया जारी नहीं की गई है। न तो अधिकारियों को सस्पेंड किया गया है और न ही किसी जांच की घोषणा हुई है। उपभोक्ताओं का कहना है कि यदि मामला छोटा होता तो शायद विभाग तुरंत स्पष्टीकरण देता, लेकिन यह चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है।
स्थानिय नागरिकों का कहना है कि “अगर अधिकारी निर्दोष हैं तो जांच क्यों नहीं? और अगर दोषी हैं तो कार्रवाई क्यों नहीं? विभाग आखिर किसे बचा रहा है?”
बड़ा सवाल: ₹70,000 के बदले केवल ₹23,324 की ही रसीद क्यों?

इस पूरे प्रकरण का सबसे महत्वपूर्ण और ठोस तथ्य यह है कि:

• उपभोक्ता ने ₹70,000 नकद दिए
• विभाग ने सिर्फ ₹23,324 की ही रसीद दी
• बाकी ₹46,676 का कोई रिकॉर्ड नहीं
• PD राशि पहले से अधिक दिखाई गई
• बिल और PD में दो-दो रकम क्यों आ रही हैं?

उपभोक्ता, ग्रामीण और शिकायतकर्ता, सभी का कहना एक ही है कि यह मामला साफ भ्रष्टाचार का है।
जावेद ने जांच, कार्रवाई और तत्काल स्थानांतरण की मांग की और जावेद ने अपनी शिकायत में मांग की है कि  SDO हिमांशु सचान और JE सुधीर कुमार पर विभागीय जांच बैठे दोनों को तत्काल पद से हटाया जाए नकद वसूली की पूरी जांच की जाए 23,324 की रसीद और वास्तविक 70,000 रुपये के अंतर को स्पष्ट किया जाए इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग नई सख्त नीति बनाए। जावेद का कहना है कि “मेरे साथ जो हुआ वह और लोगों के साथ भी हो सकता है। अगर आज कार्रवाई न हुई तो यह अवैध वसूली सिस्टम का हिस्सा बन जाएगी।”

उपभोक्ताओं में गुस्सा “यह तो बड़े घोटाले का ट्रेलर है”:

ग्राम अजराड़ा में लोगों की जुबान पर सिर्फ यही मुद्दा है। लोगों का कहना है कि यदि एक उपभोक्ता से 70 हज़ार नकद वसूले जा सकते हैं और उसका आधा भी रिकॉर्ड में न आए, तो यह विभाग के भीतर एक संगठित अवैध वसूली गिरोह के होने की ओर इशारा करता है। एक ग्रामीण ने कहा “यह करोड़ों का घोटाला हो सकता है। अगर आज जांच हुई तो पता नहीं कितने उपभोक्ताओं से कितनी रकम वसूली गई होगी।”

उपभोक्ता शोषण, भ्रष्टाचार और विभागीय मिलीभगत का गंभीर आरोप:

पूरा मामला उपभोक्ता शोषण, विभागीय अनियमितता और संभावित भ्रष्टाचार के गहरे संकेत देता है। 70,000 रुपये नकद लेना, सिर्फ 23,324 रुपये की रसीद देना, PD में अनियमितता,
और विभाग की चुप्पी, ये सब संकेत हैं कि कहानी उतनी साधारण नहीं जितनी दिख रही है।
अब नजरें PVVNL मेरठ के MD पर हैं, क्या वे शिकायत पर तत्काल कार्रवाई करेंगे,
या यह मामला भी फाइलों में धूल खाता रह जाएगा?

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