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दौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास के नारे को किया चरितार्थ: आतिफ रशीद

दौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर प्रधानमंत्री मोदी ने सबका साथ, सबका विकास के नारे को किया चरितार्थ: आतिफ रशीद


नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष आतिफ़ रशीद ने विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधा है। आतिफ़ ने एनडीए द्वारा आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार बनाई गईं द्रौपदी मुर्मू के बहाने विपक्षी पार्टियों पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने इसे प्रधानमंत्री मोदी के नारे सबका साथ, सबका विकास का चरितार्थ करार दिया है।
आतिफ़ रशीद ने पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अबुल कलाम का हवाला देते हुए कहा कि भाजपा ने पहले कलाम साहब फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राम नाथ कोविंद और अब द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर अल्पसंख्यक, दलित और आदिवासियों के नाम पर सत्ता हासिल करने वालों के सामने सामाजिक न्याय का वास्तविक उदहारण पेश किया है।
उन्होंने कहा कि भाजपा द्वारा अब से पहले बनाए गए दोनों राष्ट्रपति भाजपा की सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास की नीति को सही अर्थों में साबित करके दिखाया है। अब एक बार फिर से भाजपा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का मौक़ा मिला है, तो ऐसे में भाजपा ने आदिवासी समुदाय से द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी के नारे सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास को चरितार्थ किया है।
आतिफ़ रशीद ने कहा कि भाजपा सभी वर्गों का विकास चाहती है, इसीलिये सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ पार्टियां अल्पसंख्यकों, दलितों, आदिवासियों का वोट तो लेते रहे लेकिन उन्हें प्रतिनिधित्व नहीं दिया। आतिफ़ ने सवाल किया कि आख़िर क्या वजह रही कि देश पर लंबे समय तक शासन करने वाली कांग्रेस ने किसी आदिवासी को राष्ट्रपति तक नहीं बनाया। भाजपा नेता ने कहा कि जनता अब सामाजिक न्याय के खोखले नारे लगाने वाले दलों के खेल को अच्छी तरह से समझ चुकी है, अब उसे सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व पर भरोसा है।

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