पसमांदा मुस्लिम समाज की बैठक का निर्णय,मुख्यधारा से जुड़ने के लिये पीएम मोदी का नेतृत्व जरूरी
नई दिल्ली। दिल्ली के मुस्लिम बाहुल्य इलाक़े जामियानगर स्थित सुगरा पब्लिक स्कूल के सभागार में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता आतिफ रशीद की अध्यक्षता में पसमांदा मुस्लिम समाज की एक बैठक संपन्न हुई। इस बैठक में पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रवादी विचार रखने वाले गणमान्य लोगों को आमंत्रित किया गया। बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें पसमांदा मुस्लिम समाज के सामने मुँह बाए खड़ी चुनौतियों पर भी चर्चा हुई, और देश की वर्तमान परिस्थितियों पर भी गंभीरता से चर्चा की गई।
बैठक में पसमांदा मुसलमानों के शिक्षा, रोज़गार, स्वास्थ्य और आर्थिक बराबरी जैसे अहम मुद्दों पर बात हुई। बैठक में सामने आया कि अधिकांश पसमांदा संगठन केवल चुनाव के समय ही बाहर आते हैं और सिर्फ चुनाव में हिस्सेदारी की बात करते हैं। जिससे कि पसमांदा मुसलमानों के मूल मुद्दे शिक्षा, स्वास्थ्य, रोज़गार और आर्थिक बराबरी जैसे अहम मुद्दे पीछे छूट जाते हैं, और पसमांदा मुस्लिम समाज नाम तथाकथित सेक्युलर दलों का सिर्फ वोट बैंक बनकर रह जाता है।
इस अवसर भाजपा के वरिष्ठ नेता आतिफ रशीद ने पसमांदा मुस्लिम समाज के सामने एक सुझाव रखा कि क्यों ना हम सब पिछड़े मुस्लिम और पिछड़ों में भी अति पिछड़े मुस्लिम जो कि अभी शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में बिलकुल पिछड़ा हुआ है, उनके बीच में काम करें। आतिफ रशीद ने सुझाव दिया कि विकास की दौड़ में पिछड़ गए अति पसमांदा समाज को भारत की सत्ताधारी पार्टी, भाजपा के साथ जोड़ने का काम करें और उनके बीच में केंद्र सरकार और राज्य सरकार के माध्यम से शिक्षा और रोजगार को बढ़ावा दिया जाए। आतिफ रशीद ने कहा कि देश के अधिकतर राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक में भाजपा की सरकार है, जबकि बिहार में भाजपा के सहयोगी दल की सरकार है। इसलिए इन सरकारों के माध्यम से पसमांदा मुस्लिम समाज के मुद्दों को हल किया जा सकता है।
आतिफ रशीद ने पसमांदा मुस्लिम समाज से सवाल किया कि आखिर पसमांदा मुस्लिम समाज कब तक राजनीति का शिकार होता रहेगा। उन्होंने अपने सवालों का सिलसिला जारी रखते हुए कहा कि हम (पसमांदा मुस्लिम समाज) कुछ लोगों को विधायक और सांसद बनाने के लिए अपना वोट का इस्तेमाल करें या अपने बच्चों के शिक्षा और रोज़गार के लिए वोट करें, यह पसमांदा मुस्लिम समाज को तय करना होगा। आतिफ रशीद ने कहा कि अब हम लोग आने वाले दिनों में पसमांदा मुस्लिम समाज के प्रमुख लोगों की देश भर में बैठक करेंगे, उनसे मिलकर समाज का कॉमन मिनिमम प्रोग्राम तैयार किया जाएगा। जिसके तहत केंद्र सरकार और राज्य सरकार से सहयोग लेकर अति पसमांदा मुस्लिम समाज के घर-घर को जोड़कर उन्हें भी राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया जाएगा।
बैठक में भारतीय जनता पार्टी अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कारी मोहम्मद हारून, एवं पसमांदा मुस्लिम समाज की अलग-अलग जातियों के गणमान्य लोगों ने शिरकत की। आतिफ रशीद ने दावा किया उनके संरक्षण में पसमांदा मुस्लिम समाज के बीच काम करने वाला संगठन, देश का बहुत बड़ा संगठन बनकर उभरेगा। उन्होंने दावा किया उनके द्वारा जो मुहिम चलाई गई है, उसका मकसद देश का प्रत्येक पसमांदा मुस्लिम पसंद करेगा। आतिफ रशीद ने कहा कि उनका संगठन राजनीति से परे हटकर पसमांदा समाज के लिए शिक्षा, बहन बेटियों के अधिकार, कारोबार एवं उनकी उन्नति प्रगति के लिए काम करेगा।
इस बैठक में राष्ट्रवादी पसमांदा मुस्लिम महाज़ के सदस्य मोहम्मद फैसल मंसूरी, जमालुद्दीन अंसारी, शरीफ आलम अल्वी, क़ारी हारून मलिक, नवाब कुरैशी, फैसल मंसूरी, कमर बंजारा, नईम सैफी, वकील कुरैशी इकरामुद्दीन सैफी, मुस्तक़ीम सैफी, हाजी नसीम अल्वी, शाहनवाज़ मंसूरी, अनीस रंगरेज़, और सग़ीर अब्बासी आदि ने अपने विचार रखे। पसमांदा मुस्लिम समाज के इन गणमान्य लोगों ने तय किया कि आने वाले दिनों में अपने अपने समाज के प्रमुख लोगों की बड़ी मीटिंग करेंगे और फिर दिल्ली में अगले तीन महीने में एक बड़ा पसमांदा मुस्लिम अधिकार सम्मलेन करेंगे। इस सम्मेलन में सरकार से अपने समाज के लिए शिक्षा और रोज़गार की सीधी मांग की जाएगी, साथ ही बदले में पसमांदा समाज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व के साथ चलेगा। बैठक में शामिल होने आए पसमांदा मुस्लिम समाज के लोगों ने एक सुर में कहा कि हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद ओबीसी समाज से आते हैं, इसलिए वह और ज़्यादा बेहतर तरीके से पसमांदा समाज के दर्द को समझ सकते हैं।
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