नई दिल्ली। सांसद कुँवर दानिश अली ने लोकसभा के शीतकालीन सत्र में 7 फ़रवरी को पुरे उत्तर प्रदेश में खासकर उनके संसदीय क्षेत्र अमरोहा में किसानों के लिए बड़ी समस्या बनी आवारा पशुओं की समस्या को सदन में उठाते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में खासकर उनके संसदीय क्षेत्र अमरोहा में आवारा पशु सबसे बड़ी समस्या बन गयी है। किसान रात-रात भर अपने खेतों की रखवाली कर रहे हैं। इसके बावजूद किसान अपने फसलों की सुरक्षा नहीं कर पा रहे हैं। शहर एवं ग्रामीण क्षेत्रों में अचानक गाय बछड़ों की संख्या बढ़ गई है। सैकड़ों की संख्या में गाय बछड़ों के झुंड के झुंड खड़ी फसलों को बर्बाद का जा रहे हैं।
इन आवारा पशुओं के कारण सड़कों एवं बाजारों में बड़ी संख्या में दुर्घटनायें हो रही हैं। इससे आवागमन में बाधा के साथ जान माल के नुकसान का खतरा बढ़ गया है। गौशालाओं में भी गायों का रख रखाव नहीं हो पा रहा है। परिणामस्वरूप चारे के आभाव और समुचित देख भाल न होने के कारण सैकड़ों की संख्या में गायें मर जाती हैं। इस संकट को लेकर किसानों में कई जगह आक्रोश व्याप्त है। अतः भारत सरकार से अनुरोध है कि इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए शीघ्र समुचित उपाय किये जाएं, जिससे किसानों के संकट का निवारण हो सके।
दानिश अली ने बताया कि इसके उत्तर में भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने पत्र द्वारा अवगत कराते हुए प्रश्न से परे उत्तर दिया है। उनके उत्तर से साफ़ प्रतीत होता है कि सरकार को किसानों की समस्या से कोई लेना देना नही है, सरकार किसानों की इन समस्याओं का कोइ ठोस समाधान नहीं निकाल रही है। सरकार के मंत्री ने अपने उत्तर में कहा है कि पशुपालन विभाग, उत्तर प्रदेश राज्य सरकार से उपलब्ध जानकारी के अनुसार, अमरोहा जनपद के अन्तर्गत कुल 18 गौ- आश्रय स्थल संचालित हैं। मुख्यमंत्री सहभागिता योजनांतर्गत 378 गोवंश को कृषकों/पशुपालकों एवं इच्छुक व्यक्तियों को सुपुर्दगी में दिया गया है। इसके अतिरिक्त भी कोई निराश्रित गोवंश विचरण करते हुए पाया जाता है तो पशुपालन विभाग एवं नगर विकास विभाग द्वारा निराश्रित गौवंशों को निकटतम गौ-आश्रय स्थलों पर संरक्षित किया जाता है।
गौ-आश्रय स्थलों पर गोवंश के भरण-पोषण हेतु व्यवस्था है तथा गौ-आश्रय स्थलों को सुरक्षित स्थान बनाया गया है। विभागीय पशुचिकित्साधिकारी एवं पशुधन प्रसार अधिकारियों द्वारा गौ-आश्रय स्थलों का भ्रमण कर स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त गौ-आश्रय स्थलों में गौवंश का प्रबंधन किया जाता है।
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