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बेकसूर लोग टाडा और पोटा के शिकार हुए: कुँवर दानिश अली

बेकसूर लोग टाडा और पोटा के शिकार हुए: कुँवर दानिश अली

  • सांसद ने उठाया दण्ड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक 2022 का मुद्दा

नई दिल्ली। लोकसभा में सांसद कुँवर दानिश अली ने दण्ड प्रक्रिया (पहचान) विधेयक 2022 पर बोलते हुए कहा कि मुझे वह दिन याद आ रहा है, जब लोक सभा में ही टाडा और पोटा पर चर्चा हुई थी। फिर इसी सदन ने अपनी गलती मानी और उन दोनों कानून को रद्द करना पड़ा। लेकिन, तब तक बहुत देर हो गई थी और बहुत सारे बेगुनाह लोग उन कठोर कानून के शिकार हुए। इस सदन में एक सदस्य बृजभूषण सिंह हैं, जो आज मुझे दिखाई नहीं दे रहे हैं, वे भी टाडा कानून के दुरुपयोग के शिकार हुए थे।
आगे उन्होंने कहा कि पुलिस में सुधार हों, पुलिस बलों का आधुनिकीकरण हो, हम इसके विरोधी नहीं हैं। आतंकवादियों पर, देश विरोधी ताकतों पर सरकार अंकुश लगाए, हम उसके पूरे तरीके से समर्थन में हैं। जब-जब भी यह बात आई, कोई भी सरकार रही हो, इस सदन ने एकमत होकर फैसला किया। हम छात्र आंदोलन से निकलकर आए हैं। हमें याद नहीं इस पार्लियामेंट स्ट्रीट के पुलिस स्टेशन में कितनी ही बार जिंदाबाद-मुर्दाबाद करते हुए, आंदोलन करते हुए गिरफ़्तार हुए होंगे, हिरासत मैं रहे होंगे और छूटे होंगे। यहां बहुत सारे लोग ऐसे उच्च पदों पर बैठे हैं, जो 19 महीने मीसा में भी रहे हैं।
कुँवर दानिश अली ने आगे विधेयक पर बोलते हुए कहा कि यह जो कानून लाया जा रहा है, बिल लाया जा रहा है, इसके दूरगामी परिणाम बहुत घातक होंगे। मैं कहना चाहता हूं कि क्या सरकार भारत को पुलिस स्टेट बनाना चाहती है? सरकार किसको पॉवर देने जा रही है? इस बिल में कहा है कि एक हेड कांस्टेबल अगर चाहेगा, तो आपका पूरा पहचान प्रोफ़ाइल कर सकता है। डाटा प्रोटेक्शन बिल अभी नहीं आया है। यह विरोधाभास है। डाटा प्रोटेक्शन की क्या हालत है?

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि मैं एक ही मोबाइल रखता हूं, इसी नंबर से सबसे बातें होती है। उस पर पता नहीं दिन में कितनी मार्केटिंग कॉल्स आ जाती हैं? हमारी डाटा कितनी सुरक्षित है इस से पता चलता है, यह हालत इस देश में डाटा सुरक्षा की है। आप जो डाटा इकट्ठा कर रहे हैं, उसके लीक होने का जिम्मेदार कौन होगा?
आगे सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि महाराष्ट्र में राजनैतिक द्वेष से कार्रवाई नहीं होती है। यह अच्छी बात है सुप्रिया जी, सारे राज्य ऐसे नहीं हैं। मैं जानता हूं कि किस तरीके से पुलिस का दुरुपयोग राजनैतिक स्कोर निपटान के लिए होता है। यह सब जानते हैं। आपने भी ऊपरी दिल से यह बात कही है, लेकिन जो सच्चाई है, वह हम सब लोग जानते हैं कि दुरुपयोग क्या होता इसमें एक और धारा है। मान लीजिए, आप किसी विरोध में जाते हैं और दारोगा जी आपसे खफा हो गए। आप मना करते हैं कि आप अपनी पहचान नहीं कराना चाहते हैं। आपके रेटिना का, डीएनए का, हर चीज की पहचान लेने आएंगे, लेकिन आपने मना कर दिया, तो धारा 186 में एक और मुकदमा दर्ज हो जाएगा – सरकारी कार्य में बाधा। यह तो वह बात हो गई कि गये थे नमाज पढ़ने, रोज़े भी गले लग गये। जो आंदोलनकारी होंगे, उनके साथ देश में यह होगा। आप यह करना चाहते हैं कि इस देश में कोई आवाज न उठे। आंदोलनकारी जो मानव अधिकार की बात करते हैं, वे अपने घर बैठ जाएं और कोई आवाज न उठाए।

मैं कहना चाहता हूं कि हम लोग यहां बहुत बड़ी बड़ी बातें करते हैं। गृह मंत्रालय कई विधेयक लेकर आया। वर्ष 2019 में यूएपीए पर यहां चर्चा हो रही थी। मैंने उस वक्त भी कहा था कि इसका दरुपयोग होगा और आज यह साबित हो रहा है कि कितने निर्दोष लोग यूएपीए के तहत जेलों में बंद हैं। जो लोग नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ आंदोलन कर रहे थे, उनको झूठे यूएपीए का केस लगा कर जेलों में बंद कर किया गया है। ऐसे अनेकों छात्र आंदोलनकारी हैं, जिनके खिलाफ चार्टशीट फाइल नहीं हुई है। दो-दो साल हो गए हैं लेकिन चार्जशीट फाइल नहीं हो रही है जिस के कारण उनको जमानत भी नहीं मिल पा रही है।

मैं चाहता हूँ कि इस सदन में ऐसा कोई बिल पास न हो जिसका आने वाले वक्त में दुरुपयोग हो। मैं माननीय गृह मंत्री जी से अपील करूंगा कि आप इस पर पुनर्विचार कीजिए, इसको स्थायी समिति में भेजिए। इस पर आगे विचार-विमर्श हो और तब फिर दोबारा इस बिल को सदन में लाया जाए। ऐसा न हो, जैसा पहले का इतिहास रहा है, जल्दबाजी में लाए गए बिल से लोगों के अधिकारों का भी हनन हुआ है और अंततः सरकार को उसे रद्द करना भी करना पड़ा है।

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