Header advertisement

डॉ कफ़ील की रिहाई को लेकर मुहिम जारी, आप सांसद ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

शमशाद रज़ा अंसारी

गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की मौतों के बाद सुर्ख़ियों में आये डॉ कफ़ील की रिहाई के लिए सोशल मीडिया के अलावा सड़क से लेकर संसद तक आवाज़ उठ रही है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी डॉ कफ़ील की रिहाई के लिए भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखा है।

संजय सिंह ने पत्र में लिखा है

“इस पत्र के माध्यम से मैं डॉक्टर कफील खान का मामला आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ, जो कि मथुरा के जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के अंतर्गत बंद किये गए हैं। कफ़ील खान देश में जनसेवा करने के लिए एक प्रख्यात डॉक्टर हैं। आपको अवगत कराना आवश्यक है कि गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में जब बच्चे ऑक्सिजन की अनुपलब्धता की वजह से अपनी जान गंवा रहे थे, उस समय डॉक्टर कफील ने अपने व्यक्तिगत प्रयासों से उन्हें ऑक्सिजन उपलब्ध कराया था। उसी समय वह पूरे देश मे चर्चा में आये थे। उसके बाद से पूरे देश ने उनके जनसेवा के कार्यों को देखा है और सराहा है। जब बिहार में चमकी बुखार से हर रोज अनेकों बच्चों की मृत्यु हो रही थी उस समय भी डॉक्टर कफील ने वहाँ गाँव-गाँव जाकर गरीब बच्चों को मुफ्त चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने का काम किया था। ऐसे जनसेवा व्यक्ति पर उत्तर प्रदेश सरकार ने राजनीति से प्रेरित होकर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया है, यह बेहद अमानवीय है। इस कोरोना के संकटकाल के दौर में डॉक्टरों की देश को बहुत जरूरत है। ऐसे नेक डॉक्टर को जेल में बंद करके सरकार एक प्रकार की सामाजिक क्षति कर रही है। महोदय, डॉक्टर कफील ने 107 स्वास्थ्य शिविरों के माध्यम से 50,000 से ज्यादा लोगों को मुक्त में चिकित्सा सेवाएं दी हैं। वह लगातार समाज के लिए ऐसे नेक काम करते आये हैं। जेल में बंद होने के बावजूद डॉक्टर कफील ने माननीय प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर कोरोना महामारी में मुफ्त सेवाएं देने के लिए निवेदन भी किया है।

उन्हें सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने के आरोप में गिरफ्तार किया है जबकि इस कानून का विरोध देश के करोड़ो लोगो ने किया था।

महोदय मैं आपको बहुत उम्मीद और भरोसे के साथ यह विनती पत्र लिख रहा हूँ। कृपा करके डॉक्टर कफील खान को रिहा करने का आदेश करें और उनके उपर से राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को हटाने के लिए प्रदेश सरकार को आदेश दें।

आपको बता दें कि डॉ कफ़ील सीएए,एनपीआर और एनपीए के विरोध के दौरान अलीगढ़ विश्वविद्यालय में गत वर्ष दिसम्बर में कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के आरोप में रासुका के तहत मथुरा जेल में बन्द हैं।

उनकी रिहाई के लिए सोशल मीडिया पर तो आवाज़ उठाई जा रही है, साथ ही सड़क से लेकर संसद तक में उनकी रिहाई की मांग की जा रही है।

No Comments:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *