नई दिल्ली। वक्फ अधिनियम में संशोधन करने संबंधी विधेयक के लोकसभा और राज्यसभा में पारित होकर लागू होने के बाद राष्ट्रवादी संगठन पसमांदा मुस्लिम समाज उत्थान समिति संघ के नेताओं ने जेपीसी कमेटी के चेयरमैन एवं सांसद जगदंबिका पाल और अल्पसंख्यक एवं संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजीजू से विशेष मुलाकात कर उन्हें बधाई दी। साथ ही उम्मीद जताई कि अब पिछड़े मुसलमानों को वक्फ की ज़मीन और उससे होने वाली आमदनी का लाभ मिलेगा। पसमांदा मुस्लिम समाज उत्थान समिति संघ (पंजीकृत) के मुख्य संरक्षक की अध्यक्षता में मुसलमानों का एक महत्वपूर्ण प्रतिनिधिमंडल जगदम्बिका पाल और किरण रिजीजू से मिला और वक्फ अधिनियम के लागू होने पर अपनी शुभकामनाएं दीं।
इस अवसर पर केंद्रीय वक्फ परिषद एवं अखिल भारतीय हज कमेटी (भारत सरकार) के पूर्व सदस्य इरफान अहमद ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एवं जर्नलिस्ट्स से विशेष बातचीत में कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक: 2024 के पारित होने से देश के मुसलमानों में आशा की नई किरण और उम्मीद जगी है, खासकर उन मुसलमानों में जो गरीब और पिछड़े वर्ग से हैं और अपने अधिकारों से वंचित हैं। इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के इस शानदार ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण कदम से न केवल मुस्लिम समाज को लाभ होगा, बल्कि देश की विरासत का भी विकास होगा और साथ ही साथ वक्फ बोर्ड में कई वर्षों से व्याप्त भ्रष्टाचार भी समाप्त होगा। मोहम्मद इरफान अहमद ने आगे कहा कि जैसा कि देखा गया है कि वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक के मामले में विपक्षी नेताओं ने केवल अपने वोट बैंक के लिए गंदी राजनीति की है, जो भविष्य में एक बड़ा खतरा साबित हो सकता है। हालांकि, इस संदर्भ में केंद्र सरकार को ऐसे कठोर निर्णय लेते रहना चाहिए, ताकि राजनीति में फैले भ्रष्टाचार को पूरी तरह से खत्म किया जा सके और आम लोगों को इसका पूरा लाभ मिल सके,जिसके वे हकदार हैं। क्योंकि सालों से वे लोग केवल वोट बैंक के शिकार थे, लेकिन अब वह दिन दूर नहीं, जब उन्हें उनके अधिकार मिलेंगे, जिससे वे देश की मुख्यधारा में अपनी भूमिका निभा सकेंगे और सरकार से सीधे बात कर सकेंगे। अब यह आवश्यक है कि भविष्य में ऐसे कानूनों को और अधिक कठोर बनाया जाए,ताकि राजनीतिक षड्यंत्र करने वाले लोगों का प्रभाव पूरी तरह से समाप्त हो सके और जो लोग देश की गरीब जनता को केवल अपने वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करते हैं, उनकी महत्वाकांक्षाओं को समाप्त करना बेहतर है। जिस तरह से वक्फ बोर्ड अधिनियम में संशोधन करने वाला कानून सदन में पारित कर क़ानून बनाया गया है और इसे लागू किया है, इससे पता चलता है कि सभी चर्चाएं, सभी आरोप और विपक्षी नेताओं द्वारा किए गए सभी जवाबी हमले केवल समय की बर्बादी थे। यदि विपक्ष ने इतना ध्यान और समय अपने क्षेत्र या देश के विकास में लगाया होता तो आम लोगों का जीवन सफल हो गया होता। इस बीच, मुसलमानों के नाम पर राजनीति करने वाले गांधी परिवार के दोनों सदस्य राहुल गांधी और प्रियंका गांधी संसद से गायब रहे, उन्होंने चर्चा में भाग नहीं लिया, यह मुसलमानों के लिए सोचने वाली बात है। इन खास मुलाक़ातों में एहसान अब्बासी, सरफराज अली, मोहम्मद इकबाल, अवेश खान उर्फ हाजी कल्लू, मौलाना आज़ाद नूरानी, सिजल खान और अन्य प्रमुख लोग मौजूद रहे।
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