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जामिया ने किया ‘डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग’ पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

जामिया ने किया ‘डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग’ पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन

नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के भूगोल विभाग ने क्षेत्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (आरआरएससी)- उत्तर भारत, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, भारत सरकार के सहयोग से स्नातकोत्तर छात्रों के लिए 24-29 मार्च 2023 के दौरान ‘डिजिटल इमेज प्रोसेसिंग’ पर चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया।

जामिया के भूगोल विभाग के जीआईएस प्रयोगशाला में 24 मार्च 2023 को प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। मुख्य महाप्रबंधक, आरआरएससी-उत्तर, नई दिल्ली, डॉ. एस.के. श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। प्रो. सैयद अख्तर हुसैन, डीन, प्राकृतिक विज्ञान संकाय, जामिया ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की। जामिया के भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर हारून सज्जाद ने उद्घाटन कार्यक्रम में सभी विशिष्ट अतिथियों, अधिकारियों, प्रतिनिधियों, फैकल्टी सदस्यों, शोधार्थियों और छात्रों का गर्मजोशी से स्वागत किया। प्रो. सज्जाद ने जामिया कुलपति प्रो. नजमा अख्तर (पद्म श्री) के नेतृत्व में समाज, राष्ट्र और मानवता की सेवा करने के लिए नवोदित भूगोलवेत्ताओं के बीच उभरती भू-स्थानिक तकनीक उपयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यशाला की समन्वयक प्रो लुबना सिद्दीकी ने चार दिवसीय कार्यशाला के दौरान स्नातकोत्तर छात्रों को प्रदान किए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रम के दायरे और तकनीकी विवरणों पर संक्षेप में प्रकाश डाला।

उद्घाटन समारोह में प्रो. श्रीवास्तव ने कार्यशाला का उद्घाटन वक्तव्य दिया। उन्होंने जामिया के भूगोल विभाग में सहयोगी डीआईपी प्रशिक्षण कार्यक्रम की इस पहल के लिए जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर और जामिया के भूगोल विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर हारून सज्जाद को धन्यवाद दिया। उन्होंने आगे मिट्टी, जल और वन संसाधनों पर रिमोट सेंसिंग और जीआईएस के अनुप्रयोगों से संबंधित प्रमुख बिंदुओं; कृषि सूखा, बागवानी मैपिंग, निगरानी में रिमोट सेंसिंग का अनुप्रयोग; भुवन पोर्टल के माध्यम से विभिन्न अनुप्रयोगों में डेटासेट का उपयोग; बेसिन प्रबंधन और मॉर्फोमेट्रिक विश्लेषण के लिए हाइड्रोलॉजिकल मॉडलिंग; फारेस्ट मैपिंग, फारेस्ट फायर  अग्नि मैपिंग और चेतावनी; जैव विविधता वर्गीकरण; और आपदा अध्ययन के लिए रिमोट सेंसिंग हैजर्ड मैपिंग, फ्लड मैपिंग और पूर्व चेतावनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यशाला के दौरान रिसोर्स पर्सन के रूप में प्रशिक्षण कार्यक्रम का नेतृत्व करने के लिए आरआरएससी, नई दिल्ली के वैज्ञानिकों (डॉ. समीर सरन, खुशबू मिर्जा, नीतू, आकाश गोयल, जयंत सिंघल) की टीम की भी सराहना की।

कार्यशाला के सह-समन्वयक डॉ. हसन रज़ा नकवी ने उद्घाटन समारोह को सफल बनाने के लिए आरआरएससी, नई दिल्ली के सभी वैज्ञानिकों, विशिष्ट अतिथियों, विश्वविद्यालय के अधिकारियों, गैर-शिक्षण कर्मचारियों, विद्वानों और छात्रों को औपचारिक धन्यवाद ज्ञापित किया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला को सफल बनाने के लिए प्रो. मसूद अहसान सिद्दीकी के निरंतर मार्गदर्शन और मैनेजमेंट का विशेष धन्यवाद किया।
आरआरएससी, नई दिल्ली में आयोजित डीआईपी प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन समारोह में मुख्य महाप्रबंधक, आरआरएससी-उत्तर, नई दिल्ली, डॉ. एस.के. श्रीवास्तव, आरआरएससी, नई दिल्ली के अन्य वैज्ञानिकों के साथ प्रो. लुबना सिद्दुई (समन्वयक) और डॉ. हसन रज़ा नकवी (समन्वयक) और भूगोल विभाग जामिया के 30 स्नातकोत्तर छात्रों ने भाग लिया। सभी छात्रों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पूरा करने का प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ। छात्रों ने जलवायु परिवर्तन, आपदा जोखिम में कमी, शहरी प्रबंधन और डेटा-संचालित नीति निर्माण के क्षेत्रों में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों से संबंधित उभरते कौशल और अनुप्रयोगों को सीखने के लिए काफी उत्साह और संतुष्टि व्यक्त की।

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