नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समाजशास्त्र विभाग ने 12 जुलाई, 2022 को भारत सरकार की नशा मुक्ति पहल के समर्थन में सबस्टेन्स यूज़ एंड डी-एडिक्शन पर सेंसिटाइजेशन कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभागाध्यक्ष प्रो मनीषा त्रिपाठी पांडेय ने की। विषय विशेषज्ञ डॉ अमृता जोशी, एक प्रसिद्ध नैदानिक मनोवैज्ञानिक, मनोचिकित्सक और पुणे की एक काउंसलर थीं। डॉ. जोशी, कनेक्टिकट के हार्टफोर्ड विश्वविद्यालय से मनोविज्ञान में डॉक्टरेट हैं।
अध्यक्ष एवं मोडरेटर, प्रो. मनीषा टी. पाण्डेयने वक्ता का परिचय दिया। सत्र की शुरुआत मादक द्रव्यों के सेवन और उसके प्रभाव पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति के साथ हुई। डॉ. जोशी ने छात्रों और स्कॉलर्स को नशीली दवाओं के खतरे, इसके प्रकार, योगदान करने वाले कारकों और व्यसन के बारे में जागरूक किया। उन्होने न्यूरोलॉजी और समाज की भूमिका; और नशे से निपटने के लिए व्यक्तिगत और सहायक रणनीतियों पर जोर दिया। उन्होंने आध्यात्मिक रणनीतियों को अपनाने और व्यसन मुक्त समाज बनाने के लिए सिस्टेमेटिक परिवर्तन लाने में निष्कर्ष निकाला। प्रश्नोत्तर सत्र और चर्चा बहुत ही आकर्षक और जागरूक करने वाले थे। निःशुल्क नशा मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्रों तथा दिल्ली में कार्यरत गैर-सरकारी संगठनों से संबंधित जानकारी भी साझा की गई।
यह आयोजन सफल रहा क्योंकि इसने न केवल जागरूकता बढ़ाई बल्कि छात्रों को नशे से दूर रहने के प्रति जागरूक भी किया। इसमें जामिया के कई संकाय सदस्यों, अनुसंधान विद्वानों और कई विषयों के छात्रों ने भाग लिया। छात्र सलाहकार डॉ. गोमती बोदरा ने धन्यवाद ज्ञपित किया और विभाग की सेमेस्टर 5 की छात्रा रिम्शा रहमान कार्यक्रम की रेपोर्टियर थीं।
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