नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के उर्दू विभाग के प्रोफेसर शहजाद अंजुम को उर्दू भाषा में उनके महान कार्य के लिए पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी के प्रतिष्ठित ‘परवेज शाहिदी पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है। वह एक प्रसिद्ध आलोचक, शोधकर्ता और विभाग के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर हैं।
जामिया की कुलपति प्रो. नजमा अख्तर, संकाय सदस्यों और छात्रों ने इस महान उपलब्धि के लिए प्रो. अंजुम को बधाई दी।
प्रो. अंजुम वर्तमान युग के कुछ प्रमुख लेखकों में से एक हैं जिनकी रचनाएँ विचारोत्तेजक हैं। उनकी कुछ प्रकाशित पुस्तकें उर्दू के ग़ैर मुस्लिम शौरा-ओ-उदाबा, अहद साज़ शकियत: सर सैयद अहमद खान, दीदावर नक़क़ाद: गोपी चंद नारंग, आज़ादी के बाद उर्दू शायरी, अजहर इनायती: एक सुखनवर शायर, एहतिशम हुसैन की तख़लीक़ी निगरीशत, तनकीदी जेहात, उर्दू और हिंदुस्तान की मुश्तरका तहज़ीबी विरासत, रवींद्रनाथ टैगोर: फ़िक्र-ओ-फ़न प्रकाशित हो चुकी हैं।
उन्होंने संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उर्दू विभाग, जामिया विभाग में शुरू की गई टैगोर अनुसंधान और अनुवाद योजना के समन्वयक के रूप सफलतापूर्वक पूरा किया। यह उर्दू साहित्य के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक, अनुकरणीय और गौरवपूर्ण उपलब्धि है।
प्रो. अंजुम ने मुहम्मद अली जौहर, सैयद एहतिशाम हुसैन और सैयद मुहम्मद हसनैन के लिए साहित्य अकादमी, दिल्ली, अल्ताफ हुसैन हाली उर्दू अकादमी, दिल्ली, पश्चिम बंगाल उर्दू अकादमी, कोलकाता के लिए मिर्ज़ा ग़ालिब और उर्दू निदेशालय सहित कई मोनोग्राफ भी लिखे। पटना के लिए कलाम हैदरी मोनोग्राफ विशेष रूप से उल्लेखनीय है। उनके द्वारा अनूदित कई पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने लगभग ढाई साल तक दैनिक ‘इंकलाब’, दिल्ली के लिए गैर-मुस्लिम उर्दू कवियों और लेखकों पर साहित्यिक स्तंभ भी लिखा।
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