नुई दिल्ली। सेंटर फॉर स्टडी ऑफ सोशल एक्सक्लूसिव एंड इनक्लूसिव पॉलिसी (CSSEIP), जामिया मिल्लिया इस्लामिया ने 7 दिसंबर, 2022 को “वॉयलेंट फ्रेटर्निटी: अम्बेडकर एंड फाउंडेशन ऑफ़ इंडियन डेमोक्रेसी” पर तीसरे खान अब्दुल गफ्फार खान वार्षिक स्मारक व्याख्यान का आयोजन किया। मानद निदेशक अरविंदर अंसारी, सीएसएसईआईपी, जामिया के संबोधन के साथ सभा और मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए और महामारी के बाद के व्याख्यानों और शैक्षणिक कार्यक्रमों के लिए विभाग को बधाई।
सामाजिक विज्ञान के डीन, प्रोफेसर रविंदर कुमार ने इस व्याख्यान की फाउंडेशन से अपना संबोधन शुरू किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे ‘खान’ के मूल्यों और शब्दों का सार समकालीन शैक्षणिक स्थानों में प्रतिध्वनित होता है।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर श्रुति कपिला, कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने अम्बेडकर को न केवल एक समाज सुधारक के रूप में बल्कि एक ऐसे व्यक्ति के रूप में भी रेखांकित किया, जिनका दर्शन, मूल रूप में, प्रकृति में भी अहिंसक था। अपनी पुस्तक ‘वॉयलेंट फ्रेटरनिटी: इंडियन पॉलिटिकल थॉट इन द ग्लोबल एज’ का जिक्र करते हुए उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे अंबेडकर ने ‘ज्ञान’ को एक मुख्य घटक के रूप में लक्षित किया जो सुधार के लिए महत्वपूर्ण था। उनकी विद्वता को समकालीन और वैश्विक प्रकृति के रूप में समझा गया और उल्लेखनीय रूप से उसने इतिहास को आकार दिया और भारत के गठन को प्रभावित किया। उन्होंने विस्तार से बताया कि भारत को न केवल एक लोकतंत्र के रूप में, बल्कि एक गणतांत्रिक लोकतंत्र बनाने में उनकी सोच महत्वपूर्ण थी।
व्याख्यान एक प्रश्न-उत्तर सत्र के साथ समाप्त हुआ जोकि ओबीसी प्रश्न, धर्म और जेंडर के साथ राजनीतिक प्रतिनिधित्व का विचार फोकस के विषयों के इर्द-गिर्द रहा। प्रोफेसर मुजीब रहमान ने विषय वस्तु पर अंतर्दृष्टिपूर्ण समापन टिप्पणी की।
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