नई दिल्ली। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के मनोविज्ञान विभाग के प्रो. नावेद इकबाल, यूनेस्को में बाल दुर्व्यवहार पर चेयर क्रिएटर प्रोफेशनल ग्रुप के सदस्य हैं। इस चेयर का नेतृत्व प्रोफेसर कैथरीन बेलजुंग, यूनिवर्सिटी ऑफ टूर्स, फ्रांस द्वारा किया जाता है। इसमें पांच अलग-अलग महाद्वीपों (उत्तर और दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, एशिया और यूरोप) के 15 से अधिक देशों के साथ-साथ गैर-सरकारी संगठन, बाल दुर्व्यवहार के नकारात्मक परिणामों के बारे में शिक्षाविदों और नागरिक समाज के बीच संवाद को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न विषयों (कानून, शिक्षाशास्त्र, समाजशास्त्र, मनोविज्ञान, मनोचिकित्सा, फोरेंसिक मेडिसिन, बाल रोग और तंत्रिका विज्ञान) के विशेषज्ञ शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय सहयोग से 2022 में लॉन्च किया गया यह चेयर बाल शोषण और दुर्व्यवहार को रोकने के लिए समाधान साझा करने के अंतःविषय संवाद को प्रोत्साहित करता है। इस परियोजना का उद्देश्य वैश्विक स्तर पर प्रैक्टिस के विकास में योगदान करने के लिए अनुसंधान सेमिनार्स के साथ जानकारी साझा करना है और सेल्फ असेसमेंट के साथ-साथ सेल्फ असेसमेंट ऑनलाइन पाठ्यक्रमों, शैक्षणिक मिनी-सम्मेलनों और समर स्कूलों के कम्पाइलेशन का प्रस्ताव करना भी है।
बाल दुर्व्यवहार से कई मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है जैसे कि लगातार अवसाद, जो आत्मघाती कृत्यों में समाप्त हो सकता है या वयस्क पीड़ितों में हिंसक कृत्यों को प्रोत्साहित कर सकता है। इसके अलावा, इन परिणामों से अनुभूति में जैविक परिवर्तन हो सकते हैं और पीड़ित में जीवन भर बने रह सकते हैं। इसके अलावा, इसे अगली पीढ़ी को डिसफंक्शनल पेरेंटिंग के माध्यम से पास किया जा सकता है।
प्रो इकबाल लगातार कई अंतरराष्ट्रीय परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं और वह अंतरराष्ट्रीय ख्याति के प्रसिद्ध भारतीय मनोवैज्ञानिकों में से एक हैं।
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