बीजेपी को फायदा पहुँचाने वाला कदम नहीं उठाएंगे कांग्रेसी पार्षद

एमसीडी के कांग्रेस पार्षदों पर तमाम निगाहें

नई दिल्ली। आगामी 6 जनवरी को दिल्ली के नए मेयर के चुनाव के साथ-साथ उपमेयर और स्थाई समिति के सदस्यों के चुनाव पर पूरी दिल्ली टकटकी लगाकर देख रही है। एमसीडी चुनाव के नतीजे को देखे तो आम आदमी पार्टी का मेयर और उपमेयर बनना तय है। 250 सदस्यीय एमसीडी में 134 सदस्यों के साथ आम आदमी पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत है। जबकि 104 सदस्यों वाली भाजपा बहुमत से दूर खड़ी है। ऐसे में यदि भाजपा की पार्षदों की ख़रीद परोस्त की कोशिश यदि सफल नहीं हुई तो आम आदमी पार्टी के लिए मैदान पूरी तरह साफ़ दिखाई दे रहा है। वहीं बहुमत के अकड़े और सदन के अंदर मौजूदा समीकरणों के मध्य नज़र स्थाई समिति का निर्वाचन थोड़ा पेचीदा दिखाई दे रहा है। चूँकि स्थाई समिति के सदस्यों के चुनाव में निगम के जोनल समीकरण का भी अहमियत रहती है, ऐसे में कांग्रेस के 9 सदस्यों की भूमिका पर सबकी निगाह टिकी हुई है। ख़ास बात यह है कि कांग्रेस के 9 पार्षद में से 7 सदस्य मुस्लिम समुदाय से हैं और माना जा रहा है कि यह पार्षद स्वाभाविक रूप से भाजपा का साथ नहीं देंगे। वैसे भी ज़्यादातर मुस्लिम बहुल्य सीटों पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार जीते हैं, इसलिए कांग्रेस के 7 मुस्लिम पार्षदों पर कहीं ना कहीं अपने समुदाय और वोटरों का मानसिक दबाव ज़रूर रहेगा कि वो ऐसा कुछ भी ना करें, जिससे भाजपा को फ़ायदा और आम आदमी पार्टी को नुक़सान हो।

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हालिया एमसीडी चुनाव में मुस्लिम बहुल्य क्षेत्र चाँदनी चौक में आप के क्लीन स्वीप के अलावा आले मोहम्मद, मोहम्मद सादिक़, मोहम्मद आमिल अमिर जैसे कद्दावर मुस्लिम चेहरों ने कहीं ना कहीं यह संदेश ज़रूर दिया है कि दिल्ली के मुस्लिम समुदाय में आज भी आप की पकड़ बहुत गहरी है। दिल्ली की मुस्लिम सियासत पर नज़दीक से नज़र रखने वाले जानकारों का मनाना है कि कांग्रेस के 7 मुस्लिम पार्षदों समेत सभी 9 सदस्य आम आदमी पार्टी के पाले में खड़े होंगे।
मतलब कि वोटिंग की नौबत आने पर कांग्रेस के पार्षद भाजपा का साथ क़तई नहीं देंगे। मौजूदा हालात में स्थाई समिति की निर्वाचन में कांग्रेसी पार्षदों के समक्ष तीन पारिस्थितियाँ बनती दिखाई दे रही हैं। पहला यह कि वह आप का साथ देते हुए खुल कर वोटिंग करें। दूसरी परिस्थिति में उसके उलट भाजपा का साथ दें। वहीं तीसरा और अंतिम विकल्प उनके पास मतदान से अलग रहने का रहेगा। मतलब कि कांग्रेस ना तो आप के साथ ना भाजपा के साथ खुल कर समर्थन देंगी। इसमें से बाद की दोनों परिस्थितियों में भाजपा को फ़ायदा मिलने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
जानकारों का मानना है कि ख़ासकर कांग्रेसी पार्षद ऐसा क़तई कोई कदम नहीं उठाएँगे जिसमें को भाजपा को फ़ायदा होता दिखाई दे। लिहाज़ा निगम में गणितीय समीकरण के हिसाब से आम आदमी पार्टी का हाथ हर तरह से ऊपर दिखाई दे रहा है। आम आदमी पार्टी को एमसीडी में बहुमत प्राप्त है और यदि कांग्रेसी पार्षद आप का साथ देते हैं तो यह बहुमत का सम्मान होगा और उसको और मज़बूती भी मिलेगी। फ़िलहाल मुस्लिम सियासत की बयार आम आदमी पार्टी के पक्ष में बहती दिखाई दे रही है।

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