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संसद में बोले कुँवर दानिश अली: सीआईएसएफ ऑफिसर्स के लिए देश भर में हवाई अड्डों के नजदीक ही उनके रहने का इंतजाम होना चाहिए

संसद में बोले कुँवर दानिश अली: सीआईएसएफ ऑफिसर्स के लिए देश भर में हवाई अड्डों के नजदीक ही उनके रहने का इंतजाम होना चाहिए

नई दिल्ली। अमरोहा लोकसभा से बसपा सांसद कुँवर दानिश अली ने नगर विमानन मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान कहा कि जब हम दिल्ली एयरपोर्ट से उड़ान के लिए जाते हैं तो सुरक्षा जाँच के बाद ऐसा लगता है जैसे किसी शॉपिंग मॉल में आ गए हों। यह ठीक है कि आपने हवाई अड्डों का निजीकरण कर दिया है। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए, जैसे हवाई अड्डों पर हो रहा है, चॉकलेट की दुकान और खिलौने की दुकान के बीच से घूमते हुए जाना पड़े। सरकार ने हवाई अड्डों का निजीकरण किया है, लेकिन जो विशिष्टता है, वास्तविक एमओयू में जो समझौता है उसका पालन होना चाहिए। दिल्ली एयरपोर्ट पर जीएमआर गैर-सरकारी लोग वाणिज्यिक स्थान बहुत ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। आप इस पर ध्यान दीजिए।
सीआईएसएफ के लोग हवाई अड्डे की सुरक्षा में लगे हुए हैं, ताकि हमारी यात्रा सुरक्षित रहे, उनका बहुत बड़ा योगदान है। लेकिन होता क्या है कि हवाई अड्डा दिल्ली के अंदर है। वहां सब-इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी सुरक्षा जांच में होते हैं, हवाई अड्डा पालम में है, पता चलता है कि शाहदरा से उनको आना पड़ता है।
दानिश अली ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि सीआईएसएफ ऑफिसर्स के लिए देश भर में हवाई अड्डों के नजदीक ही उनके रहने का इंतजाम होना चाहिए। उनके लिए फैमिली क्वार्टर बनने चाहिए।
कुँवर दानिश अली ने कहा कि निजी एयरलाइंस आपदा का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने टिकट की राशि कई गुना बढ़ा कर यात्रियों से लेने पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि हमने देखा कि यूक्रेन से सरकार सबको निकालकर लाई। मंत्री भी वहां गए थे। जब ये सब शुरू हुआ था, तब निजी एयरलाइंस ने 20,000 रुपये का टिकट 80,000 रुपये तक में बेचा। इस पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि हवाई अड्डों का निजीकरण हो रहा है। भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण ने बड़ी मेहनत से हवाई अड्डे बनाए हैं, उनको प्राइवेट प्लेयर ले रहे हैं। आप इस में एक धारा डालिए कि मेट्रो के हवाई अड्डे या बड़े हवाई अड्डे, जहां यात्री ज्यादा हैं, लाभदायक हैं, अगर किसी प्राइवेट प्लेयर को हवाई अड्डा देते हैं तो तय कीजिए कि दूर दराज़ के हवाई अड्डे भी बनायें। सिर्फ यह नहीं कि दिल्ली, जेवर या मुम्बई के हवाई अड्डा ले लें और दूर दराज़ के हवाई अड्डे नहीं बनाये।

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