संसद में कुँवर दानिश अली ने वित्त मंत्री से बैंकों में हो रहे धोखाधड़ी के मामलों और सुरक्षा को लेकर पूछे सवाल, राज्यमंत्री ने दिए ये जवाब
नई दिल्ली। अमरोहा सांसद कुँवर दानिश अली ने सोमवार को संसद में भारत सरकार के वित्त मंत्री से अतारांकित प्रश्न के माध्यम से पूछा कि
- गत पांच वर्षों में प्रत्येक और वर्तमान वर्ष के दौरान बैंक धोखाधड़ी के मामलों की संख्या का बैंक-वार ब्यौरा क्या है
- क्या सरकार ने बैंकों को अपने धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन तंत्र को मजबूत करने के लिए कहा है और क्या इसके बावजूद भी धोखाधड़ी की घटनाएं बढ़ रही हैं।
- यदि हां, तो तत्संबंधी ब्यौरा क्या है और सरकार बैंकों द्वारा सुरक्षा खामियों को दूर करने और बैंकिंग धोखाधड़ी की उचित जांच सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री डा० भागवत कराड ने इन सवालों का उत्तर देते हुए कहा कि भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने वर्ष 2016 में धोखाधडियों पर मास्टर निर्देशों को जारी किया है और सरकार ने बैंकों में धोखाधडियों पर रोक लगाने के लिए व्यापक संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक सुधारों को स्थापित किया है। अनर्जक आस्तियों (एनपीए) के परंपरागत स्टॉक सहित धोखाधडियों के लिए ऐसी नियमित और विस्तृत जांच से वर्षों से हो रही धोखाधडियों का पता लगाने में सहायता मिली है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) द्वारा आरबीआई को सूचित किये गये अनुसार, ऐसी नियमित और विस्तृत जांच बढ़ने से धोखाधडियों में शामिल प्रतिवर्ष रिपोर्ट की गई राशि में वृद्धि हुई है। धोखाधडियों की जांच के लिए उठाए गए व्यापक कदमों के साथ बेहतर पहचान और रिपोर्टिंग से ऐसी धोखाधडियों में तीव्र कमी आयी है, वित्तीय वर्ष (विव) 2016-17 में 61,229 करोड़ रुपये से घटकर वि.वर्ष 2020-21 में 11,583 करोड़ रुपये और वर्तमान वि.वर्ष के प्रथम 9 महीनों में घटकर 648 करोड़ रुपये तक आ गई है। आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, पिछले पांच वित्तीय वर्ष और वर्तमान वित्तीय वर्ष के लिए घटना के वर्ष तक प्रत्येक धोखाधड़ी में 1 लाख रुपये और उससे अधिक के संबंध में एससीबी में निहित बैक-वार और वर्ष-वार विवरणों की संख्या अनुबंध में है।
धोखाधड़ियों पर आरबीआई के मास्टर निर्देश के अनुसार धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन को सशक्त बनाने के संबंध में बैंकों को धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन और धोखाधड़ी जांच कार्य के लिए उनके संबंधित बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित आंतरिक पॉलिसी तैयार करने की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त, उक्त निर्देश में यह भी उल्लेख किया है कि बैंक के सीईओ, बोर्ड की लेखापरीक्षा समिति और बोर्ड की विशेष समिति के पास धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन, धोखाधड़ी की निगरानी और धोखाधड़ी जांच कार्य का स्वामित्व होना चाहिए।
बैंकों में धोखाधडियों की जांच के लिए सुरक्षा खामियों की पहचान करने के लिए उठाए गए कदमों सहित और ऐसी धोखाधडियों की जांच को सनिश्चित करने के लिए व्यापक कदम उठाये गये हैं। इन कदमों में अन्य बातों के साथ-साथ निम्नलिखित भी शामिल हैं:
- बैंकों द्वारा सूचित किए गए धोखाधडियों के संबंध में केन्द्रीय धोखाधड़ी रजिस्ट्री के रूप में समायोजित पहचान, नियंत्रण और धोखाधड़ी जोखिम में कमी और ऋण स्वीकृति की प्रक्रिया के दौरान समुचित सावधानी बनाए रखने के लिए भी ऑनलाइन सर्चेबल डेटाबेस स्थापित किया गया है।
- आरबीआई ने धोखाधड़ियों पर मास्टर निदेशों को जारी किया है जिसमें बैंकों को निर्धारित राशि से परे की धोखाधडियों की सूचना पुलिस को देने, विशेष समिति द्वारा मामले की निगरानी और जांच करने, बैंक बोर्ड के लेखापरीक्षा समितियों के समक्ष त्रैमासिक सूचना देने और बैंकों द्वारा धोखाधड़ियों की वार्षिक समीक्षा करने की आवश्यकता है। इन समीक्षाओं में, अन्य बातों के साथ-साथ, निवारक उपाय, धोखाधड़ी पहचान प्रणाली, प्रणालीगत कमी, सुधारात्मक कार्रवाई, जांच और वसूली की प्रगति की निगरानी और कर्मचारियों की जवाबदेही भी शामिल हैं।
- आरबीआई ने धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन और ऋण धोखाधडियों का जल्दी पता लगाने के लिए आरबीआई और जांच एजेंसियों को तेज़ी से सूचना देने के लिए और कर्मचारियों की जवाबदेही की समयोजित कार्यवाही प्रारंभ करने के लिए आरबीआई ने ऋण धोखाधडियों और रेड़ फ्लैग्ड़ खातों (आरएफए) को निपटाये जाने के लिए रूपरेखा तैयार की है जिससे बैंकों को देखे गए प्रारंभिक चेतावनी के संकेत के निरीक्षण या मूल्यांकन के आधार पर संभाव्य धोखाधड़ी खातों का आरएफए के रूप में वर्गीकरण करने की आवश्यकता है।
- आरबीआई ने फरवरी 2018 में सभी बैंकों को सुरक्षा और परिचालन नियंत्रण संबंधी जैसे बैंक की कोर बैंकिंग सोल्यूशन या एकाउंटिंग प्रणाली और स्विफ्ट मेसेजिंग प्रणाली के बीच स्ट्रेट श्रू प्रोसेस, स्विफ्ट में समय-आधारित प्रतिबंधों को लगाना, नियमित अंतराल पर अभिलेख की समीक्षा करना, समाधान का दायित्व लेना आदि का समयबद्ध तरीके से कार्यान्वयन करने के लिए परिपत्र को जारी किया है।
- आरबीआई ने बैंकों को (विधिक सर्च रिपोर्ट, संपत्ति मूल्यांकनकर्ता के रिपोर्ट आदि जैसे) अपूर्ण तृतीय पक्ष की सेवाओं और भारतीय बैंक संघ, जो ऐसे सेवा प्रदाताओं की सतर्कता सूची को बनाए रखते हैं, को जालसाजों के साथ इन सेवा प्रदाताओं की मिलीभगत की सूचना देने के लिए अनुदेश दिया है।
- सरकार द्वारा वर्ष 2015 में 50 करोड़ रुपए से अधिक की राशि की अंतर्ग्रस्त वाली संदिग्ध धोखाधड़ियों से निपटने के लिए पीएसबी को ‘बड़े मूल्य की बैंक धोखाधड़ी की समय पर पहचान करने, इसकी सूचना देने, जांच करने आदि के लिए फ्रेमवर्क’ जारी किया गया।
- गृह मंत्रालय द्वारा सभी प्रकार के साईबर क्राइम से संबंधित घटनाओं की सूचना देने में जनता को समर्थ बनाने के लिए नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल को शुभारंभ किया गया है और ऑनलाइन शिकायतों को दर्ज करने के लिए भी टोल-फ्री नंबर को परिचालनरत किया गया है।
- गृह मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करने वाले इंडियन साइबर क्राइम कोओर्डिनेशन सेंटर द्वारा धोखाधड़ी की सूचना तत्काल देने और जालसाजों के द्वारा निधियों की गलत तरीक से निकासी को रोकने के लिए वित्तीय साइबर धोखाधड़ी रिपोर्टिंग और प्रबंधन प्रणाली मॉड्यूल का परिचालन शुरू किया गया है।
- इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले दि इंडियन कम्प्यूटर इमरजेंसी रिसपांस टीम (सीईआरटी आईएन), डिजिटल तकनीकों का सुरक्षित उपयोग करने के लिए नियमित आधार पर नवीनतम साइबर चेतावनी और प्रत्युपाय के संबंध में चेतावनी और सुझाव जारी करता है और फिशिंग वेबसाइट का पता लगाने और उसे अक्षम बनाने और धोखाधड़ी वाली गतिविधियों की जांच को सुकर बनाने के लिए सेवा प्रदाताओं, विनियामकों और एलईए के समन्वय से कार्य कर रहा है।
- सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) को अधिकारियों/कर्मचारियों के क्रमावर्ती स्थानांतरण को सख्ती से सुनिश्चित करने का सुझाव दिया गया है।
इसके अतिरिक्त, जालसाजों को रोकने के लिए भी उपाय किए गए हैं। जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, निम्नलिखित भी शामिल हैं: भगौड़ा आर्थिक अपराधी की संपत्ति को जब्त करने, ऐसे अपराधियों की संपत्ति की कुर्की करने और अपराधी के किसी सिविल दावे का बचाव करने के हक से वंचित करने के लिए भगौड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम, 2018 को अधिनियमित किया गया है। लुकआउट परिपत्र जारी करने के लिए अनुरोध करने हेतु पीएसबी के प्रमुखों को सशक्त किया गया है। सरकार द्वारा आरबीआई के अनुदेशों और उनकी बोर्ड अनुमोदित पालिसियों के अनुसार इरादतन चूककर्ताओं के फोटोग्राफ के प्रकाशन पर निर्णय लेने के लिए पीएसबी को सुझाव जारी किया गया है। पीएसबी को 50 करोड़ रुपये से अधिक ऋण सुविधा प्राप्त करने वाली कंपनियों के प्रवर्तक/निदेशक और अन्य प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के पासपोर्ट की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने की सलाह दी गई है।
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