वैचारिक युद्ध में अपने विरोधियों को हराने के लिए शिक्षा को अपना हथियार बनायें: मौलाना अरशद मदनी
नई दिल्ली। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की बैठक में हिंसा और मॉब लिंचिंग पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में कानून हाथ में लेना और सरकार का इस मामले में मूक दर्शक बने रहना सही नही है। वह अराजकता और गृहयुद्ध की ओर ले जा रहा है। अगर देश में यह अराजकता बढ़ती रही, तो न केवल अल्पसंख्यक, दलित और देश के कमजोर लोग इसकी आग में जल जाएंगे, बल्कि पूरा विकास भी जल जाएगा। और देश का नाम धूल में मिल जाएगा।
मौलाना मदनी ने मॉब लिंचिंग के हवाले से कहा कि यह सब सुनियोजित तरीके से हो रहा है और इसका उद्देश्य धार्मिक उग्रवाद को भड़काकर बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यक के खिलाफ एकजुट करना है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं अचानक बढ़ जाती हैं जब किसी राज्य में चुनाव होते हैं। यही कारण है कि जानबूझकर लिंचिंग की वारदातें हो रही है।
यह बातें मौलाना अरशद मदनी ने सोमवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यसमिति की एक महत्वपूर्ण बैठक के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश के बाद भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. क्या ऐसा हो सकता है कि ऐसा करने वालों को राजनीतिक संरक्षण और समर्थन मिले? इसलिए उनके हौसले बुलंद हैं, इसलिए सभी राजनीतिक दल, खासकर जो खुद को धर्मनिरपेक्ष कहते हैं, खुलकर सामने आएं और इसके खिलाफ कानून बनाने के लिए व्यावहारिक कदम उठाएं। सिर्फ निंदा का बयान ही काफी नहीं है।
देश में जिस तरह का धार्मिक और वैचारिक टकराव शुरू हो गया है, उसकी बराबरी किसी हथियार या तकनीक से नहीं की जा सकती। इससे मुकाबला करने का एक ही तरीका है कि हम अपनी नई पीढ़ी को उच्च शिक्षा से लैस करें। उन्हें अपने ज्ञान का उपयोग करने दें। और इस वैचारिक युद्ध में अपने विरोधियों को हराने के लिए शिक्षा को अपना हथियार बनायें
उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद यह दुखद स्थिति क्यों पैदा हुई और इसके क्या कारण हो सकते हैं? इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, लेकिन यह भी सच है कि मुसलमान जानबूझकर शिक्षा से पीछे नहीं हटे, क्योंकि अगर उन्हें शिक्षा में दिलचस्पी नहीं होती तो वे मदरसे क्यों बनाते ?मौलाना मदनी ने कहा कि मुसलमान पेट पर पत्थर बांधकर अपने बच्चों को उच्च शिक्षा दें।
उन्होंने आगे कहा कि जिनके माता-पिता शिक्षा का खर्च उठाने में असमर्थ हैं। हमे उनके लिए अच्छे मदरसों और उच्च शिक्षण संस्थानों की भी आवश्यकता है, जिसमें देश के गरीब बच्चों को शिक्षा के समान अवसर प्रदान किए जा सकें।
गौरतलब है कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की अध्यक्षता में सोमवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद की कार्यसमिति की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। साथ ही अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर चिंता व्यक्त की गई।