गाजियाबाद। जैसे-जैसे रात की ठंड कड़कड़ाने लगी है, गाजियाबाद की सड़कों पर खुले आसमान के नीचे सोने वाले निराश्रितों के लिए नगर निगम ने एक बार फिर मानो घर का दरवाजा खोल दिया है। नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक के निर्देश पर शहर में कुल 22 रैन बसेरे शुरू कर दिए गए हैं, जिनमें सात सौ से ज्यादा लोग सुरक्षित रात गुजार सकें। इन आश्रय स्थलों को देखकर लगता है कि निगम ने सचमुच घर जैसा बनाने की कोशिश की है। गर्म कंबल और बिस्तर, हीटर, साफ-सुथरे शौचालय और नहाने की जगह, पीने का पानी, रोशनी, एलईडी टीवी और चौबीस घंटे सुरक्षा गार्ड। कई जगहों पर गैस, सिलेंडर और बर्तन भी रखे हैं, ताकि लोग गर्म खाना बना सकें।पन्द्रह जगहों पर तो पूरे साल चलने वाले स्थायी आश्रय हैं, नासिरपुर फाटक से लेकर कौशांबी, मोहन नगर, पुराना बस स्टैंड, प्रताप विहार, इंदिरापुरम, संजय नगर तक। ठंड बढ़ने के साथ ही सात और अस्थायी बसेरे जोड़े गए हैं, पैसिफिक मॉल के सामने, मोहन नगर चौराहे पर, साहिबाबाद रेलवे रोड पर, हापुड़ रोड फ्लाईओवर के नीचे। पुराना रेलवे स्टेशन, कौशांबी बस अड्डा और मिर्जापुर में भी नए बसेरे बनाने का काम तेजी से चल रहा है। नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक ने साफ कहा है कि कोई भी निराश्रित खुले में न सोए। इसके लिए जोनल अधिकारी रात में खुद गश्त लगा रहे हैं और सड़कों पर सोते लोगों को उठाकर बसेरों तक पहुंचा रहे हैं। प्रवेश से पहले आधार कार्ड और बाकायदा चेकिंग होती है, ताकि सुरक्षा भी बनी रहे और सुविधा भी सही लोगों तक पहुंचे।

विक्रमादित्य सिंह मलिक ने बताया, ठंड शुरू होने से पहले ही हमने सभी बसेरों की मरम्मत, पुताई और सफाई पूरी कर ली थी। इस बार हमने कोशिश की है कि सिर्फ छत न दी जाए, बल्कि सम्मान के साथ गर्माहट भी मिले। जरूरत पड़ी तो और बसेरे बनाएंगे।इस कड़कड़ाती ठंड में गाजियाबाद नगर निगम का यह कदम उन सैकड़ों लोगों के लिए सच्चा सहारा बन गया है, जिनके पास अपना कोई आशियाना नहीं है।

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