देश की आजादी और विकास में पंडित नेहरू का विशेष योगदान: आफताब अहमद

नूंह। कांग्रेस विधायक दल हरियाणा के उप नेता व नूंह विधायक चौधरी आफताब अहमद ने सोमवार को कांग्रेस जिला मुख्यालय पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को उनकी जन्मतिथि पर खिराजे अकीदत पेश की।
नूंह विधायक आफताब अहमद ने कहा कि पंडित नेहरू आधुनिक भारत के निर्माता हैं और 21वीं सदी के भारत की कल्पना उनके योगदान को याद किये बिना नहीं की जा सकती है। वह लोकतंत्र के पैरोकार थे, उनके प्रगतिशील विचारों ने चुनौतियों के बावजूद भारत के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक विकास को मजबूत बनाया।
विधायक आफताब अहमद ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू एक ऐसी शख्सियत थे जिन्होंने देश की आजादी में भी उल्लेखनीय योगदान दिया, उन्होंने कई साल देश की आजादी के लिए जेल में काटे और अंग्रेज हुकुमत से कभी कोई समझौता नहीं किया।
विधायक आफताब अहमद ने कहा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शिक्षा से लेकर उद्योग जगत को बेहतर बनाने के लिए काम किए। उन्होंने आईआईटी, आईआईएम और विश्वविद्यालयों की स्थापना की व उद्योग धंधों की भी शुरूआत की। उन्होंने भाखड़ा नांगल बांध, रिहंद बांध और बोकारो इस्पात कारख़ाना की स्थापना की थी। जवाहरलाल नेहरू ने अपनी दूरदृष्टि और समझ से जो पंचवर्षीय योजनाएं बनाईं, उनसे देश को आज भी लाभ मिल रहा है। प्रति व्यक्ति आय सहित अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ोतरी हुई, पहली पंचवर्षीय योजना कृषि क्षेत्र को ध्यान में रखकर बनाई गई तो दूसरी में औद्योगिक क्षेत्रों पर ध्यान दिया गया। पंडित नेहरू लोकतंत्र में पूरी आस्था रखते थे, आम चुनाव 1957 और 1962 में लगातार जीत के बाद भी उन्होंने विपक्ष को पूरा सम्मान दिया। 1963 में अपनी पार्टी के सदस्यों के विरोध के बावजूद भी उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराना मंज़ूर किया।


विधायक आफताब अहमद ने कहा कि जब दक्षिण भारत में अलग देश की मांग उठी तब नेहरू ने जो फैसला लिया उसने देश की एकता और अखंडता को और भी मजबूत कर दिया। नेहरू की की अगुवाई में कैबिनेट ने 5 अक्टूबर 1963 को संविधान का 16वां संशोधन पेश कर दिया.म, और इसी के साथ अलगावादियों की कमर टूट गई।
पीसीसी सदस्य महताब अहमद ने कहा कि प्रधानमंत्री नेहरू चाहते थे कि भारत किसी भी देश के दबाव में न आए और विश्व में उसकी स्वतंत्र पहचान हो। उनका पंचशील का सिद्धांत जिसमें राष्ट्रीय संप्रभुता बनाए रखना और दूसरे राष्ट्र के मामलों में दखल न देने जैसे पांच महत्वपूर्ण शांति-सिद्धांत शामिल थे। नेहरू ने गुटनिरपेक्षता को बढ़ावा दिया मतलब यह कि भारत किसी भी गुट की नीतियों का समर्थन नहीं करेगा और अपनी स्वतंत्र विदेश नीति बरकरार रखेगा।
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रण लिया कि वो पंडित नेहरू के विचारों को समाज के प्रति व्यक्ति तक पहुंचाने का काम करेंगे और उन ताकतों से संघर्ष करेंगे जो अपने राजनैतिक फायदे के लिए इस स्वतंत्रता सेनानी को बदनाम करने की नीयत रखते हैं, खासकर वो जो खुद आजादी की लड़ाई में शामिल नहीं थे और अंग्रेज हुकुमत से कभी नहीं लड़े।
इस दौरान कांग्रेस की सभी इकाईयों के पदाधिकारी कार्यक्रम में मौजूद थे।

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